'कौन है जिसमें कमी नहीं, आसमान के पास भी तो जमीं नहीं’; 'जागरण संवादी' कार्यक्रम में बोले दिल्ली के उपराज्यपाल
Jagran Samvadi दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के नार्थ कैंपस स्थित कॉन्फ्रेंस सेंटर में आयोजित जागरण संवादी कार्यक्रम में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना शामिल हुए। एलजी ने कहा कि हिंदी इस देश की सबसे सशक्त भाषा है। उन्होंने आगे कहा कि हिंदी की विकास यात्रा में जागरण की भूमिका बहुत ही अद्भुत है। LG बोले हिंदी देश ही नहीं बल्कि विश्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। अभिव्यक्ति के उत्सव ‘जागरण संवादी’ की बृहस्पतिवार को दिल्ली में जोरदार शुरुआत हुई। उपराज्यपाल वीके सक्सेना (VK Saxsena) ने इस दो दिवसीय आयोजन का शुभारंभ किया।
दिल्ली में पहली बार होने वाले इस आयोजन को खास बताते हुए उपराज्यपाल ने कहा, यह एक ऐसा मंच है, जिस पर साहित्य, कला व शिक्षा की बड़ी-बड़ी हस्तियों की मौजूदगी में विभिन्न सम-सामयिक विषयों पर चर्चा होगी।
‘हिंदी हैं हम’ अभियान की उपराज्यपाल ने की सराहना
किसी भी गंभीर विषय का हल तलाशने और दिशा देने के लिए उसपर चर्चा और सीधा संवाद ही सबसे प्रभावशाली माध्यम है। एलजी ने हिंदी की समृद्धि एवं विकास यात्रा में दैनिक जागरण के योगदान को अद्भुत बताते हुए इस क्रम में पिछले आठ वर्षों से जारी ‘हिंदी हैं हम’ अभियान की सराहना की। दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैंपस स्थित कान्फ्रेंस सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में उपराज्यपाल ने कहा, हिंदी इस देश की सबसे सशक्त भाषा है।आज हिंदी को लेकर सोच में तेजी से आ रहा बदलाव-एलजी
वैश्विक मंच पर भी आज हिंदी को लेकर सोच में तेजी से बदलाव आ रहा है। हमें गर्व होना चाहिए कि आज हमारी भाषा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस्तेमाल की जा रही है। हमारे पीएम आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदी में ही भाषण करते हैं। आज दूतावासों के राजनयिक हिंदी में बात करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि 70 करोड़ हिंदी भाषी से जुड़ना है तो उनकी भाषा में ही बात करनी होगी।उद्घाटन सत्र में डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने संवादी के आयोजन के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय को चुनने पर जागरण का आभार जताते हुए कहा कि हिंदी को बढ़ाने की दैनिक जागरण की मुहिम में जुड़ना हमारे लिए गर्व की बात है। हिंदी हर जन, मन, सिनेमा और राजनीति की भाषा है, लेकिन हिंदी को राजनीति से दूर रखने की जरूरत है। पीएम ने संकल्प लिया है कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाएंगे, तो चार से 20 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था होने में भी हिंदी का भारी योगदान होगा।
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