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    दिल्ली के स्कूलों में मोटापे के खिलाफ छेड़ी जाएगी जंग, शिक्षा विभाग ने शुरू की नई पहल

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 06:23 PM (IST)

    दिल्ली के शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों में बच्चों के मोटापे की समस्या से निपटने के लिए एक नई पहल की है। स्कूलों में शिक्षकों को छात्रों के मोटापे की पहचान करने और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए मार्गदर्शन करने के लिए नामित किया जाएगा। प्रत्येक स्कूल में एक छात्र स्वास्थ्य राजदूत भी नियुक्त किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य बच्चों में मोटापे की समस्या को जड़ से खत्म करना।

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    दिल्ली के स्कूलों में बच्चों के मोटापे की समस्या से निपटने के लिए एक नई पहल शुरू हुई। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। स्कूली बच्चों में बढ़ते मोटापे और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली की समस्या से निपटने के लिए शिक्षा निदेशालय ने एक नई पहल शुरू की है। इस अभियान के तहत, शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूलों को ऐसे शिक्षकों को नामित करने का निर्देश दिया है जो छात्रों के मोटापे की पहचान कर उन्हें संतुलित जीवनशैली अपनाने के लिए मार्गदर्शन कर सकें।

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    इसके साथ ही, प्रत्येक स्कूल में एक छात्र स्वास्थ्य राजदूत भी नियुक्त किया जाएगा, जो अपने साथियों को स्वस्थ खान-पान और फिटनेस की आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।

    निदेशालय के अनुसार, यह पहल शिक्षा मंत्रालय की सिफारिशों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बच्चों में मोटापे की समस्या को जड़ से खत्म करना है।

    राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5, 2019-21) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में छह से नौ साल की उम्र के 24 फीसदी बच्चे मोटापे या अधिक वजन से ग्रस्त हैं, जबकि पुरुषों में यह दर 24 फीसदी और महिलाओं में 23 फीसदी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो ये बच्चे भविष्य में मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं।

    इस पहल को सफल बनाने के लिए अभिभावकों और स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी को महत्व दिया गया है। स्कूलों में विशेष बैठकें आयोजित की जाएंगी जहां अभिभावकों को स्वस्थ जीवनशैली पर सत्र दिए जाएंगे।

    हाल ही में, सीबीएसई ने भी स्कूलों में जंक फ़ूड और मीठे पेय पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के नियम जारी किए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है।

    छात्र कम तेल वाले व्यंजनों की रेसिपी करेंगे तैयार 

    शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे मोटापे से जूझ रहे छात्रों की पहचान कर सकें और अभिभावकों को परामर्श दे सकें। प्रशिक्षण में स्वस्थ भोजन, योग, व्यायाम और पोषण शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। स्कूलों में विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी, जैसे विशेष कक्षाएं जहां बच्चों को कम तेल वाले खाद्य पदार्थों पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं दी जाएंगी।

    इको-क्लब गतिविधियों के माध्यम से, बच्चे पर्यावरण के अनुकूल खाद्य पदार्थों, जैसे जैविक सब्जियों और फलों के बारे में जानेंगे। इसके अलावा, प्रोजेक्ट वर्क के रूप में, बच्चे स्वस्थ खान-पान की आदतों पर निबंध लिखेंगे और कम तेल वाले व्यंजनों की रेसिपी तैयार करेंगे।

    शिक्षा मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि स्कूल कैंटीनों में कम तेल और नमक वाले पौष्टिक भोजन के विकल्प उपलब्ध कराए जाने चाहिए, जैसे कि साबुत अनाज से बने स्नैक्स और फलों से बने जूस। ये गतिविधियां न केवल बच्चों को जागरूक करेंगी, बल्कि उन्हें घर पर भी इन आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करेंगी।

    लेकिन विशेषज्ञों का मानना ​​है कि चुनौतियां भी कम नहीं हैं। शहरी जीवनशैली, फ़ास्ट फ़ूड की उपलब्धता और स्क्रीन के सामने बढ़ता समय मोटापे के प्रमुख कारण हैं। इसलिए, न केवल स्कूल स्तर पर, बल्कि घर और समाज के स्तर पर भी बदलाव जरूरी है।

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