Lok Sabha Elections 2024: कार्यकर्ताओं की नाराजगी पड़ी भारी, इन वजहों से BJP के चार सांसदों का कटा टिकट
दिल्ली में प्रत्याशियों के चयन के लिए पार्टी लोकसभा क्षेत्र के पदाधिकारियों से सुझाव लेने के साथ ही नमो एप पर आम जनता की प्रतिक्रिया और पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे को आधार बनाया गया। बताते हैं कि दिल्ली के अधिकांश सांसदों के कामकाज से कार्यकर्ता संतुष्ट नहीं थे। यही कारण है कि इनके टिकट कटने की चर्चा पिछले कई दिनों से चल रही थी।
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। भाजपा सांसदों को कार्यकर्ताओं से दूरी भारी पड़ गई। कार्यकर्ताओं में उनके काम करने के तरीके से नाराजगी थी, जिसे पार्टी नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। शनिवार को पार्टी द्वारा सात में से पांच लोकसभा सीटों नई दिल्ली, चांदनी चौक, दक्षिणी दिल्ली, उत्तर पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली पर अपने प्रत्याशी घोषित किए। उत्तर पूर्वी को छोड़कर अन्य चार सीटों पर नए उम्मीदवार उतारे गए हैं।
प्रत्याशियों के चयन के लिए पार्टी लोकसभा क्षेत्र के पदाधिकारियों से सुझाव लेने के साथ ही नमो एप पर आम जनता की प्रतिक्रिया और पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे को आधार बनाया गया। बताते हैं कि दिल्ली के अधिकांश सांसदों के कामकाज से कार्यकर्ता संतुष्ट नहीं थे। यही कारण है कि इनके टिकट कटने की चर्चा पिछले कई दिनों से चल रही थी। दैनिक जागरण ने 27 फरवरी और दो मार्च के अंक में भी सांसदों के टिकट कटने और दावेदारों को लेकर खबर दी थी।
कार्यकर्ता केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी, प्रवेश वर्मा और डॉ. हर्षवर्धन से संपर्क नहीं होने की शिकायत करते रहे हैं। संपर्क नहीं होने के कारण उन्हें क्षेत्रवासियों के काम कराने में परेशानी होती है। रमेश बिधूड़ी से जनता का संपर्क रहता है, लेकिन उनके व्यवहार को लेकर कुछ कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी। पिछले वर्ष मई-जून में पार्टी द्वारा जनता के बीच चलाए गए संपर्क अभियान के बाद से इन सांसदों के व्यवहार में कुछ बदलाव हुआ था, लेकिन कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर नहीं कर सके। वर्मा और बिधूड़ी अपने बयान को लेकर भी विवादित रहे हैं।
विधानसभा और निगम चुनाव में रहा था खराब प्रदर्शन
विधानसभा और नगर निगम चुनाव में भी सांसद अपने क्षेत्र में प्रत्याशियों को जीत दिलाने में असफल रहे। पश्चिमी दिल्ली, चांदनी चौक और नई दिल्ली से एक भी विधायक नहीं है। भाजपा के इस समय सिर्फ आठ विधायक हैं। इनमें से उत्तर पूर्वी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली से तीन-तीन और दक्षिणी दिल्ली व उत्तर पश्चिमी दिल्ली से एक-एक विधायक हैं। निगम चुनाव में भी अधिकांश सांसदों के क्षेत्र में प्रदर्शन निराशाजनक रहा था।
नई दिल्ली की 25 वार्डों में से सिर्फ पांच, पश्चिमी दिल्ली में 38 में से 13, उत्तर पश्चिमी में 43 में से 14, दक्षिणी दिल्ली के 37 में से 13 और चांदनी चौक में 30 में से 16 वार्डों में जीत मिली थी। वहीं, पूर्वी दिल्ली के 36 में से 22 और उत्तर पूर्वी में 41 में से 21 वार्डों में भाजपा के प्रत्याशी जीते थे।
पूर्वांचलियों को साधने के लिए मनोज तिवारी को टिकट
भाजपा ने मनोज तिवारी पर एक बार फिर से विश्वास जताया है। इसका एक कारण दिल्ली में पूर्वांचलियों की बड़ी संख्या है। पार्टी इन्हें साधने के लिए तिवारी को पूर्वांचल का चेहरा के रूप में पेश करती है। पार्टी के स्टार प्रचारक हैं। क्षेत्र में सांसद कार्यालय बनाकर क्षेत्रवासियों के संपर्क में रहने का भी उन्हें लाभ मिला। विधानसभा और निगम चुनाव में अन्य सांसदों की तुलना में उत्तर पूर्वी दिल्ली में बेहतर प्रदर्शन रहा था।
पहली बार दो महिलाओं को मैदान में उतारा
भाजपा ने पहली बार दिल्ली में दो महिलाओं को लोकसभा चुनाव का टिकट दिया है। पिछले वर्ष संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित किया गया था। कमलजीत सहरावत और बांसुरी स्वराज को मैदान में उतारकर पार्टी ने यह संदेश देने की कोशिश की है वह महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने को लेकर गंभीर है। प्रत्याशियों के चयन में जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है। वर्तमान सांसद का टिकट काटकर उसी वर्ग के नेता को प्रत्याशी बनाया गया है।
बांसुरी को टिकट देने के पीछे यह है वजह
मीनाक्षी लेखी की जगह नई दिल्ली से बांसुरी को टिकट देकर पार्टी ने महिलाओं व पंजाबी दोनों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है। इसी तरह से पश्चिमी दिल्ली में जाट नेता प्रवेश वर्मा की जगह जाट महिला नेता कमलजीत को मैदान में उतारा है। चांदनी चौक से डॉ. हर्षवर्धन की जगह वैश्य समाज के नेता प्रवीण खंडेलवाल को टिकट दिया है। दक्षिणी दिल्ली से रमेश बिधूड़ी के स्थान पर दूसरे गुर्जर नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी को प्रत्याशी बनाया है।