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Doctors Strike: दिल्ली में डॉक्टरों और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के बीच बैठक रही बेनतीजा, जारी रहेगा प्रदर्शन

दिल्ली में डॉक्टरों और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के बीच सोमवार को हुई बैठक बेनतीजा रही। इसमें कोई सहमति नहीं बन सकी। इस तरह फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन का प्रदर्शन जारी रहेगा। इस वजह से अस्पताल में मरीजों को फिर से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। डॉक्टरों ने सीपीए को अध्यादेश के जरिए लागू करने की मांग पर अड़े हैं।

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 19 Aug 2024 06:27 PM (IST)
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दिल्ली में डॉक्टरों और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के बीच बैठक रही बेनतीजा।

एएनआई, नई दिल्ली। डॉक्टरों और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों के बीच सोमवार को हुई बैठक बेनतीजा रही। बैठक में कोई बात नहीं बन सकी। इसका मतलब है कि फाइमा यानि फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन का प्रदर्शन जारी रहेगा। इन प्रदर्शन की वजह से अस्पताल में मरीजों को फिर से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। 

रेजिडेंट डॉक्टर अपनी हड़ताल को एक हफ्ते बाद भी जारी रखे हुए हैं। बता दें, यह बैठक डॉक्टरों के संगठन फाइमा के अध्यक्ष डॉ. रोहन कृष्णन की अध्यक्षता में निर्माण भवन में बैठक हुई। बैठक में डॉक्टरों ने सीपीए यानि सेंट्रल प्रोटक्शन एक्ट को लाने की मांग रखी। डॉक्टरों ने इसे अध्यादेश के जरिए लागू करने की मांग की। इससे पहले, रविवार देर रात फाइमा ने 25 राज्यों में रेजिडेंट डॉडक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के 70 प्रतिनिधियों के साथ एक अखिल भारतीय स्तर पर बैठक की। 

सभी बड़े सरकारी अस्पतालों में आठवें दिन ओपीडी ठप

डॉक्टरों के हड़ताल की वजह से एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (एलएचएमसी) से जुड़े अस्पतालों, लोकनायक, जीबी पंत, जीटीबी, डीडीयू सहित सभी बड़े सरकारी अस्पतालों में लगातार आठवें दिन भी ओपीडी और नियमित सर्जरी प्रभावित रही। मरीजों को इलाज के लिए भटकते देखा गया। हालांकि वरिष्ठ डॉक्टर ओपीडी में सेवाएं दे रहे थे, लेकिन यह नाकाफी रहा।

चरमरा गई दिल्ली की चिकित्सा व्यवस्था

रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से दिल्ली की चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है। राष्ट्रीय राजधानी में मौजूद केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार व नगर निगम के सभी अस्पतालों को मिलाकर ओपीडी में प्रतिदिन करीब एक लाख मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। चिकित्सा सेवाएं बुनियादी जरूरत में शामिल होने के कारण अस्पतालों में लगातार तीन दिन अवकाश का भी प्रविधान नहीं है।

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