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दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल : नजीब से शुरू हुई 'जंग' बैजल से होती हुई सक्सेना तक पहुंची

दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल जंग के बाद अनिल बैजल आए तो पांच साल साढ़े चार माह का उनका सारा कार्यकाल भी इस रार में ही बीता। कई मुद्दों पर अरविंद केजरीवाल सरकार की लड़ाई सड़क से लेकर दिल्ली के एलजी के आफिस तक गई।

By Jp YadavEdited By: Updated: Thu, 02 Jun 2022 08:12 AM (IST)
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दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल : नजीब से शुरू हुई 'जंग' बैजल से होती हुई सक्सेना तक पहुंची
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली में राजनिवास और सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार के मुखिया सीएम अरविंद केजरीवाल सरकार के बीच अधिकारों को लेकर जंग कोई नई नहीं है। इसकी शुरुआत तो तभी हो गई थी जब दिल्ली के उपराज्यपाल के पद पर नजीब जंग थे। अब नए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के साथ भी उनके पदभार संभालने के करीब सप्ताह भर बाद ही इसकी बानगी देखने को मिल गई है।

यह अलग बात है कि राजनिवास की ओर से अभी इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन आने वाले दिनों में इस रार के बढ़ने की संभावना से कतई इनकार नहीं किया जा सकता। विनय कुमार सक्सेना पहले ही कह चुके हैं कि वह दिल्ली के लोकल गार्जियन के रूप में काम करेंगे और राजनिवास से ज्यादा सड़कों पर दिखाई देंगे।

2015 से चल रही इस रार में कब क्या हुआ

एक अप्रैल 2015 : तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग ने नौकरशाहों से मुख्यमंत्री अरविंद का वह आदेश नहीं मानने को कहा जिसमें पुलिस, पब्लिक आर्डर और जमीन से जुड़े सभी मामलों की फाइलें उनके माध्यम से एलजी को भेजने के लिए निर्देश दिया गया था।

15 मई 2015 : केजरीवाल ने शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाए जाने का विरोध किया।

20 मई 2015 : नजीब जंग ने दिल्ली सरकार द्वारा की गई सभी नियुक्तियों को रद कर दिया और कहा कि सभी नियुक्तियों का अधिकार केवल उन्हे है।

21 मई 2015 : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर स्पष्ट किया कि दिल्ली में सभी तरह के स्थानांतरण और नियुक्तियां करने का अधिकार केवल उपराज्यपाल को है।

28 मई 2015 : केजरीवाल सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी।

10 जून 2015 : हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना को रद कर दिया।

4 अगस्त 2016 : हाई कोर्ट ने उपराज्यपाल को दिल्ली का प्रशासनिक मुखिया बताया।

31 अगस्त 2016 : हाई कोर्ट के आदेश को केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

15 फरवरी 2017 : सुप्रीम कोर्ट ने राजनिवास और दिल्ली सरकार के बीच चल रही रस्साकशी को संवैधानिक पीठ को भेज दिया। इस दौरान अनिल बैजल उपराज्यपाल का पद संभाल चुके थे।

20 फरवरी 2018 : तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने आप विधायकों और मुख्यमंत्री पर अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया।

11 जून 2018 : केजरीवाल अपने मंत्रियों के साथ राजनिवास में धरने पर बैठ गए। फिर नरमी दिखाते हुए 19 जून को धरना खत्म कर दिया।

4 जुलाई 2018 : सुप्रीम कोर्ट के की पांच सदस्सीय पीठ ने उपराज्यपाल को चुनी हुई सरकार की सलाह मानने के लिए बाध्य करार दिया।

जुलाई 2020: दिल्ली सरकार ने दिल्ली दंगों के मामलों में विशेष अभियोजकों की नियुक्ति के दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उपराज्यपाल ने सरकार के फैसले को पलट दिया और दिल्ली पुलिस के वकीलों के प्रस्तावित पैनल को मंजूरी देने का निर्देश दिया।

अगस्त 2021: उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि एलजी ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन की कथित कमी के कारण हुई मौतों की जांच के लिए एक पैनल गठित करने के दिल्ली सरकार के अनुरोध को खारिज कर दिया है।

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