तीन महीने पहले लिखी गई थी हत्या की पटकथा, यूं दिया कानून को चकमा
ब्रह्मजीत आगे चालक के बराबर वाली सीट पर बैठ गया। सुनपेड़ के पास राजीव ने स्वाति को कार चलाने के लिए कहा और खुद पिछली सीट पर बैठ गया।
फरीदाबाद [हरेंद्र नागर]। ब्रह्मजीत की हत्या की पटकथा राजीव भाटी ने तीन महीने पहले लिखी थी। इसके बाद वारदात को इतनी सफाई से अंजाम दिया कि उसके गिरेबान तक हाथ पहुंचने में पुलिस को करीब एक महीना लग गया। पुलिस के अनुसार राजीव भाटी और ब्रह्मजीत साथ मिलकर प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त का काम करते थे। इसे लेकर दोनों के बीच करोड़ों रुपये का लेन-देन भी होता था, मगर पुलिस अभी लेन-देन को हत्या की वजह नहीं मान रही।
तैयार हुई योजना
पुलिस डायरी के अनुसार करीब तीन महीने पहले हिसाब-किताब के दौरान ब्रह्मजीत तैश में आ गया और उसने राजीव को जोरदार तमाचा जड़ दिया था। उस समय राजीव खून का घूंट पी गया, मगर उसी दिन से उसने ब्रह्मजीत को ठिकाने लगाने की योजना तैयार कर ली। उसने अपनी सहायक स्वाति सेठी की मदद से एनआइटी में एक दुकान से मोबाइल चोरी कराया। मोबाइल को उसी समय स्विच ऑफ कर दिया। मोबाइल में दो सिम थीं। एक सिम उसके मालिक ने चोरी के एक दो दिन बाद ही बंद करा दी थी, मगर दूसरी सिम बंद नहीं कराई।
मोबाइल खराब हो गया है
27 फरवरी को राजीव ने चोरी के मोबाइल और उसकी सिम से ब्रह्मजीत को कॉल कर पलवल में एक विवादित प्रॉपर्टी खरीदने की बात की थी। जब ब्रह्मजीत ने उससे पूछा कि वह अपने नंबर से कॉल क्यों नहीं कर रहा तो उसने कहा कि उसका मोबाइल खराब हो गया है। इसके बाद उसने ब्रह्मजीत को सेक्टर-11 में मिलन वाटिका के पास बुला लिया। वह अपनी लाल रंग की ब्रेजा कार में वहां पहुंचा। कार में स्वाति पीछे बैठी थी, जबकि वह स्वयं कार चला रहा था।
शव को दफन कर दिया
ब्रह्मजीत आगे चालक के बराबर वाली सीट पर बैठ गया। सुनपेड़ के पास राजीव ने स्वाति को कार चलाने के लिए कहा और खुद पिछली सीट पर बैठ गया। वहां से कुछ दूरी पर सुनसान जगह देखकर उसने पीछे से ब्रह्मजीत के सिर में गोली मार दी। इसके बाद सीट पीछे की तरफ झुका दी और तौलिया से उसका चेहरा ढक दिया। कार की चारों खिड़कियों पर सनगार्ड लगा दिए और कार को लेकर सीधा फार्म हाउस के अंदर पहुंचा। वहां पहले से रखे फावड़े से गड्ढा खोदा और शव उसमें दफन कर दिया। वहां से सीधे आगरा नहर पहुंचे और रिवॉल्वर उसमें फेंक दिया। वहीं ब्रेजा कार को जयपुर में ले जाकर आग लगा दी। जब पुलिस ने उन नंबरों को खंगाला, जिन पर ब्रह्मजीत की आखिरी बार बात हुई थी, तो जांच की सुई चोरी के मोबाइल और सिम पर अटक गई।
यूं खुला राज
प्रभारी इंस्पेक्टर सतेंद्र कुमार रावल के नेतृत्व में पुलिस की मिसिंग सेल ने अंत तक हार नहीं मानी और लगातार अलग-अलग एंगल पर जांच करते रहे। आखिर पुलिस को सुराग मिला कि राजीव भाटी व ब्रह्मजीत के बीच लेन-देन था। यहीं से शक की सुई उस पर घूमी। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की तो सारी कहानी परत दर परत खुलती चली गई।
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