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Election 2024: हवा-हवाई निकले वादे, पीना तो छोड़ो नहाने लायक नहीं हो सकी यमुना; इन परियोजनाओं के पूरा होने पर मिलेगी राहत

तमाम वादों के बावजूद दिल्ली में यमुना की हालत में बदलाव नहीं आया है। पानी अब भी प्रदूषित है। अनियोजित विकास और प्रदूषण की वजह से नदी मृत प्राय हो गई है। सरकारों ने नदी को साफ करने का वादा तो किया लेकिन अभी धरातल पर हालात कुछ और हैं। दूषित पानी और इससे होने वाली खेती की वजह से स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Wed, 20 Mar 2024 12:31 PM (IST)
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स्वस्थ एवं समृद्ध जीवन को जरूरी स्वच्छ यमुना। फाइल फोटो।

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। यमुना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की जीवन रेखा है। इसने दिल्ली को बसाया और विकसित किया। इसका पानी लोगों की प्यास बुझाने के साथ ही उनकी समृद्धि में सहायक रहा है।

कृषि और मछली पालन सहित कई तरह की आर्थिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों से लोग जीविकोपार्जन करते रहे हैं लेकिन अब स्थिति बदल गई है। सरकारें यमुना को स्वच्छ करने का दम तो भरती हैं लेकिन जनता की आकांक्षाओं पर खरी नहीं उतरती हैं।

नहाने लायक नहीं बचा यमुना का पानी

अनियोजित विकास, भ्रष्टाचार और लालच के कारण यह पवित्र नदी मृत प्राय हो गई है। राजधानी में इसका पानी पीने लायक तो दूर नहाने लायक तक नहीं बचा है। इससे पेयजल संकट, दूषित भूजल, पारिस्थितकी तंत्र को नुकसान और दूषित जल से हो रही कृषि के कारण स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां सामने आ रही हैं। अगर समय रहते इस नदी को स्वच्छ एवं अविरल करने के लिए ठोस प्रयास नहीं हुए तो एनसीआर के लोगों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

यमुना को तीन हिस्सों में किया गया है वर्गीकृत

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत यमुना को तीन हिस्सों में वर्गीकृत किया गया है। यमुनोत्री से हथिनीकुंड बैराज तक बिना प्रदूषण वाला, हथिनीकुंड से पल्ला तक मध्यम स्तर का और उससे आगे पल्ला तक यमुना का पानी बेहद प्रदूषित है। इससे यमुना किनारे उगाई जा रहीं सब्जियों में हानिकारक तत्व पहुंच रहे हैं। इन सब्जियों का सेवन करने से याददाश्त संबंधी परेशानी के साथ ही फेफड़े, मस्तिष्क और पेट के कैंसर सहित अन्य स्वास्थ्य संबंधित गंभीर परेशानी हो सकती हैं।

ये परियोजनाएं पूरी हों तो ही मिलेगी राहत

यमुना को साफ करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं, लेकिन उनका काम धीमी गति से चल रहा है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की ओर से अक्टूबर में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को दी रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और जल बोर्ड की परियोजनाएं जैसे कि सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) का निर्माण, नालों के मुंह पर जाली लगाना, अनधिकृत कालोनियों में सीवर लाइन बिछाना, सीवर से गाद निकालने, यमुना डूब क्षेत्र को बहाल करने जैसे कार्य में देरी हो रही है।

एसटीपी के निर्माण में छह माह से एक वर्ष का विलंब चल रहा है। ये योजनाएं पूरी हों तो बड़ी राहत मिलेगी।पिछले वर्ष दिसंबर तक दिल्ली में कुल सीवेज उपचार क्षमता 814 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रतिदिन) करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। अभी मात्र 565 एमजीडी सीवेज को शोधित किया जाता है। इस वर्ष इनकी क्षमता बढ़ाकर 922 एमजीडी करने का लक्ष्य है।

यमुना साफ हो, तो बुझेगी एनसीआर की प्यास

यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ने से अक्सर दिल्ली में जल संकट उत्पन्न हो जाता है। नदी में बढ़ते प्रदूषण का असर गुरुग्राम और फरीदाबाद पर भी पड़ रहा है। फरीदाबाद में यमुना नदी के किनारे बने बरसाती कुएं मानक पर खरे नहीं उतरे हैं। गुरुग्राम में भी पेयजल संकट बना है।

पर्यावरणविद् लीलाधर शर्मा बताते हैं कि यदि यमुना प्रदूषित नहीं होती, तो फरीदाबाद और गुरुग्राम में कभी पेयजल संकट नहीं होता। ओखला बैराज पर यमुना से आगरा और गुरुग्राम दो कैनाल को पानी दिया जाता है। करीब 20 वर्ष पहले आगरा कैनाल और गुरुग्राम कैनाल का पानी निर्मल हुआ करता था। अब ओखला बैराज से आगरा और गुरुग्राम कैनाल में एकदम गंदा पानी आता है।

कम हो रही है उर्वरा शक्ति

यमुना का जल स्तर बढ़ने और सिंचाई में नदी के पानी के उपयोग से तटवर्ती क्षेत्र की मिट्टी में जहर घुल रहा है। भूजल भी दूषित हो रहा है, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो रही है।

समस्या के कारण

  • यमुना में दिल्ली और हरियाणा से उत्पन्न होने वाले स्रोतों के कारण प्रदूषण हो रहा है
  • नदी में नाले गिर रहे, नियमित रूप से गाद नहीं निकाल रहे, डूब क्षेत्र में अतिक्रमण
  • 48 किमी के दायरे में यमुना पल्ला से ओखला बैराज तक दिल्ली में बहती है
  • 76 प्रतिशत प्रदूषण वजीराबाद से असगरपुर तक 26 किमी के दायरे में होता है
  • 22 बड़े नालों में से महज 10 का ही पानी शोधित कर यमुना में गिराया जा रहा
  • 37 एसटीपी राजधानी में स्थित हैं। महज 10 ही निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं
  • 2.0% क्षेत्र में यमुना दिल्ली में बहती है
  • 31.5% एमजीडी सीवरेज एसटीपी से नहीं हो पाता शोधित

सांसदों से अपेक्षा

समस्या पर ध्यान देने की जगह दिल्ली, हरियाणा और केंद्र के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति होती रही है। दिल्ली सरकार आरोप लगाती है कि हरियाणा की औद्योगिक इकाइयों के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। हरियाणा सरकार इस आरोप से इन्कार करती रही है। एनसीआर के सभी सांसदों को डीडीए एवं अन्य एजेंसियों पर दबाव डालकर यमुना डूब क्षेत्र से अतिक्रमण हटवाने का प्रयास और परियोजनाओं को समय पर पूरा कराने में आने वाली बाधाओं दूर करने के लिए काम करना होगा।

स्वच्छ यमुना के लिए सरकार के प्रयास

  • 1993-94 में पहला यमुना एक्शन प्लान आया
  • 2002 में दूसरा यमुना एक्शन प्लान आया
  • 2012 में तीसरा चरण आया लेकिन यमुना आज तक साफ नहीं हुई

कोरोना काल में लॉकडाउन लगने पर यमुना ने अपने आप को साफ कर लिया क्योंकि औद्योगिक गतिविधियां बंद हो गई थीं। हथिनी कुंड से पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ा गया था, जिससे यमुना साफ होती चली गई थी।

यमुना नदी के कायाकल्प के लिए एनजीटी की ओर से जनवरी 2023 में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की अध्यक्षता में पिछले वर्ष उच्च-स्तरीय समिति (एचएलसी) गठित की थी। नजफगढ़ ड्रेन सहित यमुना के कुछ क्षेत्र की सफाई अभियान शुरू किया गया था। बाद में, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली के मुख्य सचिव को समिति का अध्यक्ष बनाया गया।

ओखला में बन रहे एशिया के सबसे बड़े एसटीपी का काम अंतिम चरण में है। इससे 124 एमजीडी सीवेज शोधित हो सकेगा। कोंडली और सोनिया विहार में भी एसटीपी का काम चल रहा है। 20 एसटीपी का उन्नयन कार्य चल रहा है।

कालिंदी कुंज के नजदीक जैव विविधता पार्क सहित यमुना तट को संवारने के लिए असिता ईस्ट, बांसेरा जैसी 10 परियोजनाओं पर काम हुआ। नदी और इसके तट साफ होने से पर्यटन एवं अन्य आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

मूर्ति विसर्जन पर रोक।

यमुना एक्शन प्लान तीन के अंतर्गत दिल्ली जल बोर्ड द्वारा जनजागरण अभियान चलाया जा रहा है। जैव रसायन ऑक्सीजन मांग (बीओडी) तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से कम, घुलनशील आक्सीजन (डीओ) पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक करने का लक्ष्य है। दिल्ली में अभी बीओडी कई स्थानों पर 73 मिलीग्राम प्रति लीटर और डीओ शून्य तक है।

यहां यमुना में सीधे गिर रहा नाले का पानी

दिल्ली गेट नाला, सेन नर्सिंग होम नाला, सोनिया विहार, आइएसबीटी (मोरी गेट) नाला, जैतपुर नाला, तुगलकाबाद नाला, कैलाश नगर नाला, शास्त्री पार्क ड्रेन, बारापुला और महरानी बाग नाले का पानी सीधे यमुना में गिर रहा है। यमुना में 70 प्रतिशत प्रदूषण के लिए नजफगढ़ ड्रेन जिम्मेदार है।

इसमें गुरुग्राम से निकलने वाले तीन नालों से 40 प्रतिशत प्रदूषण होता है। साथ ही हरियाणा से बड़ी मात्रा में औद्योगिक कचरा इसमें गिराया जा रहा है। राजधानी में यमुना नदी डूब क्षेत्र पांच से 10 किलोमीटर है। अनियोजित विकास एवं अतिक्रमण के कारण आइटीओ सहित कई स्थानों पर नदी का डूब क्षेत्र नहीं बचा है।

नोट: खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के मानक पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) में हैं।

यमुना की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचने के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। जैव विविधता को नुकसान पहुंच रहा है। कभी इस नदी और इसके किनारों पर कई प्रकार की मछली, अन्य जीव-जंतु एवं पौधे मिलते थे। प्रदूषण के कारण सब समाप्त हो गए। पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो रहा है। आर्द्रता में कमी आ रही है। जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए नदी को बचाना जरूरी है। इससे तापमान नियंत्रित रहेगा। इसके लिए पूरी योजना तैयार करनी होगी और जैव विविधता पार्क सबसे आदर्श उपाय है। इससे नदी का जल भूमि संरक्षित होगा। भूजल स्तर में सुधार होने से पेयजल संकट भी दूर होगा। स्थानीय स्तर पर सीवेज उपचार पर ध्यान देना चाहिए।

- फैयाज खुदसर (पर्यावरणविद)

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