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वायु प्रदूषण ही नहीं देश में सबसे ज्यादा मलबा उत्पन्न करने में नंबर एक पर दिल्ली, जानिए कितने हजार टन निकलता है कचरा

देश की राजधानी दिल्ली वायु प्रदूषण में ही नहीं निर्माण व ध्वस्तीकरण कचरा (मलबा) उत्पन्न करने में भी पहले नंबर पर है। यहां हर रोज 3448 टन कचरा निकलता है। इस मलबे से दिल्ली के पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। गौरतलब है कि सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) द्वारा इसे लेकर सोमवार को एक रिपोर्ट कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन वेस्ट क्लोजिंग द वेस्ट लूप फार सस्टेनेबिलेटी जारी की।

By sanjeev GuptaEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 11 Dec 2023 11:10 PM (IST)
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वायु प्रदूषण ही नहीं देश में सबसे ज्यादा मलबा उत्पन्न करने में नंबर एक पर दिल्ली।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली वायु प्रदूषण में ही नहीं, निर्माण व ध्वस्तीकरण कचरा (मलबा) उत्पन्न करने में भी पहले नंबर पर है। यहां हर रोज 3,448 टन कचरा निकलता है। इस मलबे से दिल्ली के पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है।

गौरतलब है कि सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) द्वारा इसे लेकर सोमवार को एक रिपोर्ट ''कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन वेस्ट : क्लोजिंग द वेस्ट लूप फार सस्टेनेबिलेटी'' जारी की। इसमें बताया गया कि निर्माण स्थल पर होने वाली तोड़फोड से निकलने वाले मलबे को लेकर रिपोर्ट देने में अधिकांश शहरों की रूचि नहीं है।

यह रिपोर्ट बताती है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) में शामिल सभी 131 शहरों से निर्माण व ध्वस्तीकरण कचरा (मलबा) को लेकर रिपोर्ट मांगी गई थी। लेकिन इनमें से केवल 35 (26 प्रतिशत) ने रिपोर्ट जमा कराई।

इन 35 शहरों की रिपोर्ट बताती है कि ये शहर हर रोज 6,563 टन मलबा उत्पन्न करते हैं। इनमें दिल्ली पहले नंबर पर है जबकि अहमदाबाद दूसरे, फरीदाबाद तीसरे, नोएडा चौथे और गाजियाबाद पांचवे नंबर पर है। बाकी शहरों ने रोजाना 100 टन से कम मलबा उत्पन्न करने की जानकारी दी है। उत्तर प्रदेश के अनपरा और आंध प्रदेश के गुंटूर की ओर से साझा किया गया है कि वहां जरा भी मलबा उत्पन्न नहीं होता।

35 में से शीर्ष पांच शहरों में कहां कितना मलबा होता उत्पन्न

दिल्ली - 3,448 टन प्रतिदिन

अहमदाबाद - 1,000 टन प्रतिदिन

फरीदाबाद- 300 टन प्रतिदिन

नोएडा- 300 टन प्रतिदिन

गाजियाबाद- 280 टन प्रतिदिन

रिपोर्ट की कुछ अन्य अहम बातें

  • अधिकांश शहरों में मलबे के प्रबंधन के लिए संस्थागत क्षमता का अभाव है। 2016 के सी एंड डी अपशिष्ट प्रबंधन नियमों को अपनाने की गति धीमी है और क्रियान्वयन में देरी हुई है।
  • जिन 131 शहरों ने अपनी शहरी कार्य योजनाएं पब्लिक डोमेन में साझा की हैं, उनमें से केवल 26 प्रतिशत के पास सी एंड डी अपशिष्ट उत्पादन पर डेटा है। केवल 12 शहरों में कम से कम एक चालू सी एंड डी अपशिष्ट पुनर्चक्रण संयंत्र है।
  • सी एंड डी कचरे के कुप्रबंधन से गंभीर पर्यावरणीय क्षति होती है। निर्माण और विध्वंस प्रक्रिया धूल व वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत भी है।

सी एंड डी अपशिष्ट प्रबंधन एक संभावित गेम चेंजर है। एक दशक पहले, सी एंड डी कचरे को लेकर चिंता वायु प्रदूषण के बारे में नहीं थी, बल्कि जल निकायों में इस कचरे के डंपिंग से उन्हें बचाने के बारे में थी। 2018-19 तक, सी एंड डी कचरे का मुद्दा बड़ा हो गया और इस बार, यह हवा में धूल के बारे में था जो प्रदूषण में योगदान दे रहा था। यह अहसास हुआ कि इस क्षेत्र में बेहतरी के लिए चीजों को बदलने का एक बड़ा अवसर मौजूद है। -सुनीता नारायण, महानिदेशक, सीएसई।

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