Move to Jagran APP

'नए आपराधिक कानून को किया गया मनमाने ढंग से लागू, यह एक तुगलकी फरमान', संजय सिंह का केंद्र सरकार पर हमला

संजय सिंह ने कहा जो लोग इन आपराधिक कानूनों से प्रभावित हो सकते हैं BJP सरकार ने उन लोगों से बात किए बिना ही मनमाने ढंग से इन कानूनों को बनाया है। ये एक तुगलकी फरमान है जो आज से पूरे देश में लागू हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस सरकार का रवैया शुरू के ही बिना आम सहमति बनाए कानून को लागू करने का रहा है।

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Published: Mon, 01 Jul 2024 06:59 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2024 06:59 PM (IST)
आप नेता संजय सिंह ने नए आपराधिक कानून को लागू किए जाने को लेकर केंद्र पर बोला हमला।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सोमवार यानी एक जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं, जिसके कारण अब कानून की कई धाराओं में परिवर्तन किया गया है। हालांकि देशभर में इन नए कानूनों का काफी विरोध हो रहा है। पूरा विपक्ष इसे आनन-फानन में लाया गया कानून बता रहा है। वहीं आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद ने भी नए कानून को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। 

संजय सिंह ने कहा, "जो लोग इन आपराधिक कानूनों से प्रभावित हो सकते हैं, BJP सरकार ने उन लोगों से बात किए बिना ही मनमाने ढंग से इन कानूनों को बनाया है। ये एक 'तुगलकी फरमान' है जो आज से पूरे देश में लागू हो रहा है।" उन्होंने कहा कि इस सरकार का रवैया शुरू के ही बिना आम सहमति बनाए किसी भी कानून को लागू करने का रहा है।

त्वरित न्याय को सुनिश्चित करने की कोशिश

बता दें, एक जुलाई से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो गए हैं। तीन नये कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआइआर से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नये कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। 

ये भी पढ़ेंः चुनावी बॉन्ड के जरिए इस 'शख्स' से ली 60 करोड़ की रिश्वत, शराब नीति घोटाले में भाजपा भी शामिल: संजय सिंह


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.