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Delhi News: क्या है NAFIS, जिसकी मदद से आसानी से होती है अपराधियों की पहचान, दिल्ली पुलिस ने पकड़े 2 शातिर

Delhi News नेशनल ऑटोमैटिक फिंगर आइडेंटिटी सिस्टम (National Automated Fingerprint Identification System) आरोपितों की धरपकड़ में काफी मददगार साबित हो रहा है। दिल्ली पुलिस ने हाल ही में दो शातिर अपराधियों को इससे मदद से गिरफ्तार किया है।

By Jagran NewsEdited By: JP YadavUpdated: Mon, 31 Oct 2022 01:26 PM (IST)
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दिल्ली पुलिस NAFIS की मदद से शातिर अपराधियों को गिरफ्तार करने में कामयबा हो रही है। फोटो प्रतीकात्मक

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। देश की राजधानी में चोरी और लूट की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने के साथ-साथ वारदात के खुलासों पर भी दिल्ली पुलिस खास ध्यान दे रही है। इसमें नेशनल ऑटोमैटिक फिंगर आइडेंटिटी सिस्टम (National Automated Fingerprint Identification System) का डाटा खासा मददगार साबित हो रहा है।

दिल्ली पुलिस ने किया दो वारदात को खुलासा

NAFIS की मदद से दक्षिण दिल्ली पुलिस ने चोरी की दो घटनाओं का खुलासा किया है, जिसमें किसी तरह कोई सामान्य सबूत नहीं था। इस सफलता के बाद माना जा रहा है कि आने वाले समय में चोरी और लूट समेत अन्य आपराधिक मामलों के खुलासे में NAFIS एक बड़ा जरिया साबित होगा।

दो बिजनेसमैन की थी शिकायत

दरअसल, सफदरजंग एन्कलेव में रहने वाले दो बिजनेसमैन ने चोरी की घटनाओं को लेकर मामला दर्ज कराया था। इस पर दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच के दौरान NAFIS की मदद ली। पुलिस उपायुक्त (दक्षिण पश्चिम) मनोज सी के मुताबिक, चोरी की पहली घटना 16 अगस्त को हुई थी, जिसमें एक व्यापारी के घर से कुछ कीमती सामान चोरी हो गया था। ठीक एक महीने बाद 18 सितंबर को सफदरजंग इलाके में ही एक और फ्लैट में चोरी का मामला सामने आया था।

पकड़े गए दो शातिर

जांच की कड़ी में दिल्ली पुलिस मोबाइल क्राइम टीम के फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ जसवंत सिंह ने आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग करते हुए सबूत के तौर पर प्रिंट जुटाए। इसके बाद NAFIS की मदद ली। इसके बाद चोरी की इस वारदात में एक आरोपित की पहचान बांग्लादेश के रहने वाले मोहम्मद दुलाल के रूप में हुई। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इसके साथ ही एक और आरोपित करम भी पकड़ में आया जो अन्य वारदात में शामिल था। 

NAFIS अपराधियों को पकड़ने में साबित हो रहा मददगार

गौरतलब है कि NAFIS (नेशनल आटोमैटिक फिंगर आइडेंटिटी सिस्टम) की मदद से चोरों और लुटेरों समेत अन्य अपराध में संलिप्त शातिरों को पकड़ने की कवायद जारी है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश के 18 राज्यों में इसे जनवरी 2022 से लागू किया गया।  इसमें घटना के बाद स्पॉट से मिले फिंगर प्रिंट अपलोड किए जाते हैं। जैसे ही, वह अपराधी देश में कहीं भी दूसरी वारदात करता है। यदि डेटाबेस में फ़िंगरप्रिंट है, तो कुछ ही मिनटों में एक मिलान पाया जा सकता है।

अपराधी के विवरण में बदलाव संभव नहीं

नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर प्रिंट आइडेंटिटी सिस्टम (नाफिस) दरअसल, देशभर में हर अपराधी की कुंडली तैयार कर रहा है। जिला स्तर पर इसका गठन होना है, जिस पर काम किया जा रहा है। NAFIS को नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से जोड़ा गया है। इस पर अगर किसी अपराधी का कोई विवरण एक बार दर्ज हो गया तो फिर इसमें फेरबदल संभव नहीं हो सकेगा। 

NAFIS में प्रत्येक अपराधी का नाम, पता, कहां-कहां अपराध किए, किस-किस जेल में रह चुका है? के साथ पूरा आपराधिक इतिहास होगा। इसके साथ-साथ अंगुलियों की छाप (फिंगरप्रिंट), पैरों-तलवों की छाप (फुटप्रिंट), आंखों के आइरिस व रेटिना का बायोमीट्रिक डाटा भी इसमें शामिल किया जाएगा।

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