MCD Election: नगर निगम चुनाव का रोमांच बरकरार, दिल्ली को कैसे मिलेगा मेयर? कहां फंस सकता है पेंच; जानिए सबकुछ
दिल्ली नगर निगम चुनाव के मतदान के बाद अब दिल्ली के महापौर और उपमहापौर का चुनाव होना है। सदन की पहली ही बैठक में दोनों का चुनाव होगा। दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुच्छेद 35 के तहत पहली बैठक अप्रैल में होगी।
By GeetarjunEdited By: Updated: Fri, 09 Dec 2022 04:48 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। दिल्ली नगर निगम चुनाव के मतदान के बाद अब दिल्ली के महापौर और उपमहापौर का चुनाव होना है। सदन की पहली ही बैठक में दोनों का चुनाव होगा। दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुच्छेद 35 के तहत पहली बैठक अप्रैल में होगी। इस तरह चुनाव अप्रैल में संभव है। हालांकि केंद्र सरकार के पास भी वो शक्ति है कि वह चुनाव पहले करा सकती है।
दिल्ली में हर वर्ष महापौर का चुनाव होता है। नगर निगम चुनाव में जीतकर आए पार्षद ही मेयर चुनते हैं। पार्टी के पार्षदों का तो कार्यकाल पांच वर्ष का होता है, लेकिन मेयर (महापौर) का कार्यकाल सिर्फ एक वर्ष का होता है। पार्षद हर वर्ष मेयर का चुनाव करते हैं और हर साल नया मेयर चुना जाता है। पहले तीन मेयर चुने जाते थे, अब तीनों नगर निगमों का एकीकरण हो गया है, लेकिन स्थिति वही है।
पहला और तीसरा वर्ष महापौर के लिए होता है आरक्षित
दिल्ली में पहला महापौर महिला पार्षद में से ही होगा। क्योंकि पहला वर्ष महिला महापौर के लिए आरक्षित है, जबकि तीसरा वर्ष अनुसूचित जाति से सदस्य चुनकर आए पार्षद के लिए यह पद आरक्षित होता है। सदन की पहली बैठक के बाद मेयर के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होती है। पहले नामांकन और उसके बाद पार्षद मेयर का चुनाव करते हैं।पार्षदों की बैठक से पहले जारी होगी नामांकन के लिए तारीख
25 वर्ष से अधिक आयु के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को मनोनीत किया जाता है। इन्हें निगम में एल्डरमैन के नाम से जाना जाता है। जिन्हें सदन की कार्रवाई में वोटिंग का अधिकार तो नहीं हैं, लेकिन वार्ड समितियों में चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव में यह सदस्य हिस्सा लेते हैं।
आप के लिए भी मुसीबत
महापौर पद के लिए अब तीन महिला पार्षद ही दावेदार रह गई हैं। आप की तीन महिला पार्षदों में इस पद की दौड़ में अब प्रोमिला गुप्ता, निर्मला देवी, सारिका चौधरी शामिल हैं। वहीं भाजपा भी महापौर की रेस के लिए महिला पार्षद का नाम आगे कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो AAP के लिए मुसीबत हो सकती है। क्योंकि निगम में महापौर को सीधे तौर पर पार्षद ही चुनते हैं।महापौर के चुनाव में इन्हें है वोटिंग का अधिकार
वहीं, नगर निगम सदन के सदस्य दिल्ली लोकसभा के सांसद, राज्यसभा के तीन सासंद और दिल्ली विधानसभा के मनोनीत 13 विधायक भी होते हैं। इन्हें भी महापौर व उप महापौर पद पर वोटिंग का अधिकार होता है। ऐसे में कई बार इन समीकरणों से स्पष्ट बहुमत होने के बाद भी राजनीतिक दलों के समीकरण बिगड़ जाते हैं।
लोकसभा (7), राज्यसभा (3), विधानसभा सदस्यों (13) और पार्षदों की संख्या (250) मिलाकर कुल आंकड़ा 272 हो जाता है। इस तरह बहुमत की संख्या 137 हो जाती है। दिल्ली के मेयर को चुनने के लिए 137 वोटों की जरूरत होगी।ये भी पढ़ें- Delhi MCD Budget: नतीजों के अगले दिन ही पेश हुआ नगर निगम बजट, जानें किस वजह से आंकड़े नहीं किए गए सार्वजनिक
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