जानिये- दिल्ली-एनसीआर में कब खत्म होगा
Monsoon Rain 2021 मौसमी परिस्थितियों के चलते मानसून कमजोर पड़ गया। पश्चिमी हवाएं कुछ दिनों से दिल्ली एनसीआर सहित उत्तर पश्चिम भारत के शेष हिस्सों में मानसून के आगे बढ़ने को रोक रही हैं। अभी कम से कम एक सप्ताह तक और इनके इसी तरह बने रहने की उम्मीद है।
By Jp YadavEdited By: Updated: Mon, 28 Jun 2021 09:23 AM (IST)
नई दिल्ली। बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने से शुरुआती दौर में मानसून ने पकड़ी थी रफ्तार, लेकिन बाद में पड़ा कमजोर-हालांकि इस दौरान छिटपुट बारिश होती रहेगी, लेकिन मानसून के जोर पकड़ने की संभावना नहीं है। मानसून एक बार फिर मौसम विज्ञानियों का छका रहा है। हालांकि टाक्टे और यास तूफान के प्रभाव से मई के उत्तरार्ध में इस तरह की परिस्थतियां बनी थीं कि इस बार मानसून समय से पूर्व ही दिल्ली एनसीआर पहुंच जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके विपरीत मानसून को लेकर मौसम विभाग के पूर्वानुमान भी आए दिन गलत ही साबित हो रहे हैं। आखिर क्यों उलटी पड़ गई मानसून की चाल और आने वाले दिनों में क्या रहेगा इसका हाल? इसे लेकर संजीव गुप्ता ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. एम महापात्रा से लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के मुख्य अंश :
दिल्ली एनसीआर में मानसून की दस्तक का शेडयूल क्या है और पिछले सालों में यह कितना समय पर रहा है?
-दिल्ली- एनसीआर में मानसून आगमन की तय तिथि 27 जून है, लेकिन मौसमी परिस्थितियों के चलते थोड़ा बहुत अंतराल देखने को मिल ही जाता है। पिछले 10-12 सालों की बात करें तो 2008 और 2013 में यह समय से पहले भी आ गया था। बहुत बार यह जून के आखिर या जुलाई के पहले सप्ताह तक दस्तक देता है।
मौसम विभाग ने तो इस बार भी दिल्ली एनसीआर में मानसून के तय तिथि से 12 दिन पहले ही पहुंच जाने की घोषणा कर दी थी, लेकिन आया अभी तक नहीं?
-बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने से शुरुआती दौर में मानसून जिस तेजी से आगे बढ़ा था, उसे देखते हुए ही मौसम विभाग ने दिल्ली में 12 दिन पहले यानी 15 जून तक इसके पहुंचने की संभावना जताई थी, लेकिन बाद में परिस्थितियां बदल गईं। बाद में 22 जून और फिर तय तिथि पर आने की संभावना बनी, लेकिन वह भी सही साबित नहीं हुई।
ऐसा क्या हो गया कि मानसून खुद मौसम विभाग को ही छकाने लग गया?
-मौसमी परिस्थितियों के चलते मानसून कमजोर पड़ गया। पश्चिमी हवाएं कुछ दिनों से दिल्ली एनसीआर सहित उत्तर पश्चिम भारत के शेष हिस्सों में मानसून के आगे बढ़ने को रोक रही हैं। अभी कम से कम एक सप्ताह तक और इनके इसी तरह बने रहने की उम्मीद है। हालांकि इस दौरान बारिश तो बीच बीच में होती रहेगी, लेकिन रहेगी छिटपुट ही। मानसून के जोर पकड़ने की संभावना इस दौरान कम ही है।
14 जून के आसपास तो लगा था कि हरियाणा और पंजाब तक मानसून पहुंच गया, लेकिन बाद में मौसम विभाग ने इससे भी इनकार कर दिया?-अनुकूल परिस्थितियों के चलते आगे बढ़ते हुए 14 जून को दक्षिणी पश्चिमी मानसून की उत्तरी सीमा अक्षांश 20.5 डिग्री उत्तर व देशांतर 60 डिग्री पूर्व पर दीव, सूरत, भोपाल, हमीरपुर, बाराबंकी, अम्बाला, अमृतसर से होकर गुजरी। इस दौरान मानसून की टर्फ रेखा पश्चिमी राजस्थान से उत्तर पूर्व बंगाल तक बनी हुई थी। इससे इन सभी जगहों पर बारिश भी हुई। इससे यह भ्रम उत्पन्न हो गया कि मानसून ने पंजाब और हरियाणा में भी दस्तक दे दी है। लेकिन मानसून ने इन दोनों राज्यों के उत्तरी हिस्से को छुआ भर था।
किन परिस्थितियों में मानसून की दस्तक सुनिश्चित होती है? -मानसून की दस्तक तभी सुनिश्चित हो पाती है जब पूर्वी हवाएं चल रही हों, नमी बढ़ी हुई हो और लगातार कई दिन तक बारिश हो। पूर्वी हवाएं तो चल रही हैं, लेकिन उनमें गहराई ज्यादा नहीं है। मिड लैटीटयूड यानि दस हजार फीटर की ऊंचाई पर पूर्वी की जगह पश्चिमी हवाएं चल रही हैं। इससे सिस्टम मजबूत नहीं हो पा रहा है। लिहाजा, अभी अगले कई दिनों तक मानसून के मजबूत होने की संभावना नहीं के बराबर ही लग रही है। मध्य अक्षांश की पछुआ हवाओं के कारण उत्तर पश्चिमी भारत के शेष हिस्सों में मानसून की रफ्तार धीमी ही चल रही है।
दिल्ली एनसीआर और समीपवर्ती राज्यों में अब मानसून की दस्तक को लेकर क्या संभावना बन रही है?-मानसून की उत्तरी सीमा (एनएलएम) दिल्ली से कुछ ही दूरी पर अलीगढ़ और मेरठ होकर गुजर रही है। इसे दिल्ली की तरफ बढ़ने के लिए एक मजबूत मौसमी सिस्टम की जरूरत है। हालांकि फिलहाल जो स्थिति है उसे देखते हुए अगले सप्ताह तक कोई संभावना नहीं है।मानसून की इस लेटलतीफी का असर क्या इसकी बारिश पर भी पड़ेगा? और अगर मानसून की विदाई भी देर से हुई तो क्या इससे सर्दियों की इस्तक भी प्रभावित होगी?
-मौसम विभाग पहले ही संभावना व्यक्त कर चुका हैं कि इस साल मानसून की बारिश सामान्य से अच्छी होगी। देश में 75 फीसद बारिश दक्षिण-पश्चिम मानसून के कारण होती है। दीर्घावधि के हिसाब से इस बार औसत बारिश 98 फीसद तक होगी और इसमें पांच फीसद की कमी / इजाफा हो सकती है। जहां तक मानसून की विदाई और सर्दियों का सवाल है तो दिल्ली एनसीआर सहित कहीं कहीं मानसून अक्टूबर के पूर्वार्ध तक सक्रिय रह सकता है। लेकिन सर्दियां अपने समय पर ही दस्तक देगी।
मानसून और मौसम की बदलती चाल और स्थानीय कारकों का कितना असर रहता है?-जलवायु परिवर्तन का असर तो पड़ ही रहा है। मानसून में भी बारिश वाले दिन पहले से घट गए हैं। या तो एकदम तेज बारिश होती है या धीमी। रिमझिम फुहारों वाले दिन अब नहीं रहे। मौसमी चक्र भी थोड़ा आगे खिसक रहा है। सर्दी और गर्मी में कई कई दशकों के रिकार्ड टूट रहे हैं। रही बात स्थानीय कारकों मसलन हरित क्षेत्र और प्रदूषण की तो इससे भी बारिश की तीव्रता और मात्रा पर थोड़ा बहुत फर्क तो पड़ता ही है।
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