दांव पर CBSE की साखः ऐसे से उठ जाएगा परीक्षार्थियों-अभिभावकों का विश्वास
मजबूत परीक्षा तंत्र के दम पर इन परीक्षाओं का सफल आयोजन कर सीबीएसई ने अपनी साख बनाई हुई थी।
नई दिल्ली (मनोज भट्ट)। स्कूलों को संबद्धता देने को लेकर जितनी प्रसिद्धि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को मिली है, उससे कहीं अधिक साख सीबीएसई ने अपने मजबूत परीक्षा तंत्र के दम पर बनाई है। दसवीं व बारहवीं बोर्ड परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने के बाद सीबीएसई की इस साख पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं।
सीबीएसई इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईईई), एमबीबीएस व बीडीएस कॉलेजों में दाखिले के लिए नीट समेत जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा, कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों की योग्यता निर्धारित करने वाली नेट जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाओं का आयोजन करती है, जिसमें प्रत्येक वर्ष लाखों छात्र प्रतिभाग करते हैं। मजबूत परीक्षा तंत्र के दम पर इन परीक्षाओं का सफल आयोजन कर सीबीएसई ने अपनी साख बनाई हुई थी, लेकिन इस वर्ष बोर्ड परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होने से साख पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
सीबीएसई के पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीएसई ने 80 के दशक से ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट लेना शुरू किया था, जबकि इसी दशक से जवाहर नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा भी आयोजित करता आ रहा है। 2001 में जेईईई का आयोजन भी शुरू किया था, जो आज भी जारी है। 2010 के बाद कई अन्य परीक्षाओं का आयोजन भी शुरू किया, लेकिन अब बोर्ड परीक्षाओं के पेपर लीक होने से साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि वह कहते हैं कि प्रत्येक परीक्षा के लिए अलग विंग हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं प्रभावित करती हैं।
मल्टीपल सेट होते तो देश-विदेश के छात्रों को दोबारा परीक्षा नहीं देनी होती
देश - विदेश में परीक्षा का सेट एक समान होने के कारण गणित व इकोनॉमिक्स की परीक्षा दोबारा आयोजित कराने से देश-विदेश के छात्र प्रभावित हुए हैं। सीबीएसई के पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली का कहना है कि अगर प्रश्नपत्रों के मल्टीपल सेट तैयार किए होते तो छात्रों को इस तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में जिस परिक्षेत्र में प्रश्नपत्र लीक हुआ होता, वहीं परीक्षा होती।