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Pradhan Mantri Sangrahalaya: आसान नहीं था प्रधानमंत्री संग्रहालय को युवाओं के लिए आकर्षक बनाना

Pradhan Mantri Sangrahalaya देश की राजधानी दिल्ली में बनाए गए प्रधानमंत्री संग्रहालय का निर्माण एनएमएमएल के सहयोग से टैगबिन नामक तकनीक प्रदाता कंपनी ने किया है। यहां पर 80 प्रतिशत से अधिक काम डिजीटल तकनीक से हुआ है।

By Nemish HemantEdited By: JP YadavUpdated: Wed, 27 Apr 2022 08:50 AM (IST)
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Pradhan Mantri Sangrahalaya: आसान नहीं था प्रधानमंत्री संग्रहालय को युवाओं के लिए आकर्षक बनाना
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात में पीएम संग्रहालय को युवाओं के आकर्षण का केंद्र बताया है साथ ही उनसे आग्रह किया कि वे वहां जाएं। पीएम की यह बातें अनायास नहीं है। हकीकत में यह संग्रहालय युवाओं के आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। यहां आकर युवा "चमत्कारिक' और "शानदार' जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे आम संग्रहालयों की तरह कागजी दस्तावेजों और वस्तुओं का घर नहीं बनाया गया है, बल्कि 80 प्रतिशत से अधिक काम डिजीटल तकनीक से हुआ है। तकनीक ऐसा जो पहले देखने को नहीं मिली है।

इस तरह यह अत्याधुनिक डिजीटल तकनीक, कला, मनोरंजन और इतिहास का अनूठा संगम है। जहां न केवल अब तक के देश के प्रधानमंत्रियों की राजनीतिक यात्रा, उनकी सरकार के निर्णयों और उनके वक्त में हुए महत्वपूर्ण घटनाक्रमों की जानकारी मिलती है, बल्कि उनके साथ स्वतंत्र भारत की विकासगाथा भी साथ चलती रहती है। महत्वपूर्ण यह कि दो से छह घंटे की इस यात्रा में दर्शकों की तंद्रा भंग नहीं होती, बल्कि नए-नए रोमांच के साथ जानकारियां सामने आती रहती है।

चाणक्यपुरी स्थित नेहरू मेमोरियल संग्रहालय व पुस्तकालय (एनएमएमएल) परिसर में बने इस संग्रहालय में नेहरू से लेकर डा. मनमोहन सिंह तक के राजनीतिक सफर को उनकी दीर्घा (गैलरी) के माध्यम से दर्शाया गया है। इसी तरह संविधान निर्माण की यात्रा व उसमें डा. भीमराव आंबेडकर के योगदान के साथ प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद व आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाष चंद बोस के बारे में आकर्षक तरीके से जानकारी मिलती है।

प्रधानमंत्री संग्रहालय का निर्माण एनएमएमएल के सहयोग से टैगबिन नामक तकनीक प्रदाता कंपनी ने की है। इसके सीइओ सौरभ भैक कहते हैं कि इसे बनाना आसान नहीं था। बड़ा सवाल सही जगह पर सही तकनीक का इस्तेमाल करने का था ताकि विषय की गंभीरता बनाए रखने के साथ युवाओं के लिए रोचकता रहे। साथ ही 15 प्रधानमंत्रियों को एक छत के नीचे समुचित जगह देनी थी। इसलिए अत्याधुनिक तकनीक का प्रचुर प्रयोग किया गया है।

इन तकनीक का हुआ है प्रयोग

पूरे संग्रहालय में सभी दीर्घाओं में 300 से अधिक एग्जीबिट लगे हुए हैं, जिसमें वर्टिकल स्क्रीन, रोटोस्कोप तकनीक, टच स्कीन, लेयर्ड इंर्फोमेशन, इंटीग्रेटेड इंर्फोमेशन, स्लाइड विद टेक्स्ट, सेल्फी आगमेंटेड रियल्टी (एयू), वर्चुअल रियल्टी, इमर्सिव रियल्टी जैसी अन्य तकनीक है। जो दर्शकों को शानदार अनुभव के साथ जानकारियां और उस समय के घटनाक्रमों का लाइव आभास दे रहे हैं।

इस संबंध में टैगबिन की कंटेंट हेड गरिमा संजय बताती है कि ये सभी प्रतदर्शित सामान कोडिंग से काम करते हैं। इसके संचालन और निगरानी के लिए 55 दक्ष लोगों की टीम है। इसी तरह कलाकृतियों में मीडियम डेंसिटी फायरबोर्ड (एमडीएफ) कटआउट, पेपर, चुंबक और अन्य सामानों का इस्तेमाल किया गया है। चुंबक के द्वारा घूमता राष्ट्रचिन्ह है तो काइनेटिक तकनीक से तिरंगे झंडे को आभास देती बल्ब गलियारे में लयबद्ध तरीके से ऊपर नीचे होती रहती है।

परमाणु परीक्षण की वास्तविक अनुभूति

वर्ष 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था। उसकी वास्तविक अनुभूति कराने के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है, जिसमें वर्चुअल विष्फोट होने के साथ धरती हिलने लगती है। इसी तरह टाइम जोन दीर्घा में पिछले के घटनाक्रमों तथा हेलीकाप्टर पर भविष्य के भारत का वास्तविक जैसा अनुभव कराया गया है।

पीएम के साथ ले तस्वीर

बच्चों और युवाओं को लुभाने के लिए विशेष अनुभूति जोन बनाया गया है, जिसमें सेल्फी आगमेंटेड रियल्टी (एयू) के जरिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व लाल बहादुर शास्त्री समेत अन्य किसी भी पीएम के साथ फोटो ली जा सकती है। इसी तरह उनके द्वारा हस्ताक्षरित पत्र भी लिया जा सकता है। इसी तरह सेल्फी के साथ डिजीटल विजिटर बुक, हम सबसाथ है का संदेश देने वाला हाथ जैसी ऐसी तमाम तकनीक है, जो युवाओं को खास तौर से आकर्षित करती है। इनके बीच जय जवान किसान का नारा देते हुए किसान और जवान की प्रतिकृति, 1965 के युद्ध को वास्तविक स्वरूप देती कलाकृतियां भी है।

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