इस साल दिल्ली आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या घटी, जनवरी तक स्थिति बेहतर होने की उम्मीद; देखें तस्वीरें
बायोडायवर्सिटी पार्क के इंचार्ज डॉ. फैयाज खुदसर का कहना है कि प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियां यहां आती हैं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर सर्दियों के मौसम में अक्टूबर से मार्च तक प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में आते हैं। यमुना नदी और उसके आसपास का इलाका इनके प्रवास का मुख्य केंद्र है लेकिन कुछ वर्ष से पक्षियों की संख्या कम है।
शिप्रा सुमन, बाहरी दिल्ली। दिल्ली के सर्द मौसम में यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में प्रवासी पक्षियों का जमघट लगना शुरू हो गया है। जगतपुर गांव स्थित यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में इन दिनों विदेशी पक्षी देखे जा सकते हैं।
इस बार इन पक्षियों की संख्या कम है, हालांकि ऐसी उम्मीद है कि जनवरी तक स्थिति बेहतर होगी और इनकी संख्या में बढ़ोतरी होगी। यह पक्षी ज्यादातर चीन, यूरोप, अफगानिस्तान, मध्य एशिया, साइबेरिया, न्यूजीलैंड ओर मंगोलिया जैसे देशों से आते हैं।
प्रवास का प्रमुख केंद्र है यमुना का किनारा
दिल्ली के यमुना नदी में दूर देशों से आने वाले इन पक्षियों में थल और जल में रहने वाले दोनों ही तरह के पक्षी हर साल प्रवास करते हैं, क्योंकि यमुना का किनारा इनके प्रवास का प्रमुख केंद्र है। पिछले वर्ष की तुलना उनकी संख्या कम है।
बायोडायवर्सिटी पार्क के इंचार्ज डॉ. फैयाज खुदसर का कहना है कि प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियां यहां आती हैं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर सर्दियों के मौसम में अक्टूबर से मार्च तक प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में आते हैं। यमुना नदी और उसके आसपास का इलाका इनके प्रवास का मुख्य केंद्र है, लेकिन कुछ वर्ष से पक्षियों की संख्या कम है।
15 जनवरी के बाद संख्या बढ़ने की है उम्मीद
उन्होंने उम्मीद जताई है कि जनवरी में इनकी संख्या बढ़ सकती है। इनमें सबसे सुंदर परिंदों में शुमार साइबेरियन पक्षी लालसर के भी आने की संभावना है।
यह भी देखा गया है कि प्रत्येक वर्ष आने वाले पक्षियों में सबसे अधिक संख्या न्यूजीलैंड के ग्रेट कारमोरेंट की रहती है। इस वर्ष प्रवासी पक्षियों की संख्या में 2980 की कमी देखी जा रही है। पिछले वर्ष 15778 थी जबकि इस वर्ष 12798 है।
तीन वर्षों में आने वाले मुख्य प्रवासी पक्षियों की संख्या
जलवायु परिवर्तन को इसकी मुख्य वजह माना जा सकता है। क्योंकि पक्षी अपने ओरिजिन जगहों से देर से चले, क्योंकि वहां एक्सट्रीम वेदर पैटर्न के कारण माइग्रेशन कम हुआ है। वहां तापमान कम होने में देरी हुई तो माइग्रेशन भी देर से हुआ। आगे भी ऐसा हो सकता है। माइग्रेटरी रूट जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मध्य एशिया से होते हुए राजस्थान से होते हुए आती है। राजस्थान में इस दौरान लगातार तीन साल से वर्षा हो रही है जो नहीं होनी चाहिए थी। इससे पक्षी वहीं रुक जाते हैं क्योंकि वह अपनी ऊर्जा खर्च नहीं करते। 15 जनवरी के बाद इनकी संख्या बढ़ने की संभावना है।
-फैयाज खुदसर, विज्ञानी व प्रभारी, यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क।