Vehicle Thefts In Delhi: वाहन चोरी की भी राष्ट्रीय राजधानी बनी दिल्ली, हर रोज चोरी होती हैं 105 गाड़ियां
Stolen Vehicles in Delhi इस वर्ष नौ माह में दिल्ली में हो चुके हैं 28 हजार से अधिक वाहन चोरी दूसरे नंबर पर है महाराष्ट्र। वाहन चोरी के मामले में आनलाइन एफआइआर (online FIR) की सुविधा लाने के बाद से घटनाएं बढ़ी है।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। राजधानी दिल्ली में साल दर साल बढ़ रही वाहन चोरी की घटनाओं ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। करीब दो करोड़ से अधिक जनसंख्या वाली दिल्ली में पार्किंग एक बड़ी समस्या है। पार्किंग के लिए जगह न मिल पाने के कारण अधिकतर लोग अपने वाहनों को अपनी नजरों से दूर कहीं भी पार्क करने को मजबूर होते हैं जहां से वाहन चोर उनके वाहनों को ले भागते हैं।
कहां जाते हैं चोरी के वाहन?
दिल्ली पुलिस के इस वर्ष के नौ माह के आंकडों पर नजर डालें तो राजधानी के विभिन्न इलाकों से 28 हजार से ज्यादा वाहन चोरी हो चुके हैं। यानी औसतन हर रोज दिल्ली से 105 वाहन चोरी होते हैं। चोरी के ये वाहन कहां जाते हैं दिल्ली पुलिस इसका पता नहीं लगा पाती है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों को देखें तो चोरों महानगरों व सभी राज्यों की भी तुलना में दिल्ली में सबसे अधिक वाहन चोरी होते हैं।
दिल्ली में अधिक है वाहनों की संख्या
वाहन चोरी के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने में दिल्ली पुलिस पूरी तरह विफल साबित हो रही है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि कोलकाता, मद्रास व मुंबई की तुलना में दिल्ली की आबादी तो अधिक है ही साथ ही यहां वाहनों की संख्या भी काफी अधिक है। वाहन चोरों के लिए दिल्ली सबसे पसंदीदा शहर इसलिए भी है क्योंकि यहां से वाहन चोरी कर वे वाहनों को लेकर आसानी से पड़ोसी राज्यों में प्रवेश कर जाते हैं।
अधिकारियों का मानना है कि करीब दस वर्ष पहले जब वाहन चोरी के मामले में आनलाइन एफआइआर करने की सुविधा नहीं थी तब वाहन चोरी कम होते थे। इसके पीछे कारण यह था कि उस दौरान जिले के डीसीपी समेत अन्य आला अधिकारियों का भी थाना पुलिस पर एक प्रकार का दबाव रहता था।
केस दर्ज होने पर जांच अधिकारी पर आता है दबाव
अगर किसी थानाक्षेत्र में वाहन चोरी अधिक होते थे तब थानाध्यक्ष को जवाब देना होता था। इलाके के बीट अफसरों पर भी वाहन चोरी के मामले को रोकने का दबाव रहता था। वाहन चोरी की घटना होने पर बीट अफसरों के अलावा इलाके के एसीपी व थानाध्यक्ष भी मौके पर पहुंच कर मुआयना करते थे। थाने में केस दर्ज होने पर जांच अधिकारी को उक्त मामले को सुलझाने का दबाव रहता था।
पूर्व पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी के कार्यकाल में जब दिल्ली पुलिस को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने की कोशिश की गई तब उन्होंने वाहन चोरी के मामले में आनआइन एफआइआर की सुविधा शुरू की थी। उनका कहना था कि अक्सर लोगों की शिकायतें मिलती थी कि वाहन चोरी के मामले में थाना पुलिस उनकी एफआइआर दर्ज नहीं करती है। इसलिए यह सुविधा लाई गई है ताकि पीड़ित खुद अपने मोबाइल अथवा साइबर कैफे में जाकर आनलाइन एफआइआर कर सके।
बढ़ रही वाहन चोरी की घटनाएं
उन्होंने कहा था कि आम लोगों को इसका एक बड़ा फायदा यह मिलेगा कि उन्हें बीमा कंपनियों से क्लेम लेने में आसानी होगी, लेकिन यह सुविधा लोगों के लिए जी का जंजाल बन गया। आनलाइन एफआइआर की सुविधा लाने से पुलिस अब न तो मौके पर जाकर मुआयना करती है और न ही केस की तफ्तीश करती है। इससे न तो वाहन चोर पकड़े जाते हैं और न ही चोरी के वाहन बरामद होते हैं। इसलिए चोरी की घटनाएं साल दर साल बढ़ती जा रही है। दरअसल इसके पीछे स्याह पक्ष यह है था कि दिल्ली पुलिस में संख्या बल की भारी कमी है।
आनलाइन एफआइआर की सुविधा शुरू करने पर पुलिस को गंभीरता से उक्त मामले की तफ्तीश में न जुटना पड़े। लोग खुद से एफआइआर करके बीमा कंपनियों से क्लेम ले सके। पुलिस अधिकारी का कहना है कि वाहन चोरी के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए ही हर जिले में वाहन चोरी निरोधक दस्ते का गठन किया गया था। आनआइन एफआइआर की सुविधा के बाद से यह दस्ता निष्क्रिय हो चुका है।
वाहन चोरी-पूरे साल भर का आंकड़ा
2012- 14391
2013- 14918
2014- 23384
2015- 32729
2016- 38644
2017- 40972
2018- 46433
2019- 46215
2020- 35019
2021- 37910
2022- 28086 (नौ माह का आंकड़ा)
2021 के अन्य राज्यों के आंकड़े
महाराष्ट- 27868
बिहार- 25671
उत्तर प्रदेश- 23290
राजस्थान- 22176
हरियाणा- 18322
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