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Manish Sisodia की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों के वकीलों के बीच हुई जोरदार बहस, अदालत ने सुरक्षित रखा फैसला

आबकारी घोटाला मामले में मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री राज्यसभा सदस्य समेत कई आप नेताओं के बाद अब ईडी ने आम आदमी पार्टी पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने दिल्ली हाई कोर्ट को कहा कि आने वाले दिनों में मामले में आम आदमी पार्टी (आप) को औपचारिक रूप से आरोपित बनाया जाएगा।

By Pooja Tripathi Edited By: Pooja Tripathi Updated: Wed, 15 May 2024 07:07 PM (IST)
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मनीष सिसोदिया की जमानत पर फैसला सुरक्षित। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आबकारी घोटाला मामले में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, राज्यसभा सदस्य समेत कई आप नेताओं के बाद अब ईडी ने आम आदमी पार्टी पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने दिल्ली हाई कोर्ट को कहा कि आने वाले दिनों में मामले में आम आदमी पार्टी (आप) को औपचारिक रूप से आरोपित बनाया जाएगा।

ईडी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा के समक्ष कहा कि जांच एजेंसी जल्द ही इस संबंध में पूरक आरोप पत्र दाखिल करेगी।

सिसोदिया जमानत पर रिहा होने के हकदार

वहीं, दूसरी तरफ सिसोदिया की तरफ से पेश हुए अधिवक्ताओं ने विभिन्न तर्कों के आधार पर कहा कि सिसोदिया जमानत पर रिहा हाेने के हकदार हैं। अदालत ने सीबीआई व ईडी के साथ सिसोदिया की तरफ से पेश की गई लंबी जिरह सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया।

सिसोदिया की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने तर्क दिया कि जहां तक सिसोदिया के भागने का कोई खतरा नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि सिसोदिया 14 महीने से अधिक समय से न्यायिक हिरासत में हैं।

माथुर ने तर्क दिया कि जांच एजेंसी इस तथ्य से बच नहीं सकती है कि आरोपपत्र दाखिल करने से पहले सिसोदिया को गिरफ्तार नहीं किया गया था।

सिसोदिया 26 फरवरी 2023 से न्यायिक हिरासत में हैं और निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक उनकी एक बार नियमित जमानत याचिका खारिज हो चुकी है।

वहीं, 30 अप्रैल को निचली अदालत ने सिसोदिया को सीबीआइ व ईडी मामले जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके विरुद्ध सिसोदिया ने हाईकोट में अपील दायर की है।

'सिसोदिया के विरुद्ध जल्द ट्रायल शुरू होने की संभावना नहीं'

सिसोदिया की तरफ से पेश हुए एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने तर्क दिया कि सिसोदिया के विरुद्ध जल्द ट्रायल शुरू होने की संभावना नहीं है। दोनों मामलों की जांच और गिरफ्तारियां जारी हैं।

मामले के ट्रायल में बिल्कुल भी प्रगति नहीं हुई है और वास्तव में हम मुकदमे के चरण तक भी नहीं पहुंचे हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि निचली अदालत मुकदमे में देरी के लिए सिसाेदिया को जिम्मेदार ठहराया, जबकि मामले में कुछ आवेदन ईडी और अन्य सह-अभियुक्तों द्वारा दायर किए गए थे।

उन्होंने आरोप लगाया कि मुकदमे में देरी के लिए ईडी जिम्मेदार है। उन्होंने तर्क दिया कि कार्यवाही के ठीक बीच में ईडी ने 500 पन्नों का दस्तावेज डालने की मांग की और अब छठी अनुपूरक शिकायत दायर की, लेकिन अदालत सिसाेदिया द्वारा दायर आवेदन पर चर्चा करती है।

'क्या न्यायाधीश के मन में पहले से थी ये धारणा कि....?'

मोहित माथुर ने भी इस मुद्दे पर कहा कि कहीं भी यह नहीं बताया गया है कि मैंने देरी में कैसे योगदान दिया है।

मुझे यह कहते हुए खेद है, लेकिन अगर न्यायाधीश इन शब्दों का उपयोग कर रहे हैं कि वे मिलकर काम कर रहे हैं, तो क्या न्यायाधीश वकील पर उंगली उठा रहे हैं या उनके मन में पहले से ही यह धारणा थी कि जेल में बैठे आरोपित साजिश रच रहे हैं?

निचली अदालत ने उक्त आदेश पूरी तरह से अनुच्छेद-21 और त्वरित सुनवाई के अधिकार के विपरीत है।

ईडी के वकील ने दीं ये दलीलें

वहीं, ईडी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने मोहित माथुर व दयान कृष्णन के तर्कों का प्रतिवाद किया कि सुप्रीम कोर्ट ने गुण-दोष के आधार पर सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने के लिए ट्रायल कोर्ट की शक्तियों को सीमित नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि शीघ्र सुनवाई का अधिकार उन कारकों में से एक होगा जिन पर अदालत विचार कर सकती है। उन्होंने सिसोदिया के इस दावे का भी खंडन किया कि मामले की प्रगति में किसी भी देरी के लिए ईडी जिम्मेदार है।

हुसैन ने कहा कि केवल 17 गिरफ्तारियां होने के बावजूद मामले में 250 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं। जांच अधिकारी प्रभावी रूप से लगभग हर दिन अदालत में मौजूद रहे हैं। अभियोजन पक्ष पर कोई दोष नहीं लगाया जा सकता है।

घोटाले में सिसोदिया की भूमिका अहम : ईडी

जमानत याचिका का विराेध करते हुए ईडी ने कहा कि घोटाले में सियोदिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हुसैन ने तर्क दिया कि उपमुख्यमंत्री होने के साथ ही पार्टी में वह एक प्रमुख व्यक्ति थे।

इतना ही नहीं सिसोदिया पर सबूत नष्ट करने का संदेह है। उपराज्यपाल द्वारा मामले की जांच की सीबीआइ सिफारिश करने की खबर मीडिया में आने पर सिसोदिया ने 22 जुलाई 2022 को फोन बदला था।

वह फोन अभी तक बरामद नहीं हुआ है। हमारे पास एक बयान भी है, जिसमें कहा गया है कि कोई सुबूत न छूटे यह सुनिश्चित करने के लिए सिसोदिया ने पुराने कैबिनेट नोट को नष्ट कर दिया है।

सैन द्वारा पेश किए गए सभी तर्काें का सीबीआइ की तरफ से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक रिपुदमन भारद्वाज ने समर्थन किया। भारद्वाज ने कहा कि सिसोदिया एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनकी पार्टी सत्ता में है। ऐसे में वह सुबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के साथ ही नौकरशाहों पर दबाव डाल सकते हैं।