दिल्ली के आया नगर में सुबह तैयार की गई नई सड़क, दोपहर में जेसीबी मशीन से खोद दी गई
दक्षिणी दिल्ली के आया नगर बांध रोड पर करोड़ों रुपये की लागत से सुबह बनी नई सड़क को दोपहर में ही जेसीबी मशीन से तोड़ दिया गया। सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग और जल बोर्ड के बीच समन्वय की कमी के कारण यह बड़ी लापरवाही सामने आई है। जनता के टैक्स के पैसों की इस तरह बर्बादी को लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। जनता के टैक्स के पैसों की बर्बादी किस तरह होती है, ये देखना हो तो आया नगर बांध रोड को देख लें। एक किलोमीटर की यह रोड रविवार की सुबह बनकर तैयार हुई और दोपहर में इसे जेसीबी मशीन लगाकर तोड़ा जाने लगा। दो करोड़ रुपये दो पल में स्वाहा हो गए। लंबे समय से सड़क बनवाने की मांग कर रही क्षेत्रीय जनता दो दिन भी नई सड़क पर चल नहीं पाई। टैक्स के पैसों की इस तरह बर्बादी को लेकर स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं।
दो करोड़ रुपये की लागत बनी सड़क
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने करीब दो करोड़ रुपये की लागत से आया नगर बांध रोड बनवाई। काम जोर-शोर से चला। शनिवार रात भर काम होने के बाद सुबह नई सड़क देख लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा। लंबे समय से गड्ढे और कीचड़ से भरी सड़क पर चलते हुए जनता त्रस्त थी।
करीब 300 मीटर तक नई सड़क खोदी गई
लंबे समय से सड़क बनाने की मांग की जा रही थी। आरोप है कि सड़क सुबह बनी और दोपहर में ही जल बोर्ड की ओर से जेसीबी मशीन लगाकर करीब 300 मीटर तक नई बनी सड़क खोद दी गई। विभागों में समन्वय की कमी के चलते करदाताओं के पैसों की बर्बादी का यह कोई पहला उदाहरण नहीं है।
पहले भी हुआ था ऐसा
कुछ दिन पहले सराय जुलेना गांव में एमसीडी की ओर से एक वर्ष पूर्व बनाई गई सड़कों को सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने बिना एनओसी फिर से बनाने के लिए तोड़ा था। एमसीडी की अपत्ति के बाद सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग को काम रोकना पड़ा।
गलतफहमी के चलते पहले हुआ सड़क का काम
इधर, मामले में जल बोर्ड का कहना है कि आया नगर से लेकर घिटोरनी तक सीवर लाइन डालने के काम को लेकर पहले ही सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग को सूचित किया गया था। गलतफहमी के चलते उन्होंने पहले ही सड़क का काम करा दिया। सीवर लाइन डालने का काम अगले तीन दिन में पूरा कर लिया जाएगा।
इस संबंध में आया नगर की निगम पार्षद शीतल चौधरी ने कहा कि कर दाताओं को करोड़ों रुपये इसी तरह पूरे देश में बर्बाद हो रहे हैं, जैसे आया नगर में हुआ। सरकार के विभाग आपस में कोई भी ताल मेल नहीं रखते। इससे न केवल धन की हानि हो रही है, बल्कि समय और संसाधनों को भी बर्बाद किया जा रहा है।