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तकनीक से बदली जिंदगी: तीन मिनट में ड्रोन से पहुंचेगा पिज्जा, तैयार हो गई स्काई टनल; ऐसे की जाएगी डिलीवरी

साल 2021 में केंद्र सरकार ने भारत में ड्रोन से डिलीवरी की अनुमति दी थी। अब तक हम ड्रोन से दवाएं ब्लड सैंपल ब्लड की डिलीवरी कई स्थानों पर देख चुके हैं लेकिन खाने-पीने के सामान समेत ग्रॉसरी कपड़े इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की डिलीवरी को कम ही देखा या सुना गया है। लेकिन अब इसकी तैयारी गुरुग्राम में शुरू हो गई है। स्काई टनल को तैयार कर लिया गया है।

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Updated: Sat, 09 Mar 2024 05:35 PM (IST)
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तीन मिनट में ड्रोन से पहुंचेगा पिज्जा, तैयार हो गई स्काई टनल।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। ऑनलाइन शापिंग, होम डिलीवरी जैसी सुविधा ने लोगों के जीवन को बहुत स्मूथ और सरल बना दिया है। कह सकते हैं, अब इस प्लेटफार्म पर बनी निर्भरता का पड़ाव 30 मिनट, 15 मिनट में सामान डिलीवरी से आगे तीन मिनट की बात करने लगा है। मेट्रो सिटीज में ड्रोन से डिलीवरी होने लगी है। लोग इस माध्यम की ओर भी अब तेजी से बढ़ना चाहते हैं विशेषकर खाद्य पदार्थों की निर्भरता के लिए। 

उनका पिज्जा या लंच 30 मिनट में क्यों पहुंचे, तीन मिनट में क्यों न आए। वैसे भी जब पर्यावरण संरक्षण की भी बात हो रही है और ड्रोन सर्विस है तो सामान की डिलीवरी के लिए सड़कों पर वाहनों का बोझ और क्यों बढ़ाया जाए। आपको यह जानकारी सुखद अनुभूति भी होगी कि ड्रोन से डिलीवरी, ऑन रोड डिलीवरी से कहीं ज्यादा सस्ती और किफायती है। लेकिन, इतनी सुविधाओं के बाद भी कुछ शंकाएं हैं, आज उन्हीं पर विस्तार से बता रहे हैं।

  • 20% कीमत में बचत होगी।
  • 54% समय की बचत होगी। 
  • 94% कार्बन उत्सर्जन में बचत होगी।

ड्रोन डिलीवरी के क्षेत्र में भारत अगुवाई करने को तैयार है। दुनिया भर में ड्रोन से डिलीवरी तो हो रही है, लेकिन किसी मेट्रो सिटी में रूट तैयार कर ड्रोन से डिलीवरी विश्व में पहली बार गुरुग्राम में हो रही है। अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन आदि में ग्रामीण और उप ग्रामीण इलाकों में जहां आबादी बहुत कम है और निर्माण नहीं हैं, वहां डिलीवरी हो रही है।

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वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने भारत में ड्रोन से डिलीवरी की अनुमति दी थी। अब तक हम ड्रोन से दवाएं, ब्लड सैंपल, ब्लड की डिलीवरी कई स्थानों पर देख चुके हैं, लेकिन खाने-पीने के सामान समेत ग्रॉसरी, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की डिलीवरी को कम ही देखा या सुना गया है।

ड्रोन के लिए बनी है स्काई टनल

स्काई एयर के सीईओ और संस्थापक अंकित कुमार बताते हैं, कंपनी ने स्काई टनल तैयार की है। पूरे गुरुग्राम की थ्रीडी मैंपिग एक्स, वाई और जेड एक्सिस पर कराई गई। आमतौर पर थ्रीडी मैपिंग एक या दो एक्सिस पर होती है, जिसमें सिर्फ ऊपर से ही दिखता है।

कंपनी ने तीन एक्सिस के जरिये, बिल्डिंग कितनी बड़ी है, कहां पर तार जा रहे हैं, टेलीकॉम टावर कहां हैं, कहां ट्रांसफार्मर लगे हैं, कहां-कहां इंटरनेट कनेक्शन की दिक्कत है, इसका पता लगाया। आज भी हाईराइज में मोबाइल टावर से कई बार कमजोर सिग्नल मिलते हैं। ड्रोन 120 मीटर की ऊंचाई पर उड़ता है, जहां सिग्नल की समस्या हो सकती है। इसे देखते हुए ऐसे रूट तय किए, जहां ये रुकावटें न आएं। 

इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए स्काई टनल तैयार की गई। ये पारदर्शी टनल होती है। इसकी चौड़ाई 10 मीटर है, जबकि आमतौर पर ड्रोन के मार्ग की चौड़ाई दो से तीन मीटर होती है। हवा या किसी अन्य कंजेशन की वजह से यदि ड्रोन टनल से बाहर आता है तो पायलट उसे कंट्रोल कर सुरक्षित स्थान पर उतार देता है।

ऐसे 215 स्काई टनल गुरुग्राम शहर में तैयार किए गए हैं। कॉरिडोर बनने से ड्रोन से कैमरे निकाल दिए गए हैं, जिससे लोगों की निजता के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा में भी सेंध न लगे। हमने ड्रोन को और अत्याधुनिक बनाने के बजाय उसके लिए सुरक्षित रास्ता बनाने पर अधिक जोर दिया है।

स्काई पॉड से डिलीवरी आसान

सोसायटी में डिलीवरी के लिए स्काई एयर ने स्काई पॉड तैयार किया है। इसमें सामान की डिलीवरी ऑटोमेटिक होती है, स्काई पॉड पर ड्रोन पैकेट को छोड़ देता। स्काई वॉकर यानी कंपनी का एक व्यक्ति पॉड से सामान उठाकर दरवाजे पर आकर सामान दे देता है।

अंकित कुमार का दावा है कि दुनिया में ऐसा सिर्फ गुरुग्राम में हो रहा है। भारत ड्रोन डिलीवरी के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखेगा। आस्ट्रेलिया में गूगल की विंग कंपनी एक गांव में काफी और केएफसी की डिलीवरी कर रही है। 

अमेरिका में ड्रोनअप कंपनी शहर से बाहर डिलीवरी कर रही है, लेकिन गुरुग्राम जैसे बड़े शहर में जहां चारों तरफ इतनी ऊंची इमारतों का जाल बिछा है, बिजली के खंभे हैं, ट्रांसफार्मर लगे हैं, टेलीकॉम टावर हैं, पेड़ व पक्षी जैसी कई रुकावटे हैं, वहां पिछले चार महीने से सफलतापूर्वक डिलीवरी हो रही है।

हर जगह पांच गुणे पांच मीटर की जगह मिलना संभव नहीं है। वहां पर लैंडिंग की जगह विंचिंग कराई यानी ड्रोन ने ऊपर से ही सामान को नीचे पहुंचा दिया। इसमें ड्रोन हवा से पैकेट को स्टील व एल्यूमीनियम के तार के जरिये पॉड पर उतारता है।

न टकराए ड्रोन, लगाए 360 सेंसर

ड्रोन में 360 लेजर सेंसर लगे हैं, जिसे डिटेक्ट एंड एवायड (डीएए) कहते हैं। इससे जब ड्रोन के सामने कोई चीज आती है तो ड्रोन रुक जाता है और स्वयं ही लैंडिंग जोन में आ जाता है। पिछले दिनों गुरुग्राम की सोसायटी में चिकन डिलीवर करते हुए दुर्घटना हुई थी, उसे ध्यान में रखते हुए अब निर्णय लिया गया है कि 100 से 200 मीटर के बीच ऐसी जगह तलाशी जाए जहां सुरक्षित लैंड किया जाए।

इन कंपनियों के साथ कर रहे काम

स्काई एयर कंपनी लॉजिस्टिक कंपनी शिपराकेट के साथ काम कर रही है, जो कई कंपनियों के सामान की डिलीवरी कराती है। खाना डिलीवर करने के दौरान ये ध्यान रखा जाता है कि वह मिक्स न हो जाए, ठंडा न हो जाए, फैल न जाए। कंपनी क्लाउड किचन, ग्रोसरी, ई कामर्स, हेल्थकेयर के साथ काम कर रही है और 150 मीटर से तीन किमी तक डिलीवरी कर रही है।

30 % बचत, 93% कार्बन उत्सर्जन में कमी

वर्तमान में कम डिलीवरी हो रही हैं, लेकिन, अगले तीन वर्ष में 10 हजार पैकेट की डिलीवरी होगी, जिससे दोपहिया वाहनों के मुकाबले करीब 30% की बचत होगी। सबसे प्रमुख बात 93% कार्बन उत्सर्जन कम होगा। वर्तमान में गुरुग्राम के गोल्फ कोर्स, गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन, न्यू गुरुग्राम में डिलीवरी हो रही है। यहां फ्रेस्को, निर्वाणा कंट्री, मैप्सको सोसायटी और टाइम्स रेजीडेंसी में डिलीवरी की जा रही है। 

ड्रोन से डिलीवरी कर रही कंपनी टीशा के सीईओ व संस्थापक किशन तिवारी ने बताया कि एक किमी तक की दूरी पर सामान डिलीवरी करने पर तीन मिनट का समय लगता है। यही काम दोपहिया वाहन में 10 से 15 मिनट ले लेता है। यानी ड्रोन के जरिये आने-जाने और डिलीवरी में करीब 10 मिनट लगेंगे। दोपहिया में 20 से 30 मिनट लगेंगे। ईंधन का उपयोग करने वाले दोपहिया में खर्च अधिक आएगा, जबकि ड्रोन में सिर्फ बैटरी चार्ज करनी है।

एक कपल को पहुंचाई रिंग

ड्रोन से तेज डिलीवरी के कई बार ऐसे यादगार लम्हे भी लोगों के जीवन में जुड़ गए हैं कि वे तकनीक को बार-बार धन्यवाद देना नहीं भूलते। ऐसा ही वाकया दीक्षा-अनुभव के साथ हुआ। इनकी सगाई थी, अनुभव सगाई की अंगूठी लाना भूल गए थे। तभी ड्रोन से तुरंत रिंग मंगवाई। दीक्षा और अनुभव कहते हैं, स्काई एयर की तीव्र और सुगम ड्रोन डिलीवरी सेवा के साथ हमें महज तीन मिनट में आयोजन वेन्यू पर अंगूठी मिल गई। हमारे लिए ये यादगार अनुभव है।

जैसे हवाई जहाजे के लिए एटीसी, ड्रोन के लिए यूटीएम

लोगों के मन में सवाल रहता है कि एक ही स्थान पर एक ही समय पर यदि दो कंपनियों द्वारा अपने अपने ड्रोन से सामान की डिलीवरी की गई तो ऐसी स्थिति में ड्रोन क्या आपस में टकरा सकते हैं, क्योंकि उनके आने का रास्ता एक निश्चित समय पर एक ही हो जाएगा और जगह भी एक ही होगी जहां वह उतरेगा। इस सवाल को जब किशन तिवारी से पूछा तो उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं होगा। 

जिस तरह एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल से विमान के उतरने और उनके रास्ते की निगरानी की जाती है, ठीक उसी तरह ड्रोन के लिए मानवरहित एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट की व्यवस्था है। आने वाला समय ड्रोन से डिलीवरी का है। रही बात सुरक्षा और निजता की तो डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन के दिशानिर्देश के तहत ड्रोन से डिलीवरी के लिए सभी सुरक्षा इंतजाम और लोगों की निजता का पूरा ख्याल रखा जाता है। ड्रोन में कैमरे नहीं लगे होते हैं, जिससे किसी की निजता भंग नहीं होती।

साइबर अटैक भी चिंता का विषय

ड्रोन बनाने वाली कंपनी क्यूबावे के संस्थापक सदस्य अनजर खान ने बताया कि साइबर अटैक भी एक चिंता का विषय है। यदि कोई हैकर ड्रोन को हैक कर ले तो सामान कहीं और डिलीवर करा सकता है। साइबर अटैक से निपटने को कंपनी द्वारा दिल्ली पुलिस के सहयोग से साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। ये आखिरी चरण में हैं, जिसके बाद ये समस्या हल हो जाएगी।

एनसीआर में ये कंपनियां कर रहीं डिलीवरी

एनसीआर में स्काई एयर, टेक ईगल और टीशा कंपनी द्वारा डोर स्टेप डिलीवरी की जा रही है। टीशा के किशन तिवारी ने बताया कि उनकी कंपनी द्वारा नोएडा, गुरुग्राम, बल्लभगढ़ में दवाएं, ब्लड सैंपल व इलेक्ट्रानिक सामान की डिलीवरी की जा रही है।

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