Delhi MCD: निगम अधिकारियों ने अवैध कालोनी में भी पास कर दिया नक्शा, दो वास्तुकार और एक इंजीनियर पर गिरी गाज
Delhi MCDजब निगम को इसकी शिकायत मिली तो पूरे मामले की पड़ताल के बाद यह मामला संज्ञान में आया। जांच में पता चला कि दो वास्तुकार और एक इंजीनियर ने मिलकर ऐसे 11 संपत्तियों के नक्शे पास कराए जो कि अवैध कालोनी में थी।
By Nihal SinghEdited By: Pradeep Kumar ChauhanUpdated: Sat, 08 Oct 2022 03:00 PM (IST)
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। दिल्ली नगर निगम में भ्रष्टाचार का एक अलग मामला उजागर हुआ है। निगम की आनलाइन व्यवस्था का लाभ उठाते हुए अनधिकृत कालोनियों में नक्शा पास करने के साथ ही उनको निर्माण पूरा होने का सर्टिफिकेट भी दे दिया। जब ऐसे मामलों का पर्दाफाश हुआ तो निगम ने दो वास्तुकार शुभम कुमार, राजीव और इंजीनियर तनुज कुमार को अपनी पैनल की सूची से हटा दिया। साथ ही तीन साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया है। हैरानी की बात यह न केवल यह नक्शें पास कराए गए बल्कि तय नियमों के विरूद्ध भी बनाई गई संपत्ति के थे।
वास्तुकारों और इंजीनियरों ने उठाया कानून का फायदा
राजधानी में यूनीफाइड बिल्डिंग बायलाज लागू है। इसमें 105 वर्ग मीटर तक के नक्शे तो पास कराने की भी आवश्यकता नहीं होती बस एक सूचना देनी होती है। जबकि 500 वर्ग मीटर तक के नक्शे निगम के पैनल पर पंजीकृत निजी इंजीनियर और वास्तुकारों के हलफनामे के आधार पर पास किए जाते हैं। वास्तुकारों और इंजीनियरों ने निगम के इसी कानून का फायदा उठाते हुए अवैध कालोनी में नक्शे पास करा लिया।
11 अवैध कालोनियों के नक्शेे कराए पास
जब निगम को इसकी शिकायत मिली तो पूरे मामले की पड़ताल के बाद यह मामला संज्ञान में आया। जांच में पता चला कि दो वास्तुकार और एक इंजीनियर ने मिलकर ऐसे 11 संपत्तियों के नक्शे पास कराए जो कि अवैध कालोनी में थी। हैरानी की बात यह भी कि इन्होंने न केवल नक्शे पास कराए बल्कि उनका निर्माण पूरा नियमों के तहत होने का भी सर्टिफिकेट दे दिया। जिन संपत्तियों के नक्शए पास कराए गए उनके प्लाट 18 से 22 मीटर तक के हैं।ज्यादातर संपत्तियां छत्तरपुर की मिली
इन वास्तुकारों ने जो नक्शे गलत तरीके से पास कराए उसमें ज्यादातर संपत्तियां छत्तरपुर इलाके की है। इसमें छत्तरपुर गांव, छत्तरपुर एक्सटेंशन की संपत्तियां हैं और कुछ संपत्ति देवली एक्सटेंशन की है। यह इलाके दक्षिणी दिल्ली महंगे इलाको में से हैं। जहां पर संपत्तियों का रेट लाखों रुपये प्रति गज हैं।
नियमों को सरल करने के लिए किया गया था संशोधन
निगम में पहले जूनियर इंजीनियर के राज का आरोप लगता था। साथ ही यह कहा जाता था कि नक्शे पास होने में निगम अधिकारी देर लगाते हैं और उसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार भी होता है। इसी को देखते हुए यूनिफाइड बिल्डिंग बायलाज के तहत ईज आफ डूईंग बिजनेस में यह तय कर दिया गया कि कोई भी निगम का अधिकारी निर्माण स्थल पर नहीं जाएगा।जो भी आनलाइन नक्शें के आवेदन आएंगे उनको तय समय-सीमा में पास करना होगा। इसके लिए निगम से पैनल पर इंजीनियरों और वास्तुकारों के जो नक्शे आते हैं उनको निगम पास कर देगा। कई वास्तुकार और इंजीनियर इन नियमों का लाभ उठाते हैं। वास्तुकार अपने इसी अधिकार का फायदा उठाते हैं। नक्शे की सरकारी फीस तो तय हैं लेकिन इन वास्तुकारों की प्रोफेशनल फीस क्या होगी यह तय नहीं है। ऐसे में जिस वास्तुकार की सेटिंग ज्यादा अच्छी होती है शुल्क भी उसी आधार पर लिया जाता है।
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