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LG सक्सेना ने स्कूल को खाली करने के आदेश को किया रद्द, अधिकारियों से कहा- राजनीतिक प्रभाव से मुक्त होकर करें काम

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गांधी हरिजन सेवक समाज डॉ बीआर आंबेडकर आदर्श विद्यालय की बेदखली और सीलिंग के आदेश को खारिज कर दिया है। उन्होंने अधिकारियों को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त होकर काम करने के निर्देश भी दिए। स्कूल को 30 दिन के भीतर खाली करने का आदेश दिया गया था लेकिन एलजी ने इस आदेश को खारिज कर दिया है।

By sanjeev Gupta Edited By: Sonu Suman Updated: Thu, 12 Sep 2024 10:55 PM (IST)
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LG सक्सेना ने स्कूल को खाली करने के डूसिब के आदेश को किया रद्द।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। एलजी वीके सक्सेना ने गांधी हरिजन सेवक समाज डॉ बीआर आंबेडकर आदर्श विद्यालय की बेदखली और सीलिंग के आदेश को खारिज कर दिया है। एलजी ने बृहस्पतिवार को अधिकारियों को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त होकर काम करने के निर्देश भी दिए।

एलजी ने दक्षिणपुरी स्थित स्कूल को बड़ी राहत दी है। अपीलीय अदालत के रूप में उन्होंने दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें स्कूल को आवंटित भूमि को खाली करने का निर्देश दिया गया था। साथ ही अतिक्रमण की अनुमति देने जैसे विवादित आरोपों पर उसे बेदखली का नोटिस दिया था। एलजी ने दिल्ली नगर निगम द्वारा स्कूल को सील किए जाने के फैसले को भी खारिज किया।

स्कूल को 30 दिन के भीतर खाली करने के थे आदेश

राजनिवास के मुताबिक, डूसिब ने इसी साल मई महीने में जारी अपने आदेश में उक्त विद्यालय को तीस दिन के भीतर खाली करने को कहा था। इस भूमि पर 1993 से डॉ बीआर अंबेडकर आदर्श विद्यालय चल रहा है। इस स्कूल में 650 छात्र हैं और इनमें से अधिकांश दलित समुदाय और अन्य कमजोर वर्गों से आते हैं। विद्यालय में 27 कर्मचारी भी हैं जो स्कूल को सील किए जाने के बाद से परेशान हैं।

राजनिवास के मुताबिक, डूसिब ने क्षेत्र के आप विधायक की शिकायत के आधार पर समाज-स्कूल को नोटिस जारी किया था और स्कूल को सील करने और उसकी जमीन जब्त करने का अंतिम फैसला सुनाया था। समाज और स्कूल की ओर से एलजी की अदालत में अपील की गई थी।

डूसिब पर लापरवाही का लगाया आरोप

इस पर अपने आदेश में एलजी ने कहा है कि इस मामले को सरकार (डूसिब) ने बड़ी ही लापरवाही और राजनीतिक रूप से पूर्व-नियोजित तरीके से निपटाया, जो कि हाशिए पर पड़े दलित समुदाय के अलावा गरीब और दलित बच्चों को शिक्षित करने में जुटे अपीलकर्ता के लिए नुकसानदेह है। बेदखली की प्रक्रिया निश्चित रूप से स्कूल पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। इससे समाज और स्कूल की बदनामी भी होगी और विश्वास को ठेस पहुंचेगी।

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