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Manish Sisodia:पत्रकारिता में करियर शुरू करने से लेकर सियासी सफर और फिर गिरफ्तारी तक...जानिए सिसोदिया की कहानी

मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को दिल्ली के डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। कथित आबकारी नीति घोटाले के मामले में वह अभी 5 दिनों की सीबीआई रिमांड पर हैं। राजनीति आने से पहले सिसोदिया एक टीवी चैनल में पत्रकार थे।

By Shyamji TiwariEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Tue, 28 Feb 2023 06:59 PM (IST)
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आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की पूरी कहानी
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को दिल्ली के डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। सिसोदिया अभी दिल्ली के कथित आबकारी नीति घोटाले के मामले में 5 दिनों की सीबीआई रिमांड पर हैं। बता दें सीबीआई ने रविवार को आबकारी नीति के घोटाले में 8 घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया था।

पत्रकार के रूप में पेशेवर जीवन की शुरूआत

मनीष सिसोदिया उन नेताओं में माने जाते हैं, जिन्होंने बहुत कम समय में खुद को राजनीति में स्थापित किया। उत्तर प्रदेश के हापुड़ में जन्म लेने वाले मनीष सिसोदिया ने अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की थी। उन्होंने भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। इसके बाद ऑल इंडिया रेडियो में जीरो ऑवर नाम के एक कार्यक्रम को होस्ट किया।

अन्ना आंदोलन में सक्रिय रहे मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने एक निजी समाचार चैनल में काम किया। मनीष सिसोदिया ने सूचना का अधिकार अधिनियम पारित करने के संघर्ष में सक्रिय रहे और जन लोकपाल आंदोलन की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह अरविंद केजरीवाल के सबसे पुराने सहयोगियों में से एक हैं और उन्होंने दिल्ली में मोहल्ला सभाओं के लिए जागरुकता पैदा करने और संचालन करने के लिए उनके साथ काम किया। अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में काफी सक्रिय रहे।

2013 में पहली बार सिसोदिया बने विधायक

अन्ना आन्दोलन के बाद जब अरविंद केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला किया तो सिसोदिया भी उनके साथ आ गए। वह 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में नकुल भारद्वाज को 11,476 वोटों से हराकर आम आदमी पार्टी के विधायक बने थे। 2015 के चुनाव में पटपड़गंज विधानसभा सीट से एक बार फिर से मनीष सिसोदिया विधायक बने और 2020 में वह दिल्ली की पटपड़गंज विधान सभा सीट से फिर विजयी हुए, इस बार उन्होंने रविंदर सिंह को 3000 से अधिक मतों से हराया।

2015 से दिल्ली के डिप्टी सीएम पद रहे

मनीष सिसोदिया दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार में 2015 से ही डिप्टी सीएम के पद पर रहे। इस दौरान उनके पास शिक्षा मंत्रालय भी उनके पास ही रहा। शिक्षा मंत्री के रूप मनीष सिसोदिया द्वारा किए गए कामों को आम आदमी पार्टी ने शिक्षा मॉडल के रूप में पेश किया। हालांकि, दिल्ली सरकार द्वारा लाई गई नई आबकारी नीति के जरिए सिसोदिया पर लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ देने के आरोप लगे हैं। आरोप है कि इस नीति के तहत लाइसेंस शुल्क माफ या कम कर दिया गया था या सक्षम अधिकारी प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया था।

रविवार को सिसोदिया की हुई थी गिरफ्तारी

कोरोना महामारी के कारण 28 दिसंबर 2021 से 27 जनवरी 2022 तक निविदा लाइसेंस शुल्क पर छूट की अनुमति दी गई थी। इसकी वजह से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उपराज्यपाल की सिफारिश सीबीआई ने केस दर्ज किया। सीबीआई के केस में मनीष सिसोदिया को आबकारी नीति के कथित घोटाले में मुख्य आरोपित बनाया गया। रविवार को मामले में 8 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया और मंगलवार यानी 28 फरवरी को सिसोदिया ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

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