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मानसून के दौरान हो रहे जलभराव पर एलजी सख्त, हरकत में सरकारी महकमा; अधिकारियों को दिए निर्देश

एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि मानसून के दौरान संबंधित विभागों के प्रधान सचिव से लेकर डीएम और एसडीएम तक नालों का दौरा करेंगे। इसकी रिपोर्ट बनाकर मंडलायुक्त को सौंपेंगे। मंडलायुक्त प्रति माह रिपोर्ट को संकलित कर मुख्य सचिव को सौंपेंगे। इसे लेकर उपराज्यपाल के निर्देश पर उनके प्रधान सचिव आशीष कुंद्रा ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को पत्र लिखा है।

By V K Shukla Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 19 Aug 2024 06:00 PM (IST)
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राजधानी दिल्ली में मानसून के दौरान हो रहे जलभराव पर एलजी सख्त।

राज्य ब्यूूरो, नई दिल्ली। मानसून के दौरान हुए जलभराव पर एलजी वी के सक्सेना सख्त हैं। उन्होंने गत दिनों विभिन्न प्रमुख नालों का दौरा करने के बाद कहा है कि नालों की बेहतर ढंग से सफाई की गई होती तो मानसून के दौरान लोगों की मौत नहीं होती।

उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि मानसून के दौरान संबंधित विभागों के प्रधान सचिव से लेकर डीएम और एसडीएम तक नालों का दौरा करेंगे। इसकी रिपोर्ट बनाकर मंडलायुक्त को सौंपेंगे। मंडलायुक्त प्रति माह रिपोर्ट को संकलित कर मुख्य सचिव को सौंपेंगे। इसे लेकर उपराज्यपाल के निर्देश पर उनके प्रधान सचिव आशीष कुंद्रा ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को पत्र लिखा है।

नागरिक बुनियादी ढांचा पूरी तरह से ध्वस्त: एलजी

पत्र में कहा गया है कि एलजी ने महसूस किया है कि इस मानसून में नागरिक बुनियादी ढांचा पूरी तरह से ध्वस्त हुआ है, जिससे नागरिकों की दुर्भाग्यपूर्ण और टाली जा सकने वाली मौत हुई हैं।नालों से संबंधित समस्याएं स्थानिक उपेक्षा के लक्षण हैं।

पत्र में कहा गया है कि वर्षों से नालियों से गाद नहीं निकाली गई है, सीवर लाइनें जाम हैं, जिससे नियोजित कालोनियों में भी भारी जलभराव हुआ है। एलजी का मानना है कि यह विभागों के वरिष्ठ प्रबंधन निरीक्षण की पूर्ण अनुपस्थिति की ओर इशारा करता है। जबकि दिल्ली हाई कोर्ट ने भी दिल्ली में नालों से गाद निकालने के मामले को गंभीरता से लिया है और तीखी टिप्पणियां की हैं।

कई एजेंसियां करती है नाले का प्रबंधन 

बता दें कि दिल्ली में लगभग 3740.31 किलोमीटर लंबाई में प्रमुख नाले हैं। इन नालों का प्रबंधन विभिन्न एजेंसियों द्वारा किया जाता है। इनमें पीडब्ल्यूडी, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, एमसीडी, एनडीएमसी, डीडीए, दिल्ली राज्य औद्योगिक एवम ढांचागत विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) व छावनी बोर्ड आदि द्वारा किया जाता है।

सीवरेज की पंपिंग का प्रबंधन एमसीडी के द्वारा

इसके अलावा 22 खुले नाले हैं, यहां समस्या यह भी आ रही है कि इनके लिए अलग अलग प्रबंधन किया जाता है।जैसे पानी बढ़ने की स्थिति में यमुना नदी से बैकफ्लो को रोकने के लिए प्रबंधन सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा किया जाता है, लेकिन ऐसे समय में सीवरेज की पंपिंग का प्रबंधन एमसीडी द्वारा किया जाता है।

प्रबंधन के लिए एजेंसियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप

कई एजेंसियों द्वारा नालों का प्रबंधन करने से एजेंसियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप होता है, जिसमें एक एजेंसी दूसरों पर प्रबंधन गतिविधियों में कमी का आरोप भी लगाती है दोषी अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करना मुश्किल है और परिणामी अराजकता का खामियाजा बुनियादी ढांचे के ध्वस्त होने के कारण राज्य और उसके नागरिकों को उठाना पड़ता है।एलजी का मानना है कि इस प्रशासनिक अराजकता के कारण जल निकासी की व्यवस्था चौपट हो रही है।

एलजी ने सलाह दी है कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उनके प्रभार के तहत सुविधाओं के निर्धारित निरीक्षण के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित किया जाए। इससे उन्हें नागरिकों के सामने आने वाली मुख्य समस्याओं का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने और सुधारात्मक नीति नियामक उपाय करने में मदद मिलेगी।

नालों से संबंधित मामलों का निरीक्षण

इसके साथ ही अब से सभी संबंधित विभागाध्यक्ष, सचिव, प्रधान सचिव व अतिरिक्त मुख्य सचिव क्षेत्रीय निरीक्षण का कार्यक्रम तैयार करेंगे। एलजी ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि नालों से संबंधित मामलों का पूरी तरह से निरीक्षण किया जाएगा। विभाग के प्रधान सचिव व सचिव द्वारा निरीक्षण नोट तैयार किया जाएगा।

एलजी सचिवालय और प्रभारी मंत्री को समर्थित प्रति के साथ मुख्य सचिव द्वारा नोट प्रस्तुत किया जाएगा। नोट में सुधारात्मक उपायों के साथ देखी गई मुख्य समस्या काे बताया जाएगा। रिपोर्ट में कार्रवाई से पहले और बाद की जियो-टैग की गई तस्वीरों के साथ संलग्न किया जाएगा। अधिकारियों के एपीएआर को अंतिम रूप देते समय निरीक्षण नोट्स को ध्यान में रखा जाएगा।

अधिकारी संस्थागत तंत्र की करेंगे समीक्षा

एलजी ने कहा है कि सचिव, प्रधान सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव विभिन्न केंद्रीय और राज्य अधिनियमों के तहत निर्धारित संस्थागत तंत्र की भी समीक्षा करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि ये पूरी तरह कार्यात्मक हैं। इन कानूनों के तहत किसी भी नियम, प्राधिकरण, बोर्ड का निर्माण तीन सप्ताह के भीतर किया जाना चाहिए। इसके अलावा जिला स्तर पर जिलाधिकारी (डीएम) के अधीन क्षेत्र स्तरीय निरीक्षण का एक मजबूत तंत्र होना चाहिए।

सभी डीएम, एडीएम, एसडीएम सार्वजनिक वितरण सेवाओं के क्षेत्रों में सप्ताह में दो बार अपने क्षेत्र की सभी तरह की कालोनियों में सड़क बुनियादी ढांचे, नालियों, सीवरेज प्रबंधन, शिक्षा, परिवहन से संबंधित निरीक्षण करेंगे।इसके साथ ही सभी जिलाधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र में आरडब्ल्यूए के साथ महीने में एक बार बातचीत करेंगे ताकि सामने आने वाली समस्याओं का पता लगाया जा सके और संबंधित विभागों के साथ बातचीत करके इसका समाधान किया जा सके।।

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