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डीयू में 'वैश्विक साहित्य में राम' पर राष्ट्रीय संगोष्ठी होगी आयोजित

कार्यक्रम के संयोजक डॉ आलोक रंजन पांडेय ने बताया कि राम का चरित्र और राम की गाथा लोक कल्याण की ऐसी संजीवनी है जिसमें संसार की सभी समस्याओं और संकटों के समाधान और उनके निवारण करने की क्षमता है।

By Sanjeev MishraEdited By: Prateek KumarUpdated: Sun, 27 Mar 2022 05:44 PM (IST)
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डीयू में 'वैश्विक साहित्य में राम' पर राष्ट्रीय संगोष्ठी होगी आयोजित
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली विश्वविद्यालय के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर रामानुजन महाविद्यालय के हिंदी विभाग व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग  के संयुक्त तत्वावधान में “वैश्विक साहित्य में राम” विषय पर द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 28-29 मार्च को किया जाएगा। कॉलेज के प्राचार्य प्रो. एस. पी. अग्रवाल ने बताया की आयोजन छात्रों के लिए ज्ञानवर्धक होगा। कार्यक्रम के संयोजक  डॉ आलोक रंजन पांडेय ने बताया कि राम का चरित्र और राम की गाथा लोक कल्याण की ऐसी संजीवनी है, जिसमें संसार की सभी समस्याओं और संकटों के समाधान और उनके निवारण करने की क्षमता है, बशर्ते कि उसका सही प्रकार से चिंतन, मनन और अनुशीलन किया जाए।

राम का विराट चरित्र सबको मोहित करता है। ऐसे विराट व्यक्तित्व पर विश्व के अनेक देशों में जो साहित्य रचा गया, इस संगोष्ठी में इन्हीं विषयों पर आज के समाजचेता और साहित्य के अध्येताओं द्वारा गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। इसमें देश के साथ-साथ विदेश के भी प्रबुद्ध वक्ताओं द्वारा अनेक सत्रों में राम से संबंधित विषयों पर चर्चा होगी।

उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के तौर पर डीयू साउथ कैंपस के निदेशक प्रो. श्रीप्रकाश सिंह शामिल होंगे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. रंजन कुमार त्रिपाठी एवं  हिंदी भाषा विशेषज्ञ एवं राम साहित्य मर्मज्ञ, जापान ,डॉ. तोमोको किकुचि सम्मिलित होंगे। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संयुक्त सचिव   डॉ. जितेंद्र कुमार त्रिपाठी करेंगे।

वक्ता के रूप में हमारे बीच डॉ. राजेश श्रीवास्तव उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम के प्रथम सत्र 'लोक और शास्त्र में राम' की अध्यक्षता हेतु सुप्रसिद्ध वक्ता  वीरेंद्र याज्ञिक करेंगे, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में मुम्बई विवि के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय मौजूद रहेंगे।  वहीं विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रो. सत्यकेतु सांकृत एवं डॉ. श्वेता दीप्ति को भी सुना जा सकेगा।

द्वितीय सत्र में भारतीय भाषाओं में राम विषय पर सुप्रसिद्ध आलोचक प्रो अरुण होता को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया है।इसी सत्र में प्रो प्रमोद कोवप्रत,डॉ अनवर सिद्दीक़ी और डॉ सुशीला व्यास अपने मत प्रस्तुत करेंगे।इस सत्र की अध्यक्षता  दिल्ली विश्वविद्यालय के सीनियर प्रोफ़ेसर पूरन चंद टंडन करेंगे।

दूसरे दिन के तृतीय सत्र में विश्व के विविध देशों के साहित्य और संस्कृति में राम विषय पर भारत-रूस मैत्री संघ के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर सिंह बोलेंगे। शिखा सिंह, एल.एम.रिद्मा निशादिनी लंसकार व डॉ सुभाषिनी लता कुमार भी इसी सत्र को संबोधित करेंगी। सत्र की अध्यक्षता इग्नू के हिंदी विभाग के प्रो नरेंद्र मिश्र करेंगे।

चतुर्थ सत्र में हिंदी साहित्य में राम विषय पर गगनांचल पत्रिका के संपादक डॉ. आशीष कंधवे को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया है। इसी सत्र में प्रो. सुनील कुमार तिवारी, डॉ. गरिमा जैन अपने मत प्रस्तुत करेंगे। इस सत्र की अध्यक्षता हेतु वरिष्ठ आलोचक सूर्य प्रकाश दीक्षित को आमंत्रित किया गया है।

दूसरे दिन के अंतिम में समापन सत्र में राम साहित्य की प्रासंगिकता विषय पर पद्मश्री और साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित नाटककार डॉ. दयाप्रकाश सिन्हा को अध्यक्ष के रूप में आमंत्रित किया गया है। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्या एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डीन ऑफ़ कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणि उपस्थित रहेंगे। प्रो. मोहन इस सत्र में सारस्वत अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इस सत्र में विशिष्ट वक्तव्य हेतु केंद्रीय हिंदी संस्थान से प्रो. उमापति दीक्षित जी को आमंत्रित किया गया है।

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