CAA Protest: मुसलमानों ने कहा- नागरिकता संशोधन कानून के नाम पर बरगलाए गए थे, अब समझ आया कानून
हाल ही में लागू किए गए नागरिकता संशोधन कानून को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में फिजा बदली नजर आ रही है। मंगलवार दोपहर दो बजे जाफराबाद की तंग गलियों में रमजान की रौनक देखने को मिली। सीलमपुर में सीएए को लेकर बातचीत में मुस्लिम नागिरिकों ने बताया कि वह पहले नागरिकता संशोधन कानून के नाम पर बरगलाए गए थे लेकिन अब उन्हें कानून समझ आ गया है।
अब बदली फिजा...
जाफराबाद में वर्ष 2020 में हुए थे दंगे
यकीन कर पाना मश्किल हो रहा था कि यह वही जाफराबाद है, जहां वर्ष 2020 में दंगे हुए। चार वर्षों में यहां माहौल बिल्कुल जुदा हो चुका था। सीएए लागू होने के बाद यहां कोई हलचल नहीं। सब अपनी इबादत और कार्य में व्यस्त दिखे।दुकानदार और ग्राहक सीएए पर कर रहे थे चर्चा
'गैर मुस्लिम लोगों को नागरिकता देने वाला कानून'
आठ जगह हुए थे धरने प्रदर्शन
जनवरी 2020 में उत्तर पूर्वी जिले में श्रीराम कालोनी, चांद बाग, शास्त्री पार्क, कबीर नगर, सीलमपुर, नंद नगरी, नूर ए इलाही, ब्रजपुरी में सीएए को लेकर लोगों ने प्रदर्शन किया था। एक माह से अधिक तक तक लोगों ने सड़कों के किनारे कब्जा जमा कर रखा था। जाफराबाद रोड पर कुछ-कुछ दूरी पर तीन जगह धरने हुए थे। लोगों का कहना है कि दिल्ली पुलिस समेत अन्य विभागों का खुफिया तंत्र पूरी तरह से विफल रहा था।सीएए पर क्या बोले लोग?
वामपंथी संगठनों ने मुसलमानों से कहा था कि सीएए कानून लागू होते ही भारत के मुसलमानों को देश से बाहर कर दिया जाएगा। इस कानून से सबसे ज्यादा नुकसान मुसलमानों को होगा। जब यह कानून लागू हुआ और इसके बारे में पढ़ा तो वैसा बिल्कुल नहीं था, जैसा माहौल वर्ष 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में बनाया गया था। भारत हमेशा उदारवादी रहा है, यह तो अच्छी बात है कि पड़ोसी देश के गैर मुस्लिमों को अपने यहां नागरिकता दी जा ही है।
शमीम आलम, नूर ए इलाही।
दंगे ने लोगों को ताेड़कर रख दिया। लोग बर्बाद हो गए। सरकार अगर वर्ष 2020 में सीएए को लेकर लोगों के बीच पहुंच जाती तो बहुत सी चीजे बदल सकती थी। सीएए से मुसलमानों को कोई नुकसान नहीं है। चंद लोगों ने अपनी सियासत के चक्कर में दंगे करवाए थे।
-हाजी बाबू, सुभाष मोहल्ला।