आखिर कैसे दिल्ली-एनसीआर की हवा के लिए दुश्मन साबित हो रहा पाकिस्तान, मौसम विज्ञानियों ने बताई वजह
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक मार्च के बाद अब अप्रैल में भी मध्य पाकिस्तान से आ रही हवाएं दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण में इजाफा कर रही हैं। ऐसे में भीषण गर्मी के बीच दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गया है।
By Jp YadavEdited By: Updated: Wed, 06 Apr 2022 08:56 AM (IST)
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली-एनसीआर की आब-ओ-हवा के लिए भी पाकिस्तान दुश्मन साबित हो रहा है। वहां की धूलभरी हवा से यहां की हवा में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। आलम यह है कि भीषण गर्मी के मौसम में भी दिल्ली-एनसीआर का एयर इंडेक्स खराब से बहुत खराब श्रेणी में चल रहा है। पर्यावरणविदें की मानें तो इस स्थिति में सुधार के लिए बारिश होना जरूरी है, जिसकी हाल फिलहाल कोई संभावना नहीं लग रही है।
फरवरी खत्म होते-होते दिल्ली एनसीआर की हवा सुधरने लगती है। इसीलिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) भी 15 अक्टूबर से 15 मार्च तक ही रहता है। डीजल जेनरेटर पर लगी रोक भी हटा ली जाती है, लेकिन इस वर्ष पहले मार्च और अब अप्रैल में भी हवा का हाल सुधरा नहीं है।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों पर गौर करें तो मार्च में न एक भी दिन हवा अच्छी रही, न ही संतोषजनक। 12 दिन मध्यम, 17 दिन खराब, जबकि एक दिन बहुत खराब श्रेणी में दर्ज की गई। इसी तरह अप्रैल के पांच दिनों पर गौर करें तो हर दिन हवा का स्तर खराब ही रहा है।
पर्यावरणविदें और मौसम विज्ञानियों के अनुसार जाड़ा खत्म होने के बाद वातावरण से नमी खत्म हो जाती है। आसमान साफ हो जाता है। हवा भी चलती रहती है। इससे प्रदूषक तत्व छंट जाते हैं, लेकिन इस साल मार्च की शुरुआत से ही सेंट्रल पाकिस्तान से जो गर्म हवा चल रही है, वह वाया राजस्थान दिल्ली तक आ रही है।मौसम विज्ञानियों के अनुसार चूंकि बारिश न होने से सतही मिट्टी पूरी तरह सूखी हुई है, इसलिए हवा के साथ वह भी उड़ रही है। यही धूल कण प्रदूषण के स्तर में इजाफा किए हुए है। मालूम हो कि मार्च में औसत बारिश 15.9 मिमी जबकि अप्रैल में 8.8 मिमी है, जबकि अभी तक एक बूंद भी नहीं गिरी है।
महेश पलावत (उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन), स्काईमेट वेदर) के अनुसारपिछले करीब एक माह से सेंट्रल पाकिस्तान से चल रही धूल भरी गर्म हवा राजस्थान होते हुए दिल्ली तक आ रही हैं। इसमें स्थानीय धूल कण भी जुड़ जा रहे हैं। इस स्थिति में बारिश से ही कुछ सुधार संभव है, लेकिन अभी अगले एक सप्ताह तक इसकी कोई संभावना नहीं है। वहीं, डा. दीपांकर साहा (सदस्य, विशेषज्ञ समिति, केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय) के मुताबिक, बारिश होने से मिट्टी और धूल कण दबे रहते हैं, लेकिन इस बार यह बिल्कुल सूखे होने के कारण हवा के साथ उड़ रहे हैं। इससे भी अबकी बार प्रदूषण का स्तर ऊंचा बना हुआ है और लोगों को परेशान कर रहा है।
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