'मुस्लिम शरीयत के पाबंदी, उससे अलग…', SC के फैसले के खिलाफ AIMPLB की बैठक में आठ प्रस्तावों पर चर्चा
देश की सबसे बड़ी अदालत (Supreme Court) ने हाल ही में अपने एक फैसले में मुस्लिम तालकशुदा महिलाओं को भी गुजारा भत्ता देने की बात कही थी। अब उस निर्णय के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आज एक बैठक की। जिसमें देशभर के 50 से अधिक धार्मिक गुरु और कानून को जानने वाले शामिल हुए। बोर्ड ने कहा कि SC का फैसला शरीयत कानून से मतभेद पैदा करता है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। (Muslim Personal Law Board Meeting Today Hindi) सर्वोच्च न्यायालय के मुस्लिम तालकशुदा महिलाओं को भी गुजारा भत्ता देने के फैसले के विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक आज रविवार को हुई। यह बैठक दिल्ली में हुई। जिसमें देशभर के 50 से अधिक धार्मिक गुरु और कानून के जानकार शामिल हुए।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में आठ प्रस्ताव पर हुई चर्चा
- आज 51 वर्किंग कमेटी की बैठक हुई। बैठक में आठ प्रस्ताव में पहला सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर, बोर्ड ने कहा एससी (सुप्रीम कोर्ट) का फैसला शरीयत कानून से मतभेद पैदा करता है।
- मुसलमान शरीयत का पाबंद है, उससे अलग नहीं जा सकता है। विवाह पवित्र बंधन, तलाक एकदम अंतिम जुदाई का रास्ता तलाक है।
- जिन धर्मों में तलाक नहीं था, उसमें भी आया, हिंदू के लिए हिंदू कोड लॉ, मुस्लिम के लिए अलग लॉ बना।
- संविधान कहता है कि हम अपने धर्म के हिसाब से जिंदगी गुजारे।
- यह फैसला औरतों के लिए मुसीबत बन जायेगा, अगर जीवन भर गुजारा भत्ता देना पड़ेगा तो तलाक कौन करेगा।
- यूसीसी पर दूसरा प्रस्ताव, जिसमें कहा गया कि विविधता में एकता को खत्म करने की कोशिश, धार्मिक आजादी के विरुद्ध।
- केंद्र और राज्यों को परहेज करना चाहिए, उत्तराखंड का कानून भी आम लोगों को परेशान करती है। वह मजहब के खिलाफ है। हमने यह फैसला किया है कि उसको जल्द चैलेंज करेंगे।
- वक्फ एक्ट 2013 में ऐसे स्थान जिसे हमारे बुजुर्गो ने धर्मार्थ दिये। वक्फ संपत्ति पर अतिक्रमण, सरकारी निजी तौर पर।
- जहां सरकार के बड़े बड़े ऑफिस है, मार्केट रेट पर किराया तय होना चहिए। वक्फ एक्ट को खत्म करने की किसी कोशिश को होने नहीं दिया जायेगा।
गुजारा भत्ता भीख नहीं यह महिलाओं का अधिकार-SC
दरअसल संविधान के अनुसार नागरिकों में कानून के आधार पर भेदभाव न करने तथा सम्मानपूर्वक जीवन जीने का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया है। फैसला देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि गुजारा भत्ता भीख नहीं यह महिलाओं का अधिकार है। लेकिन मुस्लिम संगठनों को यह रास नहीं आ रहा है क्योंकि शरिया कानून के अनुसार में तलाक के तीन माह तक की महिलाओं को पूर्व पति द्वारा गुजारा भत्ता देना का प्राविधान है।
वैसे सुप्रीम कोर्ट का या फैसला कोई पहली बार नहीं है जो मुस्लिम महिलाओं के हक में गया है। इसके पूर्व भी सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह का फैसला दिया था लेकिन तब केंद्र में राजीव गांधी की सरकार हुआ करती थी।
AIMPLB ने तत्कालीन राजीव गांधी सरकार को भी झुकाया
पिछली बार जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi Government) के कार्यकाल में ऐसा ही फैसला आया था तब मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने ही विरोध की आवाज बुलंद कर राजीव गांधी सरकार को झुका दिया था। तब सरकार ने 1986 में संसद के जरिए कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। लेकिन आज वह स्थिति नहीं है। वर्तमान में नरेंद्र मोदी सरकार को महिलाओं के अधिकार को लेकर कई ऐतिहासिक फैसले लेते देखा गया है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की इस महत्वपूर्ण बैठक में तय होगा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी गुजारा भत्ता का अधिकार देने के मामले का विरोध कैसे होगा तय होगा। यह तय करते समय सरकार के रुख को भी ध्यान में रखा जाएगा। इस बैठक में जमीयत के मौलाना अरशद मदनी समेत देशभर के प्रमुख मुस्लिम धार्मिक संगठनों के प्रमुख शामिल होंगे।
यह भी पढ़ें: Arvind Kejriwal: 'दिल्ली के हर नागरिक को बार-बार बताना होगा...', केजरीवाल को लेकर ये क्या बोल गई कांग्रेस
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।