दिल्ली के मुखर्जी नगर में पीजी होम है या बाड़ा! 150 गज में रह रहे 70 से ज्यादा छात्र
दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित ज्यादातर इमारतों में पीजी संचालित हाे रहे हैं। इसमें सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं हैं। कई पीजी होम संचालक ज्यादा किराए के लालच में नियमों को ताख पर रखकर चला रहे हैं। कमरों को केबिन में बदल दिया है। हालत यह है कि डेढ़ सौ गज के एक पीजी होम में 70 से अधिक छात्र रह रहे हैं।
धर्मेंद्र यादव, बाहरी दिल्ली। मुखर्जी नगर में पीजी होम की बालकनी से गिरकर छात्रा की मौत के मामले ने एक बार फिर दिल्ली नगर निगम व अन्य संबंधित एजेंसिंयों की सतर्कता की कलई खोल दी है। ज्यादा किराए के लालच में कई पीजी होम संचालक नियमों को ताख पर रखकर चला रहे हैं। कमरों को केबिन में बदल दिया है।
यही नहीं, चार मंजिला इमारत की छत तक को नहीं छोड़ा। छत पर भी पीवीसी व लकड़ी के (पोर्टा) केबिन बनाकर छात्र-छात्राओं को जानवरों की तरह ठूंसा जा रहा है। इंदिरा विहार स्थित डेढ़ सौ गज के एक पीजी होम में 70 से अधिक छात्र रह रहे हैं।
यूपीएससी एग्जाम की कोचिंग ले रहे एक युवक ने कहा कि यहां न तो कुछ बदला है और शायद कुछ बदलेगा भी नहीं, बदलती हैं तो बस हादसों की तारीख। दिल्ली हाई कोर्ट की जांच और कार्रवाई के निर्देश के बावजूद मुखर्जी नगर क्षेत्र में ज्यादातर पीजी (पेइंग गेस्ट) होम अब भी ''उसी ढर्रे'' पर चल रहे हैं।
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पिछले साल पीजी होम में लगी थी आग
पिछले साल मुखर्जी नगर स्थित एक पीजी होम में आग लगने की घटना के बाद नगर निगम ने सर्वे किया था और बड़ी संख्या में संचालकों को नोटिस भी दिया था। कुछ दिन की सरगर्मी के बाद मामला शांत हो गया।पीजी की बालकनी की रेलिंग टूटने के बाद दूसरी मंजिल से गिरने से छात्रा की मौत की घटना के बाद दैनिक जागरण ने फिर मुखर्जी नगर में चल रहे पीजी होम की पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। पीजी होम में रहने वाले छात्र-छात्राओं ने बताया कि पिछले कुछ समय के दौरान पीजी होम में लकड़ी व पीवीसी के पोर्टा केबिन का चलन बढ़ा है।
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