तस्वीरों के सहारे काट रही थी जिंदगी, वीरांगना बोलीं- पति के बलिदान पर गर्व; लोगों की भर आईं आंखें
56 साल बाद जवान मुंशी राम का पार्थिव शरीर रेवाड़ी के पैतृक गांव में पहुंचा तो पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। इस दौरान मुंशी राम के घर पर लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। वहीं वीरांगना पार्वती देवी ने कहा कि उन्हें पति के बलिदान पर गर्व है। 56 वर्षों बाद पति का पार्थिव शरीर घर पहुंचा इसका संतोष भी है।
जागरण टीम, नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में रोहतांग दर्रे की पहाड़ियों के बीच सात फरवरी 1968 को वायुसेना विमान की दुर्घटना में जान गंवाने वाले हरियाणा के जवान मुंशी राम की वीरांगना पार्वती देवी को पति के बलिदान पर गर्व है। 56 वर्षों बाद पति का पार्थिव शरीर घर पहुंचा, इसका संतोष भी है।
आंखों से निकलती अश्रुधाराओं के बीच वीरांगना का कहना था कि निधन की सूचना के बाद पति की तस्वीर के सहारे जिंदगी काट रही थी। अंतिम संस्कार नहीं कर पाने का जो दुख था, वह दूर हुआ।
मुंशी राम के साथ उत्तराखंड के जवान नारायण सिंह बिष्ट के पार्थिव शरीर के अवशेष गुरुवार को उनके पैतृक गांव पहुंचे, जहां नम आंखों और अमर शहीद के जयकारों के बीच सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
चमोली के कोलपुड़ी में प्राणमति नदी के तट पर नारायण सिंह के शव को उनके भतीजों सुरेंद्र सिंह व जयवीर सिंह और रेवाड़ी के गुर्जर माजरी में मुंशी राम के शव को भाई कैलाश चंद ने मुखाग्नि दी।गुरुवार सुबह रुद्रप्रयाग स्थित 6-ग्रेनेडियर रेजीमेंट के अधिकारी व जवानों की टुकड़ी तिरंगे में लिपटे नारायण सिंह के पार्थिव शरीर के अवशेष लेकर जैसे ही कोलपुड़ी पहुंची, स्वजन समेत ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं।
उधर, गुर्जर माजरी में बलिदानी का पार्थिव शरीर पहुंचते अमर शहीद का जो जयकारा शुरू हुआ, वह थमने का नाम ही नहीं ले रहा था।बता दें कि सात फरवरी, 1968 को चंडीगढ़ से लेह जा रहा विमान ढाका ग्लेशियर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। 2019 तक पांच शव ही बरामद हो पाए थे। पांच दिन पहले डोगरा स्काउट व तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू के दल ने बर्फीले मलबे से इन जवानों के पार्थिव शरीर के अवशेष बरामद किए।
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