वायु प्रदूषण ही नहीं देश में सबसे ज्यादा मलबा उत्पन्न करने में नंबर एक पर दिल्ली, जानिए कितने हजार टन निकलता है कचरा
देश की राजधानी दिल्ली वायु प्रदूषण में ही नहीं निर्माण व ध्वस्तीकरण कचरा (मलबा) उत्पन्न करने में भी पहले नंबर पर है। यहां हर रोज 3448 टन कचरा निकलता है। इस मलबे से दिल्ली के पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। गौरतलब है कि सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) द्वारा इसे लेकर सोमवार को एक रिपोर्ट कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन वेस्ट क्लोजिंग द वेस्ट लूप फार सस्टेनेबिलेटी जारी की।
35 में से शीर्ष पांच शहरों में कहां कितना मलबा होता उत्पन्न
दिल्ली - 3,448 टन प्रतिदिनरिपोर्ट की कुछ अन्य अहम बातें
- अधिकांश शहरों में मलबे के प्रबंधन के लिए संस्थागत क्षमता का अभाव है। 2016 के सी एंड डी अपशिष्ट प्रबंधन नियमों को अपनाने की गति धीमी है और क्रियान्वयन में देरी हुई है।
- जिन 131 शहरों ने अपनी शहरी कार्य योजनाएं पब्लिक डोमेन में साझा की हैं, उनमें से केवल 26 प्रतिशत के पास सी एंड डी अपशिष्ट उत्पादन पर डेटा है। केवल 12 शहरों में कम से कम एक चालू सी एंड डी अपशिष्ट पुनर्चक्रण संयंत्र है।
- सी एंड डी कचरे के कुप्रबंधन से गंभीर पर्यावरणीय क्षति होती है। निर्माण और विध्वंस प्रक्रिया धूल व वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत भी है।
सी एंड डी अपशिष्ट प्रबंधन एक संभावित गेम चेंजर है। एक दशक पहले, सी एंड डी कचरे को लेकर चिंता वायु प्रदूषण के बारे में नहीं थी, बल्कि जल निकायों में इस कचरे के डंपिंग से उन्हें बचाने के बारे में थी। 2018-19 तक, सी एंड डी कचरे का मुद्दा बड़ा हो गया और इस बार, यह हवा में धूल के बारे में था जो प्रदूषण में योगदान दे रहा था। यह अहसास हुआ कि इस क्षेत्र में बेहतरी के लिए चीजों को बदलने का एक बड़ा अवसर मौजूद है। -सुनीता नारायण, महानिदेशक, सीएसई।