Vivek Vihar Fire: NCPCR ने दिल्ली सीएस और पुलिस कमिश्नर से जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की उठाई मांग
एनसीपीसीआर ने दिल्ली के मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त से आग लगने की घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। विवेक विहार (vivek vihar Fire News) स्थित दो मंजिला बेबी केयर सेंटर में शनिवार रात भयंकर आग लग गई। जिसमें सात नवजातों की दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना से पूरी दिल्ली सहम गई।
एएनआई,नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार और पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा से आग लगने की घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। विवेक विहार का एक अस्पताल जहां सात नवजात शिशुओं की मौत हो गई। एनसीपीसीआर ने अपने पत्र में कहा कि आयोग की एक टीम ने 26 मई को घटना स्थल का दौरा किया और प्रोटोकॉल की बड़ी लापरवाही पाई।
एनसीपीसीआर ने अपनी चिट्ठी में कही ये बात
उन्होंने कहा कि घटना के अपने दौरे के दौरान आयोग ने पाया कि उक्त नर्सिंग होम में कोई आपातकालीन निकास नहीं था। चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल सुविधा में कोई आपातकालीन निकास नहीं होना भारत के राष्ट्रीय भवन संहिता, 2016 का गंभीर उल्लंघन है।यह भी था पाया गया कि कोई भी अग्निशामक यंत्र या आपातकालीन अग्नि अलार्म काम नहीं कर रहा था और यहां तक कि कोई स्वचालित जल छिड़काव प्रणाली भी काम नहीं कर रही थी, यह भारतीय राष्ट्रीय भवन संहिता, 2016 (अग्नि और जीवन सुरक्षा) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।
घटना संबंधित अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा-NCPCR
टीम को सूचित किया गया कि आग लगने की घटना के समय, अस्पताल के कर्मचारियों के बजाय क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने घटना की सूचना दी। ऐसा लगता है कि नर्सिंग होम के कर्मचारियों को ऐसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया था। प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है एनसीपीसीआर ने कहा, यह घटना संबंधित अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुई। इसके अलावा, आयोग ने बताया कि घटना में शामिल परिवारों के सामने सबसे बड़ा मुद्दा एक जीवित बच्चे की पहचान और उस पर दावा करना था।
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पत्र में कहा गया है कि एनसीपीसीआर की टीम ने मृत शिशुओं के परिवारों और जीवित शिशुओं के परिवारों से भी मुलाकात की। यह देखा गया कि जीवित और मृत शिशुओं के कुछ परिवारों द्वारा सामना किए जाने वाले प्रमुख मुद्दों में से एक जीवित बच्चे की पहचान और उस पर उनके दावे का मुद्दा है।
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