लेखिका अरुंधति रॉय और पूर्व प्रोफेसर हुसैन के खिलाफ LG ने UAPA के तहत मुकदमा चलाने की दी मंजूरी, लगा है ये आरोप
एलजी वीके सक्सेना लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर के केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर डा. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था। अरुंधति राय और हुसैन ने कथित तौर पर भड़काऊ और भारत विरोधी भाषण दिए थे। यह मामला साल 2010 का है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना (LG VK Saxena) ने लेखिका अरुंधति रॉय (Arundhati Roy) और कश्मीर के केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर डा. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 45 (1) के तहत मुकदमा चलाने को मंजूरी दे दी है।
कथित तौर पर भड़काऊ और भारत विरोधी भाषण देने का आरोप
गौरतलब है कि अरुंधति रॉय और हुसैन (Sheikh Showkat Hussain) ने 21 अक्टूबर, 2010 को कापरनिकस मार्ग स्थित एलटीजी ऑडिटोरियम में आजादी- द ओनली वे के बैनर तले आयोजित एक सम्मेलन में कथित तौर पर भड़काऊ और भारत विरोधी भाषण दिए थे।
सम्मेलन में जिन मुद्दों पर चर्चा की गई, उनमें कश्मीर को भारत से अलग करने की बात सबसे महत्वपूर्ण थी। सम्मेलन में भाषण देने वालों में सैयद अली शाह गिलानी, एसएआर गिलानी (सम्मेलन के एंकर और संसद हमले मामले के मुख्य आरोपित), अरुंधति रॉय, डा. शेख शौकत हुसैन एवं माओवादी समर्थक वारा वारा राव शामिल थे।
गिलानी और अरुंधति रॉय पर आरोप है कि इन्होंने इस बात का जोर-शोर से प्रचार किया कि कश्मीर कभी भी भारत का हिस्सा नहीं था और उस पर भारत के सशस्त्र बलों ने जबरन कब्जा किया हुआ है। इसमें यहां तक कहा गया कि भारत से जम्मू-कश्मीर की आजादी के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।
साल 2010 का मामला
सुशील पंडित ने नई दिल्ली मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत शिकायत दर्ज की थी। कोर्ट ने 27 नवंबर 2010 को मामले में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिया, जिसके बाद आईपीसी की धारा 124-ए/153ए/153बी/504 और 505 और 13 यूए (पी) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।अक्टूबर 2023 में एलजी ने आइपीसी की धारा 153ए/153बी और 505 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए उपरोक्त आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए सीआरपीसी की धारा 196 के तहत मंजूरी दी थी। अब गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 45 (1) के तहत मुकदमा चलाने को मंजूरी दे दी है।
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