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'नर्मदा बचाओ आंदोलन' कार्यकर्ता मेधा पाटकर को कोर्ट ने ठहराया दोषी, दिल्ली के LG वीके सक्सेना से जुड़ा है मामला

साकेत की अदालत ने आपराधिक मानहानि मामले में मेधा पाटकर को दोषी करार दिया है। तत्कालीन केवीआईसी अध्यक्ष एवं वर्तमान में दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि मामले में याचिका दायर की गई थी। उप-राज्यपाल की याचिका पर मेधा पाटकर को साकेत की अदालत ने दोषी ठहराया है।

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Updated: Fri, 24 May 2024 06:53 PM (IST)
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'नर्मदा बचाओ आंदोलन' कार्यकर्ता मेधा पाटेकर को कोर्ट ने ठहराया दोषी।
दक्षिणी दिल्ली। साकेत की अदालत ने आपराधिक मानहानि मामले में मेधा पाटकर को दोषी करार दिया है। तत्कालीन केवीआईसी अध्यक्ष एवं वर्तमान में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि मामले में याचिका दायर की गई थी।

उप-राज्यपाल की याचिका पर मेधा पाटकर को अदालत ने दोषी ठहराया है। साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर को आपराधिक मानहानि का दोषी पाया। उन्हें सजा के तौर पर दो साल की जेल या जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है।

क्या है मामला 

साल 2003 सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर 'नर्मदा बचाओ आंदोलन' को लेकर सक्रिय थीं। उसी वक्त वी के सक्सेना नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज में एक्टिव थे। उन्होंने उस वक्त मेधा पाटकर की आंदोलन का तीखा विरोध किया था। मानहानि का पहला मामला इसी से जुड़ा हुआ है। मेधा पाटकर ने अपने और नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन को लेकर वी के सक्सेना के खिलाफ मानहानि केस किया था। वहीं सक्सेना ने अपमानजनक बयानबाजी करने के लेकर मेधा पाटकर पर मानहानि के दो केस दर्ज कराए थे।

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