2023 में देशभर में 1.24 लाख जानवर और 3200 से ज्यादा लोगों की मौतें, हजारों घर भी ढहे; नुकसान का ये है कारण
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का असर अब वैश्विक स्तर के साथ साथ स्थानीय स्तर पर भी नजर आने लगा है। इसी का नतीजा है कि देश-दुनिया में चरम मौसमी घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। भारत की ही बात करें तो वर्ष 2023 में देश के सभी 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में कम से कम एक दिन ऐसी घटना घटी।
संजीव गुप्ता, नीमली/अलवर (राजस्थान)। जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का असर अब वैश्विक स्तर के साथ साथ स्थानीय स्तर पर भी नजर आने लगा है। इसी का नतीजा है कि देश-दुनिया में चरम मौसमी घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। भारत की ही बात करें तो वर्ष 2023 में देश के सभी 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में कम से कम एक दिन ऐसी घटना घटी। ज्ञात हो कि चरम मौसमी घटनाओं में भारी वर्षा, बाढ़, बादल फटना, बिजली गिरना, लू और शीत लहर इत्यादि शामिल है।
बुधवार को जारी सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा जारी स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट रिपोर्ट 2024 रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में 365 दिनों में से 316 दिन चरम मौसम की घटनाएं घटी, जबकि 2023 में इनकी संख्या 318 पहुंच गई। रिपोर्ट नीमली/अलवर स्थित अनिल अग्रवाल एनवायरमेंट ट्रेनिंग इंस्टीटयूट में संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अवर महासचिव नितिन देसाई, वरिष्ठ पत्रकार टी एन निनान एवं सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने जारी की।
लोगों और जानवरों की हुईं मौतें
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चरम मौसमी घटनाओं की वजह से 3,287 इंसानों, 1.24 लाख जानवरों की मौत हो गई, 86,432 घरों को नुकसान हुआ 2.21 मिलियन हेक्टेयर फसली क्षेत्र क्षतिग्रस्त हो गया। हिमाचल प्रदेश में ऐसे दिनों की सर्वाधिक 149 दर्ज की गई। इसके बाद मध्य प्रदेश में 141 तथा केरल और उत्तर प्रदेश में 119 -119 दिन दर्ज किए गए।आठ राज्यों को 100 से भी अधिक दिनों तक चरम मौसमी घटनाओं का सामना करना पड़ा। जून से सितंबर के बीच लगातार 123 दिन ऐसी घटनाएं दर्ज की गईं।मौतों के मामले में बिहार सर्वाधिक प्रभावित रहा। यहां इन घटनाओं में 642 लोगों की जान चली गई। प्रभावित फसली क्षेत्र हरियाणा में सबसे ज्यादा था। गुजरात में क्षतिग्रस्त मकानों की संख्या सर्वाधिक रही जबकि पंजाब में जानवरों की मृत्यु की संख्या सबसे अधिक थी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भारत में 2023 में अगस्त एवं सितंबर 122 वर्षों में सबसे गर्म रहे थे।
2023 में चरम मौसम की घटनाओं के कारण लगभग 109 देशों को नुकसान हुआ, जिसमें अफ्रीका, यूरोप और पश्चिम एशिया के देशों ने सबसे अधिक नुकसान उठाया: इस क्षेत्र के 59 देश प्रभावित हुए और इन घटनाओं से सबसे अधिक मौतें हुईं। इस क्षेत्र में हुआ. इंडोनेशिया में प्रभावित लोगों की संख्या सबसे अधिक (लगभग 19 मिलियन) थी, जबकि लीबिया में सबसे अधिक मौतें हुईं।इस दौरान सुनीता नारायण ने कहा कि वर्ष 2023-24 ''बहुसंकट'' का वर्ष था - ऐसा समय जब प्रकृति के साथ हमारा संघर्ष भी शामिल रहा। उन्होंने कहा, पर्यावरण प्रबंधन के लिए केवल तकनीकी सुधार पर्याप्त नहीं हैं, हमें अपनी नियामक संस्थाओं को भी मजबूत करना होगा।
2023 में 208 दिनों में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन दर्ज किया गया। वहीं देसाई का कहना था कि जलवायु परिवर्तन के मामले में पारिस्थितिकी तंत्र के लिए राष्ट्रीय सीमाएं भी कोई मायने नहीं रखतीं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।