Delhi News: दिल्ली में अवैध निर्माण पर लोगों को बड़ी राहत, ध्वस्तीकरण और सीलिंग से राहत तीन साल बढ़ी
दिल्ली में अनधिकृत भवनों के मामले में दंडात्मक कार्रवाई से राहत की समय सीमा 31 दिसंबर को समाप्त हो रही थी लेकिन इस विधेयक के कानून बन जाने के साथ यह 2026 तक बनी रहेगी। संसद ने दिल्ली में अनधिकृत भवनों के मामले में दंडात्मक कार्रवाई से राहत को तीन और वर्षों के लिए बढ़ाने के विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद ने दिल्ली में अनधिकृत भवनों के मामले में दंडात्मक कार्रवाई से राहत को तीन और वर्षों के लिए बढ़ाने के विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस विधेयक को मंगलवार को दोनों सदनों ने ध्वनि मत से पारित कर दिया।
राहत की समय सीमा 31 दिसंबर को समाप्त हो रही थी, लेकिन इस विधेयक के कानून बन जाने के साथ यह 2026 तक बनी रहेगी। विधेयक पर चर्चा कके दौरान भाजपा सांसदों ने आरोप लगाया कि दिल्ली में मौजूदा आम आदमी पार्टी सरकार और केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कुछ नहीं किया।
दिल्ली में उभरी अनधिकृत निर्माण की समस्या
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र कानून (विशेष प्रविधान) दूसरा संशोधन अधिनियम, 2023 प्रस्तुत करते हुए आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि लंबे समय से दिल्ली में ग्रामीण और अर्धशहरी इलाकों से बड़ी संख्या में लोगों के आने का सिलसिला कायम है। इसके चलते बड़े पैमाने पर अनधिकृत निर्माण तथा अतिक्रमण की समस्या उभरी है।
इससे निपटने के लिए 2006 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीलिंग और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू हुई थी। 2016 में कानून बनाकर केंद्र सरकार ने सीलिंग और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से लोगों को राहत देने के लिए कानून बनाने का फैसला किया था। 2006 से 2011 के बीच वार्षिक आधार पर कानून बनाकर लोगों को अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर कार्रवाई से संरक्षण प्रदान करने की कोशिश की गई।
जस का तस रहा यह मुद्दा- हरदीप पुरी
पुरी ने कहा कि पहले की सरकारों ने भी इन मसलों से निपटने की कोशिश की, लेकिन यह मुद्दा कुल मिलाकर जस का तस रहा। पुरी ने कहा कि जब हमने इस बारे में आप सरकार से बात की तो उसकी ओर से बताया गया कि दिल्ली सरकार इस मसले को देख रही है और हमने इस पर भरोसा किया। 2019 में यह पता चला कि जो सर्वे किए जाने थे, उनमें दो साल और लगेंगे।
तब हमारी सरकार ने अक्टूबर 2019 में पीएम-उदय योजना लागू की, लेकिन लगभग तभी कोरोना महामारी का सामना करना पड़ा। इसके चलते काम प्रभावित हुआ। दक्षिण दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी ने आरोप लगाया कि इस मामले में आप और कांग्रेस, दोनों ने लोगों को गुमराह करने का काम किया है। सोनिया गांधी ने चुनाव पूर्व वादा किया कि अनधिकृत कालोनियों को नियमित किया जाएगा।
केजरीवाल सरकार ने किया झूठा प्रस्ताव
इसी सिलसिले में अस्थाई प्रमाणपत्र भी बांटे गए, लेकिन कुछ नहीं किया गया। केवल कोरे वादे हुए। इसके बाद 2018 में केजरीवाल सरकार ने एक झूठा प्रस्ताव पारित किया कि वह अनधिकृत कालोनियों को नियमित कर रही है, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। पश्चिम दिल्ली के भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने 2041 के मास्टर प्लान में हरित भूमि क्षेत्र तथा लैंड पूलिंग पॉलिसी को शामिल करने की मांग की।
चर्चा का जवाब देते हुए पुरी ने कहा कि दो-ढाई करोड़ लोगों में लगभग चालीस लाख लोगों को अनधिकृत कालोनियों को मंजूरी देने से लाभ हुआ है। शुरुआती सूची में कुछ हिस्से शामिल नहीं हैं, इन्हें भी शामिल किया जाएगा। लैंड पूलिंग से 70 लाख लोगों को फायदा होगा। दिल्ली केवल आबादी के नजरिसे से नहीं बढ़ रही है, बल्कि इसकी आर्थिक ताकत भी बढ़ रही है। कार्रवाई से तीन साल की राहत मिल जाने से हमें नियोजित विकास के लिए काम करने का अवसर मिल जाएगा
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