इस बार गर्मी में छूटेंगे पसीने: ला नीना का घटता और अल नीना का बढ़ता प्रभाव बनेगा वजह; तेजी से बढ़ रहा तापमान
Summer 2023 इस बार गर्मी में अधिक पसीना छूटे तो हैरत नहीं। मौसम विज्ञानियों का साफ कहना है कि इस वर्ष भारत में वसंत और गर्मियों का मौसम शुष्क और गर्म रह सकता है। ला नीना का घटता और अल नीना का बढ़ता प्रभाव गर्मी बढ़ाने में खासा सहायक होगा।
By sanjeev GuptaEdited By: GeetarjunUpdated: Wed, 22 Feb 2023 12:31 AM (IST)
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। इस बार गर्मी में अधिक पसीना छूटे तो हैरत नहीं। मौसम विज्ञानियों का साफ कहना है कि इस वर्ष भारत में वसंत और गर्मियों का मौसम शुष्क और गर्म रह सकता है। राष्ट्रीय वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र और यूनाइटेड स्टेटस ग्लोबल फोरकास्टिंग सिस्टम का आंकलन है कि ला नीना का घटता और अल नीना का बढ़ता प्रभाव इस बार गर्मी बढ़ाने में खासा सहायक होगा।
उत्तर पश्चिम के साथ साथ मध्य, पूर्वी और दक्षिणी भारत के हिस्सों में भी तापमान तेजी से बढ़ेगा। फरवरी में ही इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। सर्दियों का शुष्क होना भी गर्मी की एक प्रमुख वजह बताई जा रही है।
17 फरवरी से बढ़ रहा है तापमान
यूनाइटेड स्टेट्स ग्लोबल फोरकास्टिंग सिस्टम के विश्लेषण से पता चलता है कि 17 फरवरी से ही उत्तर-पश्चिम के साथ मध्य, पूर्वी एवं दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। इन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35 से 37 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है।इन राज्यों में अचानक बढ़ा तापमान
वहीं मौसम विज्ञान विभाग ने 15 फरवरी 2023 को जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड सहित गुजरात, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में भी अधिकतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा दर्ज किया था।
सर्दियों में शुष्क रहता है मौसम
असामान्य गर्मी के संकेत 2022-23 की शुष्क सर्दियों के बाद सामने आए हैं। अबकी बार अधिकांश भारत के लिए सर्दियों का मौसम शुष्क रहा है, जो कई क्षेत्रों में सूखे जैसी स्थिति का संकेत देता है। इस बार देशभर में दिसंबर की बरसात में 14 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।देश में उत्तर पश्चिम, मध्य, पूर्व और पूर्वोत्तर के हिस्से विशेष रूप से शुष्क थे। जहां उत्तर पश्चिम में बरसात सामान्य से 83 प्रतिशत कम थी वहीं मध्य भारत में 77 प्रतिशत जबकि देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर हिस्सों की बरसात में 53 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी।
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