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दिल्ली में मास्टर प्लान के इंतजार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 60% स्कूलों के पास है आधारभूत संरचना; 40% के पास नहीं

शिक्षा निदेशालय ने National Education Policy के तहत प्री-प्राइमरी कक्षाओं में एक अतिरिक्त कक्षा को जोड़े जाने को लेकर सझाव मांगे थे। 60 प्रतिशत स्कूलों के पास इन कक्षा को शुरु करने के लिए बुनियादी ढांचा है लेकिन 40 प्रतिशत के पास नहीं है। एनईपी के तहत पहली कक्षा से पहले प्री-प्राइमरी कक्षाओं में तीन वर्ष की नीति लागू करनी है।

By Ritika MishraEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Wed, 25 Oct 2023 03:41 PM (IST)
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दिल्ली में मास्टर प्लान के इंतजार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति
रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- (2020) को लागू हुए तीन साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन दिल्ली के स्कूलों में अभी भी यह दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के मास्टर प्लान के इंतजार में लागू नहीं हो पा रही है।

शिक्षा निदेशालय ने इस माह 1700 से अधिक निजी स्कूलों में नर्सरी, केजी और पहली में दाखिले के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

इसके तहत तीन वर्ष के बच्चे के लिए नर्सरी, चार वर्ष के लिए केजी और पांच वर्ष के लिए पहली में दाखिले की उम्र सीमा तय कर रखी है, लेकिन एनईपी में पहली में दाखिले के लिए उम्र सीमा छह वर्ष तय की गई है।

प्री-प्राइमरी कक्षाओं में लागू करनी है तीन वर्ष की नीति

एनईपी के तहत पहली कक्षा से पहले प्री-प्राइमरी कक्षाओं में तीन वर्ष की नीति लागू करनी है। यानी इसके तहत एक बालवाटिका की कक्षा और जुड़नी है, लेकिन शिक्षा निदेशालय ने नर्सरी दाखिला प्रक्रिया के दिशा-निर्देश जारी कर दिए।

हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि कब से स्कूलों में बालवाटिका की एक अतिरिक्त कक्षा शुरू होगी जबकि देश के विभिन्न राज्य एनईपी के तहत स्कूली शिक्षा में प्री-प्राइमरी कक्षाओं में तीन वर्ष की नीति को लागू करने में दिल्ली से आगे निकल चुके हैं।

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उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, गोवा, पंजाब और गुजरात कुछ ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने वर्ष 2020 में एनईपी लागू होते ही इसे अपनाने की भूमिका शुरू कर दी थी और बीते तीन वर्षों में इसे लागू भी कर दिया है। वहीं, दिल्ली का शिक्षा विभाग इस नीति को लागू करने में कई अन्य राज्यों के शिक्षा विभाग से पिछड़ता नजर आ रहा है।

विभाग ने हितधारकों से 20 अप्रैल को मांगे थे सुझाव 

दिल्ली शिक्षा विभाग ने शिक्षा निदेशालय ने प्री-प्राइमरी में एक अन्य कक्षा जोड़ने और छात्रों की विविध आवश्यकताओं, शैक्षणिक दृष्टिकोण और टीचिंग-लर्निंग को देखते हुए मूलभूत शिक्षा के चरण के पुनर्गठन को लेकर सभी शिक्षकों, अभिभावकों और विभिन्न हितधारकों से 20 अप्रैल को सुझाव मांगे थे। सभी ने अपने सुझाव भी दिए थे पर उनको अमलीजामा पहनाने का कार्य पूरा नहीं किया गया।

निजी स्कूलों के विभिन्न संगठनों के मुताबिक प्री-प्राइमरीि में एक अतिरिक्त कक्षा जोड़े जाने के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। 60 प्रतिशत स्कूलों के पास बुनियादी ढांचा है और 40 प्रतिशत के पास नहीं है। ऐसे में इन स्कूलों को शिक्षा निदेशालय के दिशानिर्देशों और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के मास्टर प्लान 2041 का बेसब्री से इंतजार है।

शिक्षा निदेशालय ने एनईपी के तहत प्री-प्राइमरी कक्षाओं में एक अतिरिक्त कक्षा को जोड़े जाने को लेकर सझाव मांगे थे। 60 प्रतिशत स्कूलों के पास इन कक्षा को शुरु करने के लिए बुनियादी ढांचा है लेकिन 40 प्रतिशत के पास नहीं है। फिलहाल डीडीए के मास्टर प्लान का इंतजार कर रहे हैं। मुझे लगता है कि डीडीए और शिक्षा निदेशालय को आपसी समन्वय कर काम करना चाहिए ताकि जल्द से जल्द बालवाटिका कक्षा शुरु हो सके और बच्चों को एनईपी का लाभ मिल सकें।

- भरत अरोड़ा, अध्यक्ष, अनएडेड रिआग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल एक्शन कमेटी

इस वर्ष नर्सरी दाखिले में उम्र सीमा को एनईपी के तहत लागू नहीं किया गया है। कक्षा एक में दाखिले की उम्र छह वर्ष होनी चाहिए लेकिन दिल्ली में पांच वर्ष चल रही है। दिल्ली का मास्टर प्लान 2041 अभी तक जारी नहीं हुआ है। स्कूलों को एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियों) बढ़ाने की अनुमति नहीं मिली है। शिक्षा निदेशालय से दिशा-निर्देशों का इंतजार है। उसके बाद प्री-प्राइमरी में एक अतिरिक्त कक्षा जोड़ी जाएगी।

- सुधा आचार्या, अध्यक्ष, नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल कांफ्रेंस

यह है एनईपी की बालवाटिका नीति

इस नीति के तहत फाउंडेशनल स्टेज के पांच वर्ष तय किए गए हैं, जिसमें प्री-प्राइमरी (नर्सरी, केजी और अपर केजी या बालवाटिका) के तीन वर्ष और प्राइमरी (कक्षा एक और दो) कक्षाओं के दो वर्ष शामिल हैं। इसमें ये भी स्पष्ट किया गया था कि कक्षा एक के पहले प्री-प्राइमरी की जो कक्षा संचालित की जाएगी वो बालवाटिका कहलाएगी।

एनईपी के तहत बच्चों को संज्ञानात्मक और भाषाई दक्षताओं के ज्ञान से तैयार करने के लिए प्री-प्राइमरी कक्षाओं में एक वर्ष का बालवाटिका कार्यक्रम कक्षा एक से पहले शुरू करने की परिकल्पना की गई है। वहीं, शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता से फोन व मैसेज के माध्यम से मामले में पक्ष मांगा गया, लेकिन नहीं मिला।

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