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कोयला बिजली: नए निवेशों की रफ्तार धीमी, पुराने प्लांटों को बंद करने पर स्थिति अस्पष्ट

भारत ने 2022 में केवल 3.5 गीगावाट नई कोयला बिजली क्षमता पर खर्च किया है। भारत में 28.5 गीगावाट कोयला बिजली क्षमता के उत्पादन की योजना है जिसमें से लगभग एक तिहाई की अनुमति पहले से ही मिल चुकी है। 32 गीगावाट कोल पावर क्षमता निर्माणाधीन है।

By sanjeev GuptaEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Thu, 06 Apr 2023 09:01 AM (IST)
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कोयला बिजली: नए निवेशों की रफ्तार धीमी, पुराने प्लांटों को बंद करने पर स्थिति अस्पष्ट

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। कोल प्लांट पाइप लाइन पर होने वाले ग्लोबल एनर्जी मानिटर के नौवें वार्षिक सर्वे के मुताबिक एक ओर नई कोयला बिजली परियोजनाओं की शुरुआत बीते कुछ वर्षों में अपने निचले स्तर पर रही है, वहीं नई परियोजनाओं के लिए प्लान भी बन रहे हैं और पुराने प्लांटों को बंद करने की कोई स्पष्ट योजना भी नहीं दिख रही।

बूम एंड बस्ट रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत ने 2022 में केवल 3.5 गीगावाट नई कोयला बिजली क्षमता पर खर्च किया है। 2020 में होने वाली महामारी की मंदी को छोड़ दें तो यह 2014 के उच्च स्तर के बाद सबसे कम वार्षिक वृद्धि थी। 2015 से 2022 तक देश की प्री कंस्ट्रक्शन कोल पावर क्षमता भी लगभग 88 प्रतिशत घटकर 28.5 गीगावाट हो गई।

रिपोर्ट से पता चलता है कि 2022 में दुनियाभर में कोल पावर कैपेसिटी पर होने वाला आउटपुट 26 गीगावाट तक पहुंच गया, और 2030 तक इसमें 25 गीगावाट का इज़ाफ़ा होने की घोषणा की गई है। भारत की नियोजित क्षमता में 2.6 गीगावाट की वृद्धि हुई, लेकिन ये अभी भी चीन के प्रस्तावित कोयला विस्तार से काफी पीछे है।

रिपोर्ट में इस बात पर रोशनी डाली गई है कि पेरिस समझौते के बाद से कोयले पर काम के दौरान- या निर्माण से पहले यह दो तिहाई तक गिर गया है। अभी भी 33 देशों में लगभग 350 गीगावाट नई क्षमता प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त 192 गीगावाट क्षमता निर्माणाधीन है।

भारत में 28.5 गीगावाट कोयला बिजली क्षमता के उत्पादन की योजना है, जिसमें से लगभग एक तिहाई की अनुमति पहले से ही मिल चुकी है। 32 गीगावाट कोल पावर क्षमता निर्माणाधीन है। विकास के मामले में तमिलनाडु, ओडिशा और उत्तर प्रदेश कोल पावर की उच्चतम क्षमता वाले राज्य हैं।

मौजूदा कोल प्लांट को नहीं किया जा रहा तेजी से बंद

ट्रैक पर बने रहने के लिए दुनिया के अमीर देशों को 2030 तक सभी मौजूदा कोल प्लांट्स को तथा बाकी दुनिया को 2040 तक सभी को बंद करना होगा ताकि किसी भी नए कोल प्लांट के आनलाइन आने के लिए कोई जगह न रहे। नई प्रस्तावित कोल पावर कैपेसिटी में काफी गिरावट आई है जबकि दुनिया मौजूदा कोल प्लांट को पर्याप्त तेजी से बंद नहीं किया जा रहा है।

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) के विश्लेषक सुनील दहिया कहते हैं, “बेहतरीन योजना और काम करने के तरीके के साथ भारत के पास चरम मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोयला क्षमता है। यह बिजली स्टेशनों पर कोयले के भंडार और इसकी निकासी की बदइंतिजामी से जुड़ा है, जो खासकर उच्च मांग के समय में बिजली की कमी की वजह बनता है, न कि बिजली उत्पादन या कोयला खनन क्षमता की कमी।‘’

उन्होंने यह भी कहा, "नए कोल प्लांट्स की स्थापना या नई कोयला खदानें बनाने से स्थिति और भी खराब होगी, जिसके नतीजे में कोयला खनन और बिजली क्षेत्र में फंसी हुई सम्पत्तियों का नुकसान होगा, जिससे पुराने जंगल और वन्य जीवों को भी नुकसान पहुंचेगा, इसका असर पब्लिक हेल्थ और सामाजिक भलाई पर पड़ेगा। भारत को सभी कन्ज़ूमिंग सेक्टर के लिए नई कोल और पीकिंग कोल ईयर टारगेट पर एक स्पष्ट नीति की जरूरत है।"

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