चिंता: दिल्ली में फिर उफनाई यमुना तो इस बार अधिक होगा नुकसान, ITO बैराज के नहीं खुले सभी गेट; नाले हैं ओवरफ्लो
Delhi Floods Update दिल्ली में यमुना का जलस्तर अभी खतरे के निशान से नीचे आया भी नहीं था कि इसमें फिर से वृद्धि होने लगी है। आगामी तीन चार दिन झमाझम वर्षा की संभावना भी जताई जा रही है। चिंताजनक यह कि यमुना दोबारा उफान पर आई तो पहले से भी अधिक नुकसान होगा। विशेषज्ञ भी इससे इनकार नहीं कर रहे।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। यमुना का जलस्तर अभी खतरे के निशान से नीचे आया भी नहीं था कि इसमें फिर से वृद्धि होने लगी है। आगामी तीन चार दिन झमाझम वर्षा की संभावना भी जताई जा रही है। चिंताजनक यह कि यमुना दोबारा उफान पर आई तो पहले से भी अधिक नुकसान होगा।
विशेषज्ञ भी इससे इनकार नहीं कर रहे। वजह, बाढ़ से निपटने की तैयारी को लेकर दिल्ली अब भी वहीं खड़ी है जहां पर सप्ताह भर पूर्व खड़ी थी। गौरतलब है कि 10 जुलाई यानी बीते आठ दिन से यमुना का पानी खतरे के निशान (205.33 मीटर) से ऊपर ही बह रहा है।
हथिनीकुंड से लगातार छोड़ा जा रहा पानी
हथिनीकुंड से पानी छोड़े जाने का क्रम अब भी जारी है। कोढ़ में खाज यह कि मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अगले तीन दिन के लिए भारी वर्षा का अलर्ट जारी किया है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी तेज वर्षा होने के आसार जताए गए हैं।
ITO बैराज के गेट नहीं खुले, नाले अभी भी ओवरफ्लो
इससे यमुना में और पानी बढ़ने की संभावना से भी कतई इनकार नहीं किया जा सकता। विशेषज्ञों के अनुसार, आईटीओ बैराज के चर गेट अभी तक नहीं खुल सके हैं। नाले अभी ओवरफ्लो ही चल रहे हैं। जिस एपैक्स कमेटी की बैठक जनवरी एवं मई में ही हो जानी चाहिए थी, उसे भी शेडयूल नहीं किया जा सका है।
जिन क्षेत्रों में बाढ़ का पानी भरा हुआ है, वहां भी पूरी तरह निकाला नहीं जा सका है। इन सब स्थितियों में तेज वर्षा से होने वाला जलभराव व यमुना में बढ़ने वाला पानी नई समस्याएं खड़ी कर सकता है।
बाढ़ को नियंत्रित करने के अन्य तरीके
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली को बाढ़ के खतरे से बचाने के लिए वर्षा की बढ़ती तीव्रता को कम नहीं किया जा सकता, लेकिन अन्य कई तरीके हैं जिनसे बाढ़ को नियंत्रित किया सकता है। यमुना के बाढ़ क्षेत्र को बचाना, नदी के तल को बनाए रखना, यमुना को ध्यान में रखकर शहरी विकास की रूपरेखा तैयार करना और यमुना वाले राज्यों के बीच आपसी तालमेल जैसे कदम उठाना अब जरूरी हो गया है।
राजधानी का ड्रेनेज सिस्टम व वर्षा जल संचयन प्रणाली बहुत खराब है। बरसात का पानी अधिक मात्रा में बहते हुए जमीन के अंदर न जाकर नदी में आ रहा है। इसलिए ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करना, झीलों को पुनर्जीवित करना एवं हरित क्षेत्र बढ़ाना बहुत जरूरी है।
खादर में नहीं लगाने चाहिए पेड़
पिछले कुछ वर्षों से डीडीए यमुना के पारिस्थतिकी तंत्र को बदलने में लगा है। सुंदरीकरण के नाम पर यमुना किनारे चिनार, बांस, घास आदि लगाने का काम कर रहा है। खादर इसके लिए बना ही नहीं है। खादर में पेड़ नहीं लगाने चाहिए। न ही वहां किसी तरह का अस्थाई या स्थाई निर्माण होना चाहिए। एक समस्या दूसरे प्रदेशों से आ रही गाद भी है।
दिल्ली से नहीं निकल पाती गाद
यमुना में पूरे साल दूसरे प्रदेशों से गाद आ तो रही है लेकिन दिल्ली में कम बहाव की वजह से वह आगे नहीं जा पा रही। यही वजह है कि दिल्ली में नदी का तल ऊपर उठ गए हैं। ऐसे में कम पानी में ही नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। इस पर पहले शोध और फिर शोध के नतीजों के अनुसार गाद को निकालने की जरूरत है।