दिल्ली के अधिवक्ता सोमवार को नहीं करेंगे काम, गाजियाबाद में वकीलों पर हमले के बाद हुई बैठक में लिया गया फैसला
दिल्ली के सभी बार एसोसिएशनों ने गाजियाबाद कोर्ट में एक निर्दोष वकील पर कथित तौर पर जिला न्यायाधीश द्वारा किए गए हमले के विरोध में 4 नवंबर को काम से दूर रहने का फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उत्तर प्रदेश सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
एएनआई, नई दिल्ली। दिल्ली के सभी बार एसोसिएशनों की बैठक में फैसला लिया गया कि सभी वकील 4 नवंबर, 2024 को काम से दूर रहेंगे। यह फैसला गाजियाबाद में कथित तौर पर जिला न्यायाधीश द्वारा एक निर्दोष वकील पर किए गए क्रूर हमले की कड़ी निंदा में आया है।
दिल्ली के सभी बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति के वकील जगदीप वत्स ने पुलिस की कार्रवाई की निंदा की। उन्होंने कहा कि कोर्ट रूम के अंदर वकीलों पर लाठीचार्ज बेहद निंदनीय है और इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने गाजियाबाद अदालत परिसर के अंदर अधिवक्ताओं के खिलाफ पुलिस की कथित हिंसक कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की और इस घटना को अधिकारों और कानून के शासन का घोर उल्लंघन बताया है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कोर्ट से कार्रवाई की अपील की
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के प्रस्ताव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अधिवक्ताओं की गरिमा पर किसी भी तरह के हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा। हाल की घटनाओं के मद्देनजर एससीबीए ने मौजूदा स्थिति को प्रभावी ढंग से सामाधान न करने पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों से तत्काल कार्रवाई की मांग की।जिला न्यायाधीश के आचरण की जांच की मांग
एससीबीए ने गाजियाबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार के आचरण की जांच की मांग की है, जिसका नेतृत्व इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश द्वारा किया जाए, जिसमें मुख्य न्यायाधीश और गाजियाबाद के लिए जिम्मेदार प्रशासनिक न्यायाधीश भी शामिल हों। वे घटना की गहन जांच की आवश्यकता और जिला एवं सत्र न्यायाधीश और इसमें शामिल पुलिस अधिकारियों दोनों के लिए जवाबदेही पर भी जोर देते हैं।
घायल अधिवक्ताओं के लिए मुआवजे की मांग
इसके अलावा, एससीबीए ने अनिल कुमार और लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने के साथ-साथ घायल अधिवक्ताओं के लिए मुआवजे की मांग की है। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए वे ऐसे उपायों के कार्यान्वयन का आग्रह करते हैं जो अधिवक्ताओं और उनके परिवारों की सुरक्षा करेंगे, जिसमें अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम की शुरूआत भी शामिल है।यह भी पढ़ें- 'अगले 2-4 दिनों में होगी सीडीवी की तैनाती, एक हफ्ते में LG के पास जाएगा प्रस्ताव', CM आतिशी ने बताया पूरा प्लानयह भी पढ़ें- 'दिल्ली का चुनाव AAP को जिताने का नहीं बल्कि...', अरविंद केजरीवाल ने पदयात्रा में लोगों से की अपील
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