हेमंत सोरेन की तरह केजरीवाल को इस लोकसभा चुनाव में क्यों नहीं मिली सफलता? असली वजह आई सामने
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तरह दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal News) को इस लोकसभा चुनाव में बड़ी सफलता नहीं मिली। इस प्रयास में जहां सोरेन की पार्टी बहुत हद तक सफल रही वहीं केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को वो सफलता नसीब नहीं हुई। बता दें दोनों ही नेता को भ्रष्टाचार के आरोप में ईडी ने गिरफ्तार किया था।
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। (Delhi Politics Hindi News) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड (Jharkhand News) के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी इस लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा था। आम आदमी पार्टी (आप) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) दोनों ने ही अपने-अपने नेताओं की गिरफ्तारी को गलत बताते हुए जनता से सहानुभूति लेने की भरसक कोशिश की।
इस प्रयास में जहां सोरेन (Hemant Soren) की पार्टी बहुत हद तक सफल रही, वहीं केजरीवाल की पार्टी को निराशा ही हाथ लगी। राजनीति के जानकार इसके लिए केजरीवाल का गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री पद न छोड़ने और अंतरिम जमानत पर चुनाव प्रचार के लिए जेल से बाहर आने को एक बड़ी वजह मानते हैं।
सोरेन के पक्ष में सहानुभूति लहर का नतीजा यह रहा कि लोकसभा चुनाव में झारखंड में आदिवासियों के लिए आरक्षित सभी पांच सीटों पर आइएनडीआइए प्रत्याशियों को जीत मिली। यही नहीं, सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी विधानसभा उपचुनाव जीत गईं। वहीं, आप को दिल्ली में न ही कोई सीट मिली और न ही प्रदर्शन में कोई सुधार हुआ।
चुनाव की घोषणा से पहले फरवरी माह में ही सोरेन को भ्रष्टाचार के आरोप में ईडी ने गिरफ्तार किया था। उन्होंने लोकतांत्रिक मर्यादा का पालन करते हुए गिरफ्तारी से पहले अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। उनकी गिरफ्तारी के अगले माह ही चुनाव (lok sabha chunav results 2024)की घोषणा के बाद केजरीवाल को आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन केजरीवाल ने मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ा। पार्टी ने भी घोषणा कर दी कि केजरीवाल जेल से दिल्ली की सरकार चलाएंगे।
केजरीवाल (Arvind Kejriwal News) की गिरफ्तारी को सहानुभूति में बदलने के लिए आप ने अपना चुनाव प्रचार जेल का जवाब वोट से...नारे पर केंद्रित रखा। सलाखों के पीछे कैद केजरीवाल की प्रतीकात्मक तस्वीर के साथ पार्टी ने चुनाव प्रचार किया। जनता की सहानुभूति मिले, इसके लिए उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल को भी चुनाव प्रचार में उतारा गया। इससे दिल्लीवासियों में उनके प्रति सहानुभूति दिखने भी लगी थी।
इस बीच, अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई। 21 दिनों तक जेल में न्यायिक हिरासत में रहने के बाद बाहर आने पर केजरीवाल ने दिल्ली में आप और कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए कई रोड शो व चुनावी कार्यक्रम किए। वह चुनाव प्रचार में यह कहकर वोट मांग रहे थे कि यदि दिल्लीवासियों ने उनकी पार्टी के पक्ष में मतदान किया तो उन्हें वापस जेल नहीं जाना पड़ेगा।
पंजाब में भी उन्होंने आप प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया, लेकिन नतीजे आए तो उनके पक्ष में सहानुभूति दिखाई नहीं दी। दिल्ली में न तो उनकी पार्टी को कोई सीट मिली और न ही गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को कोई लाभ हुआ। पंजाब में भी आप का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा। वहां सरकार रहने के बावजूद आप 13 में से मात्र तीन सीटें ही जीत सकी।एक जैसी परिस्थिति होने के बाद भी सोरेन की तरह केजरीवाल जनता की सहानुभूति हासिल नहीं कर सके, इसका कारण जेल से सरकार चलाने की उनकी जिद को माना जा रहा है। इसी वजह से दिल्ली में महापौर का चुनाव सहित कई जरूरी काम नहीं हो सके।
भाजपा इस मुद्दे को आक्रामक तरीके से उठाकर जनता को यह बताने में सफल रही कि मुख्यमंत्री को दिल्लीवासियों की चिंता नहीं है। अंतरिम जमानत मिलने के बाद जनता के बीच उनके पहुंचने से सहानुभूति और कम होती चली गई। वहीं, सोरेन को अंतरिम जमानत नहीं मिलने से झारखंड के लोगों, विशेषकर आदिवासियों में उनके प्रति सहानुभूति और बढ़ गई।
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-वीरेंद्र सचदेवा, अध्यक्ष, दिल्ली प्रदेश भाजपा