Delhi Politics: विधूडी का केजरीवाल पर हमला, कहा मुख्यमंत्री द्वारा जारी विंटर एक्शन प्लान कागजी
Delhi Politicsसरकार की लापरवाही के कारण पिछले तीन साल से दिल्लीवासी ठीक तरह से दिवाली मनाने से वंचित हैं। दिल्ली सरकार की प्रदूषण कम करने की नीयत नहीं है। सही तरह से रखरखाव नहीं होने के कारण राजधानी में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं।
By Santosh Kumar SinghEdited By: Pradeep Kumar ChauhanUpdated: Sat, 01 Oct 2022 05:21 AM (IST)
नई दिल्ली[संतोष कुमार सिंह]। सर्दी में वायु प्रदूषण रोकने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा जारी विंटर एक्शन प्लान को भाजपा ने कागजी योजना बताया है। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली सरकार प्रदूषण कम करने को लेकर अपनी जिम्मेदारी से भागती रही है। सिर्फ आम जनता पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं।
सरकार की लापरवाही के कारण पिछले तीन साल से दिल्लीवासी ठीक तरह से दिवाली मनाने से वंचित हैं।उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की प्रदूषण कम करने की नीयत नहीं है। सही तरह से रखरखाव नहीं होने के कारण राजधानी में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। कई वर्षों से सड़कों की मरम्मत नहीं हुई है। इस कारण सड़कों पर धूल उड़ती रहती है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा धूल को प्रदूषण का बड़ा कारण बताया है। सड़कें क्षतिग्रस्त होने से वाहनों में ज्यादा ईंधन खर्च होता है, इससे भी प्रदूषण बढ़ रहा है। सार्वजनिक परिहवन प्रणाली में सुधार न होने से सड़कों पर निजी वाहनों की भीड़ बढ रही है। पिछले आठ वर्षों में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के बेड़े में सरकार एक बस नहीं शामिल कर सकी है। डीटीसी की 3760 बसें अपनी उम्र पूरी कर चुकी हैं।
जनता के जीवन से खिलवाड़ करते हुए इन बसों को चलाया जा रहा है। हाल ही में जो 150 इलेक्ट्रिक बसें सड़कों पर आई हैं, वे भी केंद्र ने उपलब्ध कराई हैं।उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा लगाए गए स्माग टावर भी बेकार साबित हुए हैं।
पराली नष्ट करने की योजना भी सिर्फ प्रचार करने तक सीमित है। इन कारणों से दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य की रिपोर्ट में दिल्ली को विश्व का सबसे प्रदूषित राजधानी बताया गया है। वहीं, शनिवार से दिल्ली एनसीआर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) की जद में आ जाएगा।
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लेकिन इसकी पाबंदियां अभी नहीं लगेंगी। दरअसल, 2017 में अधिसूचित हुए ग्रेप के प्रविधानों और इसके शेडयूल दोनों में ही वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने बदलाव कर दिया है।इसका असर अबकी बार इसके क्रियान्वयन में भी नजर आएगा। जानकारी के मुताबिक अभी तक यह हर साल 15 अक्टूबर से लागू होता था जबकि इस वर्ष इसे सीएक्यूएम के आदेश पर एक अक्टूबर से ही लागू करने का निर्णय लिया गया है।
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