आतंकी संगठन IS की करतूत का खुलासा, यहां सामान की तरह इस्तेमाल होती हैं लड़कियां
ISIS के चंगुल से बचकर भागी हुईं यजदी युवतियों ने दिल्ली में अपने ऊपर हुए अत्याचार को बयां किया।
नई दिल्ली (जेएनएन)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की जेएनयू इकाई ने माही-मांडवी छात्रावास की मेस में पब्लिक टॉक का आयोजन किया। इसमें इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) के चंगुल से बचकर भागी हुईं यजदी युवतियों ने अपने ऊपर हुए अत्याचार को बयां किया। उन्हें वस्तु की तरह बेचा गया और आतंकियों ने उनके साथ दुराचार किया।
इस पब्लिक टॉक में यजदी ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल के अध्यक्ष मिर्जा इस्माइल भी उपस्थित रहे और उन्होंने ऐसी महिलाओं की मदद के लिए भारत सरकार से गुहार लगाई।
एबीवीपी ने किया प्रदर्शन
एबीवीपी जेएनयू ने अनिवार्य उपस्थिति के खिलाफ सामाजिक अध्ययन संस्थान पर धरना प्रदर्शन किया। एबीवीपी पदाधिकारियों का कहना है कि यह न्यायपूर्ण नहीं है। बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान के बाहर धरना प्रदर्शन होगा। एबीवीपी जेएनयू के अध्यक्ष विजय कुमार ने कहा की अनिवार्य उपस्थिति करने से शोध की गुणवत्ता नहीं बढ़ेगी।
आतंकवाद पूरी मानवता के लिए खतरा
परिचर्चा में जेएनयू के प्रो. सौम्यजीत रॉय ने कहा कि इस्लामिक स्टेट पूरी मानवता के लिए खतरा है। उन्होंने आतंकवाद के अलग-अलग पहलुओं पर प्रकाश डाला।
एबीवीपी जेएनयू के अध्यक्ष विजय कुमार ने कहा कि भारत ने हमेशा से दुनिया में सताए हुए लोगों का साथ दिया है। एबीवीपी नेता दुर्गेश कुमार ने कहा कि एबीवीपी भारत के सभी विश्वविद्यालयों में यजदी समुदाय की बात को लेकर जाएगी।
जानें ISIS के बारे में
जून 2014 में बना एक अमान्य राज्य तथा इराक एवं सीरिया में सक्रिय जिहादी सुन्नी सैन्य समूह है। अरबी भाषा में इस संगठन का नाम है 'अल दौलतुल इस्लामिया फिल इराक वल शाम'। इसका हिन्दी अर्थ है- 'इराक एवं शाम का इस्लामी राज्य'। शाम सीरिया का प्राचीन नाम है।
इस संगठन के कई पूर्व नाम हैं जैसे आइएसआइएस अर्थात् 'इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया', आइएसआइएल, दाइश आदि। ISIS नाम से इस संगठन का गठन अप्रैल 2013 में हुआ। इब्राहिम अव्वद अल-बद्री उर्फ अबु बक्र अल-बगदादी इसका मुखिया है। हालांकि, शुरू में अल कायदा ने इसका हर तरह से समर्थन किया,लेकिन बाद में अल कायदा इस संगठन से अलग हो गया। अब यह अल कायदा से भी अधिक मजबूत और क्रूर संगठन के तौर पर जाना जाता हैं।
यह दुनिया का सबसे अमीर आतंकी संगठन है जिसका बजट 2 अरब डॉलर का है। 29 जून 2014 को इसने अपने मुखिया को विश्व के सभी मुसलमानों का खलीफा घोषित किया है। विश्व के अधिकांश मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों को सीधे अपने राजनीतिक नियंत्रण में लेना इसका घोषित लक्ष्य है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये इसने सबसे पहले लेवेन्त क्षेत्र को अपने अधिकार में लेने का अभियान चलाया है जिसके अन्तर्गत जॉर्डन, इजरायल, फिलिस्तीन, लेबनान, कुवैत, साइप्रस तथा दक्षिणीतुर्की का कुछ भाग आता हैं। ISIS के सदस्यों की संख्या करीब 10,000 हैं।
बताया जाता है कि ISIS के जन्म के पीछे कहीं न कहीं अमेरिका का ही हाथ रहा है। किसी हद तक यह सच भी है। बताया जाता है कि 1980 में ईरान के खिलाफ इस्तेमाल के लिए कैमिकल हथियार देकर अमेरिका ने सद्दाम को सद्दाम हुसैन बनाया। ठीक वैसे ही सीरिया के फ्रीडम फाइटर को अमेरिका ने हथियार और ट्रेनिंग दी और अब वही फ्रीडम फाइटर ISIS के बैनर तले लड़ रहे हैं।
ISIS ने सीरिया के रक्का, पामयेरा, दियर इजौर, हसाक्का, एलेप्पो, हॉम्स और यारमुक इलाके के कई शहरों पर कब्जा जमाया हुआ है। ISIS ने इराक के भी कई शहरों पर कब्जा कर रखा है।