Delhi Pollution: 'दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात', उपराज्यपाल ने की बैठक; कहा- स्थिति बेहद बेहद चिंताजनक...
गैस चेंबर में तब्दील होने के कारण दिल्ली की आबोहवा अभी सांस लेने लायक नहीं है। इस वजह से लोगों को सांस लेना मुश्किल हो गया है। दिल्ली के उपराज्यपाल ने वायु प्रदूषण से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा के लिए बैठक की अध्यक्षता की। वहीं एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने कहा कि दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी जैसी स्थिति बन गई है।
By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Fri, 03 Nov 2023 10:59 PM (IST)
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। गैस चेंबर में तब्दील होने के कारण दिल्ली की आबोहवा अभी सांस लेने लायक नहीं है। इस वजह से लोगों को सांस लेना मुश्किल हो गया है। थोड़ी देर घर का दरवाजा और खिड़की खुला छूट जाने पर पर भी कमरों में धुआं और दम घुटने जैसा महसूस किया जा रहा है।
LG ने की बैठक की अध्यक्षता
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वायु प्रदूषण से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शुक्रवार शाम बैठक की अध्यक्षता की। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली से बाहर होने की वजह से इस बैठक में शामिल नहीं हो सके। बैठक में मौजूद लोगों में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय, मुख्य सचिव (वीडियो कांन्फ्रेंस पर) के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।
हालात काफी चिंताजनक- LG
उपराज्यपाल ने दोहराया कि दिल्ली में प्रदूषण के हालात काफी चिंताजनक है और उन्होंने लगातार बढ़ते एक्यूआई स्तर पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। बैठक के दौरान पराली जलाए जाने की घटनाओं के लिए जिम्मेदार पड़ोसी राज्यों पर बात की गई। विशेष रूप से पंजाब पर बात हुई।दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी जैसी स्थिति- AIIMS प्रोफेसर
इस बीच एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने कहा कि मौजूदा समय में दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद घातक है और हेल्थ इमरजेंसी जैसी स्थिति बन गई है। उन्होंने कहा कि लगातार दो दिन से दिल्ली धुआं और धूल की चादर में लिपटी हुई है, जितने अधिक दिन तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी स्वास्थ्य को नुकसान उतना अधिक होगा।
इसलिए हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर वायु प्रदूषण कम करने के लिए तुरंत सख्त तात्कालिक कदम उठाए जाने की जरूरत है। प्रदूषण हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर रहा है। बुजुर्गों, बच्चों व गर्भवती महिलाओं पर इसका असर अधिक होता है। इसके दुष्प्रभाव से बच्चों के फेफड़े का शारीरिक विकास रुक जाता है। जिंदगी से बड़ा कुछ भी नहीं है।
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