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कभी योगी आदित्यनाथ से हार गए थे मनोज तिवारी, फिर शीला दीक्षित को भारी अंतर से हराया; अब लगा दी जीत की हैट्रिक

मनोज तिवारी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिहार में पूरी की। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से स्नातक किया जहां उन्होंने 1992 में बीए किया और उन्होंने उसी विश्वविद्यालय से 1994 में शारीरिक शिक्षा में स्नातकोत्तर भी पूरा किया। उनकी पृष्ठभूमि बिहार से उनकी सांस्कृतिक जड़ों के साथ मिलकर मनोरंजन और राजनीति में उनके विविध करियर की आधारशिला बन गई। अब वह राजनीति के जाने-माने चेहरे हैं।

By Sonu Suman Edited By: Sonu Suman Updated: Tue, 04 Jun 2024 10:19 PM (IST)
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कभी योगी आदित्यनाथ से हार गए थे मनोज तिवारी, अब तीसरी बात जीतकर रचा इतिहास।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के सातों सीटों पर बीजेपी को भारी जीत हासिल हुई है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट पर बीजेपी के मनोज तिवारी ने जीत की हैट्रिक लगा दी है। मनोज तिवारी ने कांग्रेस के कन्हैया कुमार को 1 लाख 38 हजार 778 मतों से शिकस्त दी। बीते दो बार के मुकाबले इस बार उनकी जीत का मार्जिन सबसे कम रहा। आइये जानते हैं मनोज तिवारी के शुरुआती जीवन से लेकर उनके राजनीतिक करियर तक के बारे में...

कौन हैं मनोज तिवारी?

मनोज तिवारी एक भारतीय राजनीतिज्ञ, अभिनेता और गायक हैं। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हैं और दिल्ली के राजनीतिक क्षेत्र में एक जनप्रतिनिधि रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में तिवारी ने उत्तर पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की दिग्गज और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 3,63,000 मतों से हराया था। वर्तमान में उनके खिलाफ दो आपराधिक मामले लंबित हैं और उनके पास 10.5 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है।

शिक्षा

1 फरवरी, 1971 को जन्मे मनोज तिवारी चंद्रदेव तिवारी और ललिता देवी के छह बच्चों में से एक हैं। वे बिहार के कैमूर जिले के एक सुदूर गांव अतरवलिया से आते हैं। मनोज तिवारी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिहार में पूरी की। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से स्नातक किया, जहां उन्होंने 1992 में बीए किया और उन्होंने उसी विश्वविद्यालय से 1994 में शारीरिक शिक्षा में स्नातकोत्तर भी पूरा किया। उनकी पृष्ठभूमि, बिहार से उनकी सांस्कृतिक जड़ों के साथ मिलकर मनोरंजन और राजनीति में उनके विविध करियर की आधारशिला बन गई।

मनोरंजन करियर

क्षेत्रीय फिल्म उद्योग में उन्होंने खूब नाम कमाया। उन्होंने कई सफल भोजपुरी फिल्मों में अभिनय किया, जिससे उन्हें व्यापक मान्यता और प्रशंसा मिली। उनकी पहली फिल्म 'ससुरा बड़ा पइसावाला' 2003 में रिलीज हुई थी, जो बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। अपने अभिनय करियर के साथ-साथ एक प्रसिद्ध गायक भी हैं, जो अपनी आवाज और श्रोताओं को पसंद आने वाले हिट भोजपुरी गीतों के लिए जाने जाते हैं। 

राजनीतिक यात्रा

तिवारी ने 2009 में अपनी राजनीतिक शुरुआत की। उस साल उन्होंने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर निर्वाचन क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि, वह योगी आदित्यनाथ से हार गए। उन्होंने 2013 में भाजपा के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया। एक गायक और अभिनेता के रूप में उनकी लोकप्रियता ने उन्हें पार्टी में तेजी से ऊपर चढ़ने में मदद की। 2014 में वे उत्तर पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र के लिए सांसद के रूप में चुने गए। उन्होंने आनंद कुमार को 1,44,084 वोटों के अंतर से हराया था। 2016 में उन्हें भाजपा की दिल्ली इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जिस पद पर वे 2020 तक रहे। 

2019 में शीला दीक्षित को हराया

साल 2019 में मनोज तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को शिकस्त दी थी। शीला दीक्षित आखिरी बार अपना लोकसभा चुनाव लड़ रही थी। तब मनोज तिवारी ने उन्हें बड़े अंतर से हराया था। तिवारी को 7,87,799 वोट, वहीं कांग्रेस की शीला दीक्षित को 4,21,697 वोट मिले थे। आम आदमी पार्टी ने यहां से दिलीप पांडे को चुनाव मैदान में उतारा था, जिन्‍हें  1,90,856 वोट मिले थे।

मनोज तिवारी का राजनीतिक करियर शहरी मुद्दों जैसे कि आवास, बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक सेवाओं के लिए जाना जाता है। यही उन्हें दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाता है। चुनौतियों और विवादों का सामना करने के बावजूद वह भाजपा और अपने मतदाताओं के बीच एक लोकप्रिय और प्रभावशाली व्यक्ति बने हुए हैं। आम चुनाव 2024 में भी मनोज तिवारी ने कांग्रेस के कन्हैया कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ा। 

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