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विधानसभा चुनाव से पहले शुरू होगा यमुना पर नया रेलवे पुल, दिल्ली से गाजियाबाद के बीच ट्रेनों की आवाजाही होगी आसान

यमुना नदी पर बन रहा नया रेलवे पुल लगभग बनकर तैयार हो गया है। इस पुल के बनने से दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाली ट्रेनों की आवाजाही आसान हो जाएगी। अभी तक ट्रेनें पुराने लोहे के पुल से होकर गुजरती हैं जो काफी पुराना और जर्जर हो चुका है। नए पुल के बनने से रेल परिचालन और सुरक्षित हो जाएगा।

By Santosh Kumar Singh Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Mon, 14 Oct 2024 08:19 AM (IST)
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ऐतिहासिक यमुना लोहे के पुल के समानांतर बन रहा रेलवे का नया पुल। फोटो- ध्रुव कुमार

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। यमुना नदी पर नए रेलवे पुल के निर्माण का काम लगभग पूरा हो गया है। विधानसभा चुनाव से पहले इसके उद्घाटन होने की उम्मीद है। अभी लगभग डेढ सौ वर्ष से अधिक पुराने लोहे के पुल से ही ट्रेनों की आवाजाही होती है।

बारिश के दिनों में नदी का जलस्तर बढ़ने पर रेल परिचालन पर असर पड़ता है और ट्रेनों की गति धीमी करनी पड़ती है। कई बार तो परिचालन रोकना पड़ता है। इसलिए करीब 26 वर्ष पहले इस पुल के समानांतर नया पुल बनाने का निर्णय लिया गया था। तकनीकी व अन्य कारणों से बार-बार इसके पूरा करने की तिथि बदलती रही है।

दिल्ली से शाहदरा के रास्ते गाजियाबाद जाती हैं ट्रेनें

पुराने लोहे के पुल से ट्रेनें पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से शाहदरा के रास्ते गाजियाबाद जाती हैं। इस पुल पर रेल लाइन के नीचे सड़क मार्ग है। वर्ष 1867 में अंग्रेजों ने इसका निर्माण किया था। इसकी आयु (80 वर्ष) 1947 में ही पूरी हो चुकी है। इसके बावजूद दूसरा विकल्प नहीं होने के कारण अभी भी इस पुल से ट्रेनों की आवाजाही जारी है।

निर्माणाधीन यमुना पुल।

2005 तक तैयार होना था पुल

रेलवे ने वर्ष 1997-98 में यमुना पर नया पुल बनाने का निर्णय लिया था। वर्ष 2005 तक इस पुल को तैयार किया जाना था, लेकिन निर्माण कार्य ही 2003 में शुरू हो सका। काम शुरू होते ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की आपत्ति की वजह से इसे रोकना पड़ा। नए पुल को जोड़ने के लिए रेलवे लाइन सलीमगढ़ किला के क्षेत्र से होकर बिछानी थी।

एएसआई के विरोध के चलते रुका काम

एएसआई के विरोध के कारण कई वर्षों तक काम बाधित रहा। बाद में पुल के बनावट में बदलाव कर निर्माण कार्य शुरू किया गया तो प्रस्तावित पिलर वाले स्थान पर चट्टान मिलने के कारण काम रुक गया था। आइआइटी दिल्ली की सहायता से यह बाधा दूर करने के बाद फिर से निर्माण कार्य शुरू हुआ और जून 2019 तक इसे बनाने का लक्ष्य रखा गया, लेकिन यह पूरा नहीं हो सका।

137 करोड़ से बढ़कर 226 करोड़ रुपये हुई लागत

इससे इसकी लागत 137 करोड़ से बढ़कर 226 करोड़ रुपये हो गई। अधिकारियों का कहना है कि कोरोना, प्रदूषण से निर्माण कार्य पर रोक जैसे कारणों से निर्माण कार्य में देरी हुई है।

अधिकारियों का कहना है कि अब निर्माण कार्य पूरा हो गया। संरक्षा जांच कर कमियां दूर की जा रही है। नवंबर के अंतिम सप्ताह या दिसंबर में रेलवे संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) से जांच कराने की तैयारी है। सीआरएस से अनुमति मिलने के बाद दिसंबर में ही इसका उद्घाटन हो सकता है।

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