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महिला शक्ति वंदन अधिनियम: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देने दिल्ली की सड़कों पर उतरी महिलाएं

Women Reservation Bill महिला आरक्षण बिल पिछले 27 वर्षों से लटका हुआ है। इसे पहली बार 12 सितंबर 1996 को एचडी देवगौड़ा की सरकार ने पेश किया था। हालांकि उस वक्त ये बिल पास नहीं हो सका था। इस विधेयक में प्रावधान है कि लोकसभा दिल्ली विधानसभा और सभी राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।

By Nimish HemantEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Wed, 20 Sep 2023 04:15 PM (IST)
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देने दिल्ली की सड़कों पर उतरी महिलाएं
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Women Reservation Bill : ऐतिहासिक और दशकों के इंतजार के बाद नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा संसद में रखे गए महिला शक्ति वंदन अधिनियम को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं का उत्साह देखते ही बन रहा है।

वह बुधवार को कड़ी धूप और उमस के बीच दिल्ली के 20 से अधिक स्थानों पर सड़कों पर उतर कर इस विधेयक के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दे रही हैं। वह कह रही है कि मोदी हैं तो हर असंभव भी संभव है।

वैसे, कई महिलाओं ने संसद भवन के नजदीक जाकर प्लेकार्ड और नारों के जरिए मोदी सरकार को धन्यवाद देना चाहती थी, लेकिन नई दिल्ली क्षेत्र में धारा 144 लागू होने के चलते उन्हें रेलवे भवन के नजदीक ही प्रदर्शन की अनुमति दी गई।

मोदी ने किया महिलाओं को शक्ति देने का काम- भाजपा

इसका नेतृत्व दिल्ली भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष रिचा पांडे मिश्रा कर रही थी। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक मौका है, जब 33 प्रतिशत महिला आरक्षण पर 30 सालों की चर्चा के बाद इस विधेयक के पारित होने का अवसर नजदीक है।

महिलाओं ने शासन में 33 प्रतिशत महिलाओं की भागेदारी के लिए नारी शक्ति वंदन विधेयक को संसद पटल पर रखा गया है। इससे महिलाओं को शक्ति देने का काम मोदी ने किया है। प्रदर्शन में साउथ एक्स से आई रजनी, अर्चना समेत अन्य थी। यह धन्यवाद प्रदर्शन दोपहर 12 बजे तक चलेगा।

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बता दें कि संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक में प्रावधान है कि लोकसभा, दिल्ली विधानसभा और सभी राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगी।

यानी कि महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित होंगी। इस ऐतिहासिक बदलाव के बाद से सक्रिय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेंगी। इस कानून के बाद लोकसभा में कम से कम 181 महिला सांसद चुनकर आएंगी, फिलहाल सदन में महिला सदस्यों की संख्या 82 है।

27 वर्षों से लटका है विधेयक

महिला आरक्षण बिल पिछले 27 वर्षों से लटका हुआ है। इसे पहली बार 12 सितंबर 1996 को एचडी देवगौड़ा की सरकार ने पेश किया था। हालांकि, उस वक्त ये बिल पास नहीं हो सका था। इसके बाद भी तमाम सरकारों ने इसे कानून का रूप देने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए।

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