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LG सक्सेना ने फिर बढ़ाई AAP की परेशानी, दिल्ली सरकार के 24 अस्पतालों के निर्माण पर लगाए गंभीर आरोप

एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली में 24 अस्पताल परियोजनाओं में देरी के लिए दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि इन अस्पतालों के लिए करीब 38000 पदों की जरूरत है लेकिन सरकार ने इन पदों को भरने का कोई प्रयास नहीं किया। साथ ही स्टाफ की मंजूरी बिस्तर मशीनों और उपकरणों की आवश्यकता पर भी ध्यान नहीं दिया गया।

By sanjeev Gupta Edited By: Sonu Suman Updated: Thu, 22 Aug 2024 09:55 PM (IST)
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एलजी सक्सेना ने दिल्ली सरकार के 24 अस्पतालों के निर्माण पर लगाए गंभीर आरोप।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली में 24 अस्पताल परियोजनाओं में विभिन्न स्तरों पर हुई देरी के लिए आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा है। एलजी ने इन अस्पतालों के संचालन के लिए करीब 38,000 पदों की जरूरत बताई है, लेकिन आप सरकार के स्वास्थ्य और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री ने इन पदों को भरना तो दूर, पिछले चार पांच वर्षों में इन पदों को सृजित करने का भी कोई प्रयास नहीं किया।

उन्होंने कहा कि इन अस्पतालों के लिए न तो स्टाफ को मंजूरी दी गई, न ही बिस्तर, मशीनों और उपकरणों की आवश्यकता पर ध्यान दिया गया। इनके लिए कोई बजटीय प्रावधान भी नहीं किया गया।

वित्तीय कुप्रबंधन से संबंधित चौंकाने वाले तथ्य

राजनिवास के अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई प्रेजेंटेशन के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में प्लानिंग की कमी और वित्तीय कुप्रबंधन से संबंधित चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इनसे पता चला है कि 8,000 करोड़ की लागत से बने इन 24 अस्पताल परियोजनाओं का सिविल कंस्ट्रक्शन बिना किसी योजना, उपकरण, मशीनरी और इसके लिए जरूरी स्टाफ की व्यवस्था किए बिना ही शुरू कर दिया गया।

विभिन्न श्रेणियों में डॉक्टरों और टेक्निकल स्टाफ की आवश्यकता

एलजी ने कहा कि यह आपराधिक उपेक्षा के समान है। अधिकारियों ने बताया कि निर्धारित समय से छह से सात वर्ष पीछे चल रहे इन निर्माणाधीन अस्पतालों के लिए विभिन्न श्रेणियों में डॉक्टरों, पैरामेडिकल और टेक्निकल स्टाफ के कुल 37,691 अतिरिक्त पदों की आवश्यकता होगी। ये पद अभी तक सृजित भी नहीं हुए हैं। 2019-2021 के दौरान इन 24 परियोजनाओं के लिए 3906.70 करोड़ रुपये का टेंडर किया गया था।

उन्होंने कहा कि इन अस्पतालों के निर्माण में प्रीफैब मटेरियल का मुख्य रूप से उपयोग होना था और इन सभी का निर्माण छह महीने से एक वर्ष के अंदर पूरा किया जाना था। हालांकि न केवल इन परियोजनाओं में देरी हुई है बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए अब अतिरिक्त 3,800 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। इससे इन परियोजनाओं की लागत में लगभग 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

बजट में अतिरिक्त लागत का नहीं किया गया कोई प्रावधान

एलजी सक्सेना ने कहा कि सभी परियोजनाओं के पूरा होने पर इनके लिए जरूरी फर्नीचर व चिकित्सा उपकरण आदि के लिए लगभग 5,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन की आवश्यकता होगी। इसके अलावा इन परियोजनाओं के लिए प्रति वर्ष 4800 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। एलजी को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि लगातार एक के बाद एक कई बजट पेश करने के बावजूद भी आप सरकार ने इन अतिरिक्त लागतों का बजट में कोई प्रविधान नहीं किया।

बिना किसी योजना के जानबूझकर टेंडर जारी

एलजी ने कहा कि इससे प्रतीत होता है कि इन परियोजनाओं को बिना किसी योजना के जानबूझकर टेंडर किया गया था, जिसका एकमात्र उद्देश्य पीडब्ल्यूडी द्वारा इन्हें ठेकेदारों को सौंपना था। इसमें जनता का नहीं बल्कि ठेकेदारों का हित सर्वोपरि रखा गया। एलजी को यह जानकर और भी आश्चर्य हुआ कि वित्तीय वर्ष 2024-2025 के दौरान इन परियोजनाओं के लिए आवंटित बजट मात्र 400 करोड़ रुपये है, जबकि बजट में ठेकेदारों के पक्ष में मध्यस्थता से निपटाने के लिए आवंटित राशि 600 करोड़ रुपये थी।

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