Lok Sabha Elections: AAP-कांग्रेस गठबंधन पर पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने बड़ी चुनौती! कैसे एक-दूसरे के लिए मांगेंगे वोट
आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर हो रही बैठकों से नेताओं-कार्यकर्ताओं दोनों में ही खासी उलझन है। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के साथ खासे सक्रिय रहे अशोक भसीन इस गठबंधन को कांग्रेस के लिए लाभकारी नहीं मानते। वह कहते हैं कि जो पार्टी कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव में आप उम्मीदवार के लिए वोट मांगेगा वह आठ महीने बाद विधानसभा चुनाव में उसी पार्टी की खिलाफत कैसे कर पाएगा?
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर हो रही बैठकों से नेताओं-कार्यकर्ताओं दोनों में ही खासी उलझन है। यहां की सातों लोकसभा सीटों के परिणाम को लेकर भी तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने जहां चुप्पी साध रखी है, तो वहीं दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ता गफलत में हैं कि एक-दूसरे के लिए प्रचार कैसे कर पाएंगे और कैसे वोट मांग पाएंगे!
49 दिन चली थी आप-कांग्रेस सरकार
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को सियासी तौर पर खत्म करके ही दिल्ली की सत्ता हासिल की थी। पहली बार आप ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में सरकार बनाई तो वह भी 49 दिन से ज्यादा नहीं चल सकी। इसके बाद फिर कांग्रेस विधानसभा और लोकसभा में अपना खाता तक नहीं खोल पाई।अब एक बार फिर आप और कांग्रेस एकजुट होने में लगे हैं। दिलचस्प यह कि अभी भी दोनों की यह एकजुटता सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए है। फरवरी 2025 का विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियों अलग लड़ना चाहती हैं। आलम यह कि वरिष्ठ कांग्रेसी कुछ नहीं बोल पा रहे, जिससे भी बात करो, चुप्पी साध लेता है।
शीला दीक्षित के करीबी ने कही ये बात
नार्थ दिल्ली रेजीडेंट वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के साथ भागीदारी योजना में खासे सक्रिय रहे अशोक भसीन इस गठबंधन को कांग्रेस के लिए लाभकारी नहीं मानते। वह कहते हैं कि जो पार्टी कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव में आप उम्मीदवार के लिए वोट मांगेगा, वह आठ महीने बाद विधानसभा चुनाव में उसी पार्टी की खिलाफत कैसे कर पाएगा?
कार्यकर्ता के लिए तो जनता के बीच अपना चेहरा दिखाना मुश्किल हो जाएगा। इस गठबंधन से पार्टी को विधानसभा चुनाव में भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं कांग्रेस से आप में आए और वर्तमान में पदाधिकारी के रूप में सत्तारूढ पार्टी के साथ जुड़े एक नेता-कार्यकर्ता ने कहा कि समस्या तो है ही, खासतौर पर कांग्रेसियों के लिए।
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आप कार्यकर्ता फिर भी अरविंद केजरीवाल के कार्यकर्ता हैं, जैसा वह कहेंगे, मान लेंगे, लेकिन कांग्रेस के समक्ष उलझन बनी रहेगी। जरूरी नहीं कि सभी कार्यकर्ता आप के समर्थन में आ ही जाएं। वहीं शीला दीक्षित सरकार में पहले शिक्षा मंत्री और बाद में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके, वर्तमान में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. योगानंद शास्त्री भी इस उलझन से इत्तेफाक रखते हैं। वे कहते हैं सियासी नफा-नुकसान नेताओं की समझ में आता है, कार्यकर्ताओं को नहीं। वह तो कहीं ना कहीं विचारधारा से जुड़े रहते हैं।
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