Museums in Delhi: इस साल दिल्ली को मिलेगा एक और म्यूजियम, जानिए इसमें क्या होगा खास?
दिल्ली का यह पहला किला है जिसका मुगलों से बहुत पहले का लंबा इतिहास है और यह बात हवा हवाई में नहीं की जा रही है इसके पूरे प्रमाण हैं। पुराना किला के टीले पर कभी बने महल से पांडवों ने अपनी राजधानी चलाई है। धार्मिक ग्रंस्थों के अनुसार यह वही स्थान है जहां पांडवों की राजधानी थी। इस समय को पांच हजार साल पुराना माना जा रहा है।
वी के शुक्ला,नई दिल्ली। अमेरिका से भारत वापस लाए गए 300 से अधिक पुरावशेष जल्द ही जनता पुराना किला में देख सकेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर पिछले साल अमेरिका ने अलग अलग हिस्सों में इन्हें भारत को सौंप दिया था।
इन पुरावशेष में अधिकतर मूर्तियां हैं।इन ऐतिहासिक मूर्तियों को पुराने किले में रखा जाएगा जिसकी तैयारियां की जा रही हैं।अप्रैल तक यहां म्यूजियम शुरू कर देने की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की योजना है।
पुराना किला से जुड़ा है लंबा इतिहास
पुराना किला में पहले से भी इसी तरह का एक म्यूजियम है। जहां विदेश से वापस लाईं गई कई मूर्तियों को रखा गया है। पुराना किला की बात करें तो यह किला भी अपने आप में एक इतिहास है।दिल्ली का यह पहला किला है जिसका मुगलों से बहुत पहले का लंबा इतिहास है और यह बात हवा हवाई में नहीं की जा रही है, इसके पूरे प्रमाण हैं।Also Read-
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अब तक छह बार पुराना किला में हुई है खोदाई
पुराना किला के टीले पर कभी बने महल से पांडवों ने अपनी राजधानी चलाई है। धार्मिक ग्रंस्थों के अनुसार यह वही स्थान है जहां पांडवों की राजधानी थी। इस समय को पांच हजार साल पुराना माना जा रहा है। इसी से संबंधित साक्ष्य जुटाने के लिए पुराना किला में 1955 से अब तक छह बार खोदाई हुई है।
आजादी के बाद से लेकर अभी तक छह बार इसके इतिहास को लेकर साक्ष्य जुटाने के लिए खोदाई हुई है।अभी तक करीब 3100 साल पहले से यहां बसावट के प्रमाण मिल चुके हैं। अमेरिका से लाई गईं मूर्तियों की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर न्यूयार्क में भारतीय वाणिज्य दूतावास को कुछ साल पहले अमेरिकी अधिकारियों ने जो मूर्तियां लौटाई थीं, वे भारत आ चुकी हैं और पुराना किला में पहुंचा दी गई हैं।
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