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दिल्ली के मुखर्जी नगर में पीजी होम है या बाड़ा! 150 गज में रह रहे 70 से ज्यादा छात्र

दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित ज्यादातर इमारतों में पीजी संचालित हाे रहे हैं। इसमें सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं हैं। कई पीजी होम संचालक ज्यादा किराए के लालच में नियमों को ताख पर रखकर चला रहे हैं। कमरों को केबिन में बदल दिया है। हालत यह है कि डेढ़ सौ गज के एक पीजी होम में 70 से अधिक छात्र रह रहे हैं।

By dharmendra yadav Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Thu, 04 Apr 2024 11:18 AM (IST)
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मुखर्जी नगर स्थित ज्यादातर इमारतों में संचालित हाे रहे हैं पीजी l जागरण
धर्मेंद्र यादव, बाहरी दिल्ली। मुखर्जी नगर में पीजी होम की बालकनी से गिरकर छात्रा की मौत के मामले ने एक बार फिर दिल्ली नगर निगम व अन्य संबंधित एजेंसिंयों की सतर्कता की कलई खोल दी है। ज्यादा किराए के लालच में कई पीजी होम संचालक नियमों को ताख पर रखकर चला रहे हैं। कमरों को केबिन में बदल दिया है।

यही नहीं, चार मंजिला इमारत की छत तक को नहीं छोड़ा। छत पर भी पीवीसी व लकड़ी के (पोर्टा) केबिन बनाकर छात्र-छात्राओं को जानवरों की तरह ठूंसा जा रहा है। इंदिरा विहार स्थित डेढ़ सौ गज के एक पीजी होम में 70 से अधिक छात्र रह रहे हैं।

यूपीएससी एग्जाम की कोचिंग ले रहे एक युवक ने कहा कि यहां न तो कुछ बदला है और शायद कुछ बदलेगा भी नहीं, बदलती हैं तो बस हादसों की तारीख। दिल्ली हाई कोर्ट की जांच और कार्रवाई के निर्देश के बावजूद मुखर्जी नगर क्षेत्र में ज्यादातर पीजी (पेइंग गेस्ट) होम अब भी ''उसी ढर्रे'' पर चल रहे हैं।

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पिछले साल पीजी होम में लगी थी आग

पिछले साल मुखर्जी नगर स्थित एक पीजी होम में आग लगने की घटना के बाद नगर निगम ने सर्वे किया था और बड़ी संख्या में संचालकों को नोटिस भी दिया था। कुछ दिन की सरगर्मी के बाद मामला शांत हो गया।

पीजी की बालकनी की रेलिंग टूटने के बाद दूसरी मंजिल से गिरने से छात्रा की मौत की घटना के बाद दैनिक जागरण ने फिर मुखर्जी नगर में चल रहे पीजी होम की पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। पीजी होम में रहने वाले छात्र-छात्राओं ने बताया कि पिछले कुछ समय के दौरान पीजी होम में लकड़ी व पीवीसी के पोर्टा केबिन का चलन बढ़ा है।

एक फ्लाेर पर किराए पर रहते हैं 14-15 बच्चे

कई पीजी संचालकों ने ज्यादा किराए के लालच में छत पर केबिन बना डाले।इंदिरा विहार में एक पीजी में रहने वाले युवा ने बताया कि उनके पीजी में एक फ्लाेर पर 14-15 बच्चे किराए पर रहते हैं।

डेढ़ सौ गज की चार मंजिला इमारत में 70 से अधिक छात्र रह रहे हैं। एक अन्य छात्र ने बताया कि कमरे का आकार इतना है कि बिस्तर से उतरते ही अगला कदम कमरे से बाहर ही पड़ता है।

इस छोटे से कमरे का किराया 6200 रुपये दे रहे हैं। मुखर्जी नगर के इंदिरा विहार के अलावा आटम लेन, हडसन लेन, हकीकत नगर क्षेत्र में एक कमरे का किराया दो गुणा हो जाता है। इन पॉश क्षेत्रों में 15 हजार से लेकर 18 हजार किराया वसूला जा रहा है।

हालात देख मुखर्जी नगर में नहीं लिया पीजी

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के हरिपुर बनवा गांव के रहने वाले रोहित वर्मा मुखर्जी नगर में न्यायिक सेवा परीक्षा की कोचिंग ले रहे हैं। रोहित ने बताया कि रहने के लिए मुखर्जी नगर को इसलिए नहीं चुना कि यहां पीजी होम के कमरे बहुत तंग हैं।

चार से छह वर्ग मीटर आकार के कमरे में रहना मुश्किल है। वेंटिलेशन भी न के बराबर है। आग या अन्य हादसे की स्थिति में यहां जान जोखिम में है। इसलिए, उन्होंने मुखर्जी नगर में रहना ठीक नहीं समझा।वे अपने भाई के साथ वजीराबाद में फ्लैट में रह रहे हैं।

बालकनी से गिरने से गई थी छात्रा की जान

बालकनी से छात्रा के गिरने की घटना के बाद क्षेत्र की संस्था स्वेच्छादान फाउंडेशन ने नगर निगम सिविल लाइन जोन की उपायुक्त को पत्र लिखकर उन पीजी होम के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है, जो नियमों को ताख पर रखकर चलाए जा रहे हैं।

संस्था के पदाधिकारी बीएन झा ने बताया कि गत वर्ष जुलाई में हाई कोर्ट ने 155 पीजी संचालकों को नोटिस दिया था, लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं की गई। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में पीजी की लगभग हर मंजिल को केबिन में बदल दिया गया है।

कमरों का आकार दिल्ली के शहरी भवन उपनियमों (यूबीबीएल दिल्ली) द्वारा निर्धारित न्यूनतम रहने योग्य मानदंडों से काफी कम है। 80 गज में चार मंजिला इमारत बनी हुई है।बीएन झा ने बताया कि नियमों के विपरीत चल रहे पीजी होम के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो उनकी संस्था कोर्ट का रुख करेगी।

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