मौसम विज्ञानियों ने बताया दिल्ली-एनसीआर में ऐसा क्यों देखने को मिल रहा मौसम का ट्रेंड, आप भी जानें
इस बार अगस्त में दिल्ली की हवा ही खराब नहीं रही बल्कि मौसम ने भी कई उतार चढ़ाव देखे। सावन का महीना सूखा- सूखा सा गया तो तापमान में इजाफा देखने को मिला। मौसम विज्ञानी इसके लिए सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन को ही बड़ा कारण मान रहे हैं।
By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Fri, 03 Sep 2021 02:34 PM (IST)
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। इस बार अगस्त में दिल्ली की हवा ही खराब नहीं रही बल्कि मौसम ने भी कई उतार चढ़ाव देखे। सावन का महीना सूखा- सूखा सा गया तो तापमान में इजाफा देखने को मिला। बारिश सामान्य स्तर तक भी नहीं पहुंच पाई। मौसम विज्ञानी इसके लिए सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन को ही बड़ा कारण मान रहे हैं। जून से सितंबर तक मानसून के चार महीनों में जुलाई और अगस्त सर्वाधिक बारिश वाले माह होते हैं। लेकिन इस बार यह मिथक टूट गया। अगस्त में सामान्य बारिश भी नहीं हुई। होनी चाहिए थी 247.7 मिमी जबकि हुई 214.5 मिमी यानी 13 फीसद कम। बादल भी पूरे महीने में महज 10 दिन ही बरसे। माह का पहला पखवाड़ा तो बिल्कुल सूखा सा गया। मानसून दो बार ब्रेक पर रहा।
एक बार 10 दिनों के लिए, जबकि दूसरी बार चार से पांच दिनों के लिए। 21 अगस्त को बारिश ने 14 साल का रिकार्ड तोड़ दिया। 138.8 मिमी बारिश अगस्त में 24 घंटे की सर्वाधिक और 1961 के बाद दूसरी सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई। बारिश का माह होने के कारण अगस्त में तापमान ज्यादा नहीं जाता, गर्मी के तेवर भी थोड़ा नरम ही रहते हैं, लेकिन इस बार ऐसा भी नहीं हुआ। माह का औसत अधिकतम तापमान है 34.1 डिग्री सेल्सियस जबकि इस बार 0.5 डिग्री ज्यादा 34.6 डिग्री सेल्सियस रहा। 18 और 19 अगस्त को तो यह पिछले एक दशक का रिकार्ड तोड़ते हुए 38.0 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। इसी तरह माह का औसत न्यूनतम तापमान 26.3 डिग्री सेल्सियस है, जबकि इस साल 0.4 डिग्री ज्यादा 26.7 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड हुआ। 21 अगस्त को माह का सबसे कम न्यूनतम तापमान 23.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के वरिष्ठ विज्ञानी आर के जैनामणि बताते हैं कि इस साल बंगाल की खाड़ी से उठने वाली पूर्वी हवाओं और नमी से बनने वाला सिस्टम कमजोर रहा। पिछले साल ऐसे पांच सिस्टम बने थे, जबकि इस बार केवल दो ही बने। इसलिए इस बार अगस्त में मानसून हल्का रहा और बारिश भी कम दर्ज की गई। वहीं स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण दिल्ली एनसीआर ही नहीं बल्कि पूरे देश में मौसम और मानसून का ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है। स्थिति यह हो गई है कि मौसम चक्र भी बदलने लगा है और उसका स्वरूप भी। पिछले कुछ वर्षों में बारिश के दिन भले कम हो गए हों लेकिन कम समय में भी वर्षा अधिक हो रही है। पहले 100 मिमी बारिश तीन से चार दिनों में होती थी। अब हमें केवल पांच-छह घंटों में इतनी वर्षा मिल रही है।
1 अगस्त में अधिकतम तापमान - दो और तीन तारीख को सामान्य से कम रहा
- सात, 12, 13, 14, 15, 20, 24, 26, 27 और 28 को सामान्य से अधिक रहा - 16, 17, 18 और 19 को सामान्य से कहीं अधिक दर्ज किया गया - शेष दिन सामान्य स्तर के आसपास रहा
आल टाइम रिकार्ड 42 डिग्री सेल्सियस (12 अगस्त 1987)----- अगस्त में न्यूनतम तापमान
- एक, नौ, 10, 21 और 22 तारीख को सामान्य से कम रहा - शेष दिन सामान्य स्तर के आसपास रहा --आल टाइम रिकार्ड : 21.2 डिग्री सेल्सियस (23 अगस्त 1965)
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